विकास तो होता रहेगा, चलो संसद में सवाल पूछकर बटोरे सुर्खियां

मध्यप्रदेश में कांग्रेसविहीन लोकसभा में सभी 29 सांसद बीजेपी के हैं। इसलिए सांसदजी पूछने के लिए सवाल पूछ रहे हैं। उपस्थिति दर्ज कराना है क्या सांसद सिर्फ इसीलिए सवाल पूछ रहे हैं। राज्य सरकार के हिस्से की योजना और काम पर संसद में मांग रहे जवाब...

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. मध्यप्रदेश में कांग्रेसविहीन लोकसभा में सभी 29 सांसद बीजेपी के हैं। इसलिए सांसदजी पूछने के लिए सवाल पूछ रहे हैं। बड़ा सवाल ये हो गया है कि क्या पूछें? सूझ ही नहीं रहा। दुनियादारी की तिकड़म, काम की टेंशन के बीच हम बताते हैं संसद के अंदर क्या कर रहे हैं आपके सांसदजी? आपके हक-अधिकार की कौन सी बात उठाई? लेकिन उससे पहले आपको बताते हैं कि संसद का एक-एक मिनट कितना कीमती है? एक सवाल जो सांसदजी ने पूछा वह कितने का पड़ा? यह सब देखकर आप समझ जाएंगे कि हमारे प्रतिनिधि, हमारे चुने हुए सांसद आखिर अपने संसदीय क्षेत्र के विकास और यहां की समस्याओं को दूर करने के लिए कितने सजग हैं।

सांसदों द्वारा संसद में पूछे सवालों को 'द सूत्र' ने खंगाला

प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटें इस बार बीजेपी के हिस्से में हैं। यानी प्रदेश के संसदीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व बीजेपी के हाथ में है। देश में सरकार भी बीजेपी की है। संसद में अपनी ही सरकार के सामने सवाल उठाने में सांसदों के सामने कुछ बाध्यता_प्रतिबद्धता होना लाजिमी है। नई सरकार बनने के बाद भारतीय संसद में हमारे सांसदों का परफार्ममेंस कैसा रहा, हमारे सांसदों ने जनता से जुड़े किन मुद्दों को उठाया, किन योजनाओं को लेकर सांसदों ने अपनी बात संसद में रखी 'द सूत्र' ने इसके लिए संसद दैनिक प्रश्न सूचि को खंगाला है। संसद में 22 जुलाई से 9 अगस्त के बीच प्रतिदिन 20 मौखिक और 230 लिखित प्रश्न सांसदों द्वारा उठाए गए। यानी हर दिन देश भर के सांसदों द्वारा 250 सवाल उठाए गए जिनकी संख्या सत्र चलने के बीच 4500 रही है। संसद में प्रदेश के 29 सांसदों ने भी सत्र के दौरान सवा 100 से ज्यादा सवाल लगाए हैं। 

जरूरी से ज्यादा बेमतलब के सवाल उठाए

ये सवाल 16 सांसदों ने सरकार के सामने रखे जबकि 13 सांसदों ने अपने क्षेत्र की समस्याओं या जनता को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं से जुड़ी बात सदन में नहीं उठाई। जिन 16 बीजेपी सांसदों ने सदन में प्रश्न उठाए हैं उनमें से आधे भी सीधे तौर पर केंद्र सरकार से संबंधित नहीं हैं। राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं, सरकार के अधीन आने वाले काम_काज को लेकर भी सांसद केंद्र सरकार से सवाल पूछते सदन में नजर आए  हैं। यानी जनता ने जिन्हें प्रतिनिधि के रूप में भारतीय संसद में पहुंचाया है वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराने पहुंचे तो लेकिन जनता की आवाज नहीं उठा रहे हैं। नई लोकसभा के पहले सत्र में मध्यप्रदेश के माननीय सांसदों ने सरकार से क्या_ क्या सवाल किए हैं, आपको ये बताते हैं। आप स्वयं ही इन सवालों के आधार पर अपने सांसद की परफार्ममेंस तय कर पाएंगे, कि वे क्षेत्र के प्रति कितने सजग हैं। 

ये हैं हमारे माननीयों के प्रश्न...

1. संध्या राय, सांसद भिंड
सांसद ने मध्यप्रदेश में पर्यटन को प्रोत्साहित करने वाली योजनाओं का ब्यौरा सरकार से मांगा है। वे भिंड और दतिया में शक्तिपीठों के संवर्धन के लिए किए गए प्रयास की जानकारी मांग रही हैं। जबकि जिलों में पर्यटन के विस्तार और धार्मिक स्थल के विकास के लिए प्रदेश में दो अलग मंत्रालय हैं और प्रदेश स्तर पर कई योजनाएं इनके माध्यम से चल रही हैं। उन्होंने प्रदेश में मजदूरों के कल्याण और उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं देने की योजना पर सवाल भी किया, जबकि प्रदेश सरकार अपने स्तर पर योजनाएं चला ही रही है। सांसद राय ने केंद्र सरकार से भिंड जिले में आउटडोर स्टेडियम बनाने की योजना पर जवाब मांगा है। उन्होंने भिंड और दतिया जिलों के स्कूलों की संख्या के साथ ही शिक्षकों का लिंग आधारित ब्यौरा मांगा है जबकि स्कूली शिक्षा व्यवस्था के लिए एमपी में इसका पूरा सेटअप है। 

2. रोडमल नागर, सांसद राजगढ़
सांसद नागर ने सरकार से प्राइवेट कंपनियों के मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दिलाने की नई योजना की जानकारी मांगी है, जबकि प्रदेश स्तर पर श्रम विभाग इसके लिए काम करता है। उन्होंने छोटे शहरों में प्रदूषण रोकने के प्रयास और औद्योगिक क्षेत्रों में वायु, जल और भूमि के प्रदूषण के रोकने के मापदंड का ब्यौरा मांगा है। यह काम भी प्रदेश सरकार के जिम्मे होता है। 

3. ज्ञानेश्वर पाटिल, सांसद खंडवा 
पाटिल ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से लाभान्वित युवाओं की स्थिति और प्रशिक्षण के बाद रोजगार पाने वाले युवाओं की संख्या जाननी चाही है, जबकि इस योजना का संचालन प्रदेश स्तर पर राज्य सरकार कर रही है और यह डेटा तो सांसद महोदय को प्रदेश सरकार आसानी से उपलब्ध करा सकती है। सांसद ने खेल गतिविधियों पर भी सवाल किया है यह काम भी प्रदेश में खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय कर ही रहा है। राज्य के स्टेडियम और इकाईयों में प्रशिक्षकों की भर्ती भी राज्य के दायरे में है।  

4. विष्णुदत्त शर्मा, खजुराहो सांसद
सांसद ने अपने संसदीय क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना पर सवाल किया है, जबकि प्रदेश में पर्यटन विभाग है। सांसद शर्मा प्रदेश में बीजेपी के अध्यक्ष हैं और उन्हें आसानी से सरकार से यह जानकारी मिल सकती है। बावजूद उनके द्वारा केंद्र सरकार से इसकी जानकारी मांगना समझ से परे है। हांलाकि, शर्मा ने हवाई जहाजों के निर्माण में आत्मनिर्भरता सहित स्कूल-कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में आर्यभट्ट सहित अन्य महान वैज्ञानिक-गणितज्ञों के योगदान को शामिल करने के अहम सवाल भी उठाए हैं। 

5. शंकर लालवानी, सांसद इंदौर 
इंदौर क्षेत्र में कोयले की खदान हैं न ही इससे जुड़े उद्योग हैं। फिर भी सांसद ने कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजना का ब्यौरा और कोयले की गुणवत्ता में सुधार की योजनाओं के बारे में भी पूछा है। प्रदेश में एक भी चिन्हित जलमार्ग नहीं है और सांसद ने राष्ट्रीय और अन्य जलमार्गों से कार्गो की आवाजाही का ब्यौरा मांगा है। राज्य में विधि मंत्रालय है और सांसद केंद्र सरकार से फास्ट ट्रैक कोर्ट योजना के क्रियान्वयन का ब्यौरा मांग रहे हैं। 

6. अनिल फिरोजिया, सांसद उज्जैन
सांसद ने देश में उड़ान में उपयोग किए जा रहे हवाई अड्डों और हवाई पट्टियों की संख्या सरकार से मांगी है। उन्होंने पूछा है 2014 के बाद कितने हवाई अड्डे और हवाई पट्टियां विकसित की गई हैं। 

7. गणेश सिंह, सांसद सतना
सांसद ने मध्यप्रदेश में जिला स्तर पर बनाए गए पुस्तकालयों की जानकारी मांगी है। उन्होंने सतना क्षेत्र के कई गांवों में 5जी नेटवर्क नहीं होने, मेट्रोसिटी विकसित करने की योजना की व्यवहारिकता, मध्यप्रदेश में पयर्टन योजना से जोड़े गए शहरों डिजिटल क्लास और लायब्रेरी की जानकारी भी मांगी है। 

8. हिमाद्री सिंह, सांसद शहडोल
सांसद ने मध्यप्रदेश में नए हवाई अड्डों और हवाई पट्टियों के विकास करने पर सवाल पूछा है। 

9. जनार्दन मिश्रा, सांसद रीवा
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के सुधार के लिए ऋण प्रक्रिया को सरल बनाने की स्थिति पर सांसद ने सवाल किया है। सांसद ने रक्षा मंत्रालय से डीआरडीओ द्वारा प्रौद्योगिकी विकास निधि के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और निजी क्षेत्र की कंपनियों को स्वीकृत प्रोजेक्ट की जानकारी मांगी है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के आंकड़ों के आधार पर देश में हुए सुधार के सुझावों का ब्यौरा मांगा है, जबकि इन सवालों से सीधे तौर पर स्थानीय लोगों को कोई सरोकार नहीं है। 

10. डॉ.फग्गनसिंह कुलस्ते, सांसद मंडला
सरकार से वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करने के संबंध में सांसद ने सवाल लगाया है। उन्होंने राजस्व गांव घोषित किए गए गांवों की राज्यवार संख्या और नाम भी मांगी है, जबकि प्रदेश के वन और राजस्व गांवों का पूरा डेटा राज्य सरकार के पास है। सांसद वन विभाग से यह जानकारी बड़ी सरलता से हासिल कर सकते थे। 

11. महेन्द्र सिंह सोलंकी, सांसद देवास
ग्रामीण क्षेत्रों में कैंसर जांच केंद्र के लिए कार्ययोजना की स्थिति के साथ ही राज्यों में संचालित कैंसर जांच केंद्रों की संख्या सांसद ने जाननी चाही है।

बिना जनसरोकार वाले प्रश्न उठाने का क्या फायदा

प्रदेश के सांसदों ने लोकसभा में जिस तरह सवाल उठाए हैं उनमें कुछ तो बहुत अहम हैं और आम जनता से भी उनका सीधा कनेक्शन हैं, लेकिन ऐसे प्रश्नों की संख्या के मुकाबले निरर्थक सवाल ज्यादा किए गए हैं। राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र वाली योजना और कामों की जानकारी सांसदों ने लोकसभा में मांगी है। ऐसे में यह जानकारी राज्य सरकारों के माध्यम से जुटाकर ही संसद सदस्यों को उपलब्ध कराई जाएगी। ऐसे सवालों के मुकाबले सांसदों को अपने क्षेत्र या प्रदेश के विकास से जुड़ी योजना, उद्योगों के विकास, जनता को लाभ पहुंचाने वाली परियोजनाओं का ज्यादा ध्यान रखना था। कुछ सवाल तो ऐसे हैं जिन्हें देखकर आप ही समझ लेंगे की यह सिर्फ उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पूछा गया है। 

इन क्षेत्रों से नहीं उठाई जनता की आवाज

रतलाम से अनीता नागर सिंह चौहान सांसद हैं, लेकिन कई समस्याओं से घिरे आदिवासी अंचल के लोगों की आवाज सांसद ने नहीं उठाई। खरगोन निमाड़ अंचल का केंद्र है यहां से बीजेपी सांसद गजेन्द्र सिंह पटेल सांसद हैं उन्होंने भी क्षेत्रवासियों से जुड़ा कोई प्रश्न संसद में नहीं रखा। पूर्व सीएम कमलनाथ के गढ़ में सेंध लगाकर सांसद बने विवेक साहू बंटी भी अपने संसदीय कार्यकाल के पहले सत्र में खामोशी साधे रहे। मुरैना सांसद शिवमंगल सिंह तोमर ने कोई प्रश्न नहीं लगाया। बुंदेलखंड के केंद्र सागर से सांसद लता वानखेड़े की ओर से भी क्षेत्र से संबंधित कोई प्रश्न नहीं पूछा गया। इसी तरह जबलपुर सांसद आशीष दुबे, बालाघाट सांसद भारती पारधी, भोपाल सांसद आलोक शर्मा की आवाज भी लोकसभा में बजट सत्र के दौरान क्षेत्र की जनता की ओर से प्रश्न के रूप में सुनाई नहीं दी।

संसद में सवाल मध्यप्रदेश के सांसद 29 लोकसभा सीटें