निजी स्कूलों के खिलाफ अभिभावक पहुंचे हाईकोर्ट

जबलपुर में निजी स्कूलों के खिलाफ की गई बड़ी कार्यवाही के बाद यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है और इस मामले में अब अभिभावकों ने भी कोर्ट में हस्तक्षेप किया है।

Advertisment
author-image
Neel Tiwari
New Update
Jabalpur private schools

जबलपुर में बड़े पैमाने पर निजी स्कूलों के खिलाफ अवैध फीस वसूली, यूनिफॉर्म सहित फर्जी आईएसबीएन नंबर और वित्तीय अनियमितताओं को लेकर की गई कार्रवाई में अब तक कुल 12 निजी स्कूलों की याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट में चल रही है। इनमें से 6 निजी स्कूलों का मामला जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ में चल रहा है। अब इस मामले में भगवा मलंग संघ की अभिभावक इकाई के द्वारा इंटरवेंशन किया गया है। शासकीय वकील के साथ अब निजी स्कूलों के खिलाफ अभिभावकों की ओर से भी अधिवक्ता सुरेंद्र वर्मा पक्ष रखेंगे।

कोर्ट ने मांगी क्रिमिनल मामलों की जानकारी

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ में जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ में हुई इस मामले की पिछली सुनवाई ने कोर्ट ने निजी स्कूलों के खिलाफ चल रही जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए सरकार को समय दिया था। बुधवार 13 नवंबर को इस मामले में राज्य सरकार के द्वारा जांच रिपोर्ट पेश की गई। इसके बाद कोर्ट के द्वारा निजी स्कूलों पर की गई FIR के आधार के बारे में जानकारी चाही गई। शासकीय अधिवक्ता की ओर से यह तर्क दिया गया कि कोर्ट के पिछले आदेश के अनुसार उन्होंने स्कूलों के खिलाफ चल रही जांच की रिपोर्ट पेश की है। स्कूलों के खिलाफ चल रहे क्रिमिनल मामलों की जानकारी देने के लिए अधिवक्ता ने कोर्ट से समय मांगा है।

क्रिमिनल केस दर्ज करने का बताएं आधार - हाईकोर्ट

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता से यह पूछा कि आखिर किस आधार पर धारा 420 सहित अन्य धाराओं पर कार्रवाई की गई है। शासकीय अधिवक्ता और हस्तक्षेपकर्ता के अधिवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कोर्ट के सामने यह तथ्य रखा कि इन स्कूलों के द्वारा फर्जी ISBN नंबर इस्तेमाल किया जाता है वहीं अधिक फीस वसूल कर अभिभावकों से चीटिंग की गई है। जिस पर कोर्ट ने पूछा कि किसी और का आईएसबीएन नंबर डालना आखिर चीटिंग कैसे हो सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने यूनिफार्म के मामले में हस्तक्षेप करता को यह सुझाव दिया है कि स्कूलों की यूनिफॉर्म डिसाइड करने के लिए उन्हें पिटीशन दायर करनी चाहिए। 

हस्तक्षेपकर्ता ने रखे कोर्ट के समक्ष तथ्य

शासन की ओर से रॉयल सीनियर सेकंडरी स्कूल की लिफाफा बंद जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौपी गई थी।भगवा मलंग संघ की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को यह बताया कि यह स्कूल यूनिफॉर्म में केवल एक रंग बदलकर ऐसी स्थिति पैदा कर देते हैं कि वह यूनिफार्म मार्केट में उपलब्ध ही नहीं होती इसके बाद अभिभावकों पर दबाव बनाकर उनके द्वारा सुनिश्चित की गई दुकानों से ही यूनिफॉर्म खरीदी जाती है जिसमें कमीशनखोरी का खेल होता है। इसके साथ ही स्कूलों से जब्त की गई किताबें जिनमे फर्जी आईएसबीएन नंबर मिले थे उनके आईएसबीएन को राजाराम आईएसबीएन में सर्च करने पर कोई जानकारी नहीं मिली। जिसके पीछे का कारण यह है कि निजी स्कूलों ने खुद ही अपने प्रकाशक बना लिए हैं और वह इस तरह की किताबें छपवा कर उसमें फर्जी आईएसबीएन नंबर डलवाते हैं और अभिभावकों को आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं।

हाईकोर्ट ने मांगी मामले की और विस्तृत जानकारी

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्कूलों के खिलाफ़ दर्ज किए गए आपराधिक प्रकरण ऊपर सवाल करते हुए यह पूछा कि क्या कोई ऐसा मामला जिसमें स्कूलों के द्वारा बताई गई किताबों को न खरीदने या यूनिफॉर्म को न खरीदने पर किसी छात्र को स्कूल से निकाल दिया गया हो या उसे पढ़ाने से मना किया गया। अधिवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने ऐसे मामलों की जानकारी भी कोर्ट के समक्ष अगली सुनवाई में रखने का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने राजा राममोहन राय नेशनल एजेंसी में आईएसबीएन के रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया की भी जानकारी मांगी है। शासन की ओर से अधिवक्ता ने इस जानकारी को प्रदान करने के लिए समय मांगा है और कोर्ट के द्वारा अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को तय की गई है।

सभी 12 मामलों में हस्तक्षेप करेगा पैरेंटस एसोसिएशन

भगवा मलंग संघ की अभिभावक इकाई मध्यप्रदेश पेरेंट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने बताया कि अब अभिभावकों की लड़ाई सड़क के साथ हाईकोर्ट में भी लड़ी जाएगी और निजी स्कूलों के हाईकोर्ट में चल रहे हर मामले में एसोशिएशन के द्वारा हस्तक्षेप कर पक्ष रखा जाएगा।

Thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

private schools जबलपुर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट निजी स्कूल एमपी हिंदी न्यूज