63 वर्षीय बुजुर्ग के साथ एक ऐसा दुर्लभ मामला सामने आया, जिसने डॉक्टर्स को भी हैरान कर दिया। फुटपाथ पर गिरने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां एक्स-रे रिपोर्ट में उनके प्राइवेट पार्ट में हड्डी की मौजूदगी का पता चला। इस स्थिति को "पेनाइल ऑसिफिकेशन" (Penile Ossification) कहा जाता है, जो एक बेहद दुर्लभ मेडिकल कंडीशन है। अब तक दुनियाभर में इस बीमारी के केवल 40 मामले ही सामने आए हैं। इस चौंकाने वाली घटना ने मेडिकल जगत का ध्यान खींचा है।
एक्स-रे में सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई
63 वर्षीय बुजुर्ग को फुटपाथ पर गिरने के बाद कूल्हे और घुटने में दर्द की शिकायत पर अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने संभावित फ्रैक्चर की जांच के लिए उनके लोअर बॉडी का एक्स-रे कराया। लेकिन एक्स-रे रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया। उनके प्राइवेट पार्ट में हड्डी जैसी संरचना देखी गई। यह स्थिति "पेनाइल ऑसिफिकेशन" (Penile Ossification) के नाम से जानी जाती है, जो लाखों में किसी एक को ही होती है।
क्या है पेनाइल ऑसिफिकेशन
पेनाइल ऑसिफिकेशन (Penile Ossification) एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें प्राइवेट पार्ट के अंदर रेशेदार ऊतक (Fibrous tissue) की जगह हड्डी जैसी कठोर संरचना बनने लगती है। डॉक्टरों के अनुसार, यह पेरोनी रोग (Peyronie’s Disease) के कारण हो सकता है। पेरोनी रोग में प्राइवेट पार्ट के अंदर फाइब्रस प्लाक (Fibrous Plaque) बनने लगते हैं, जो समय के साथ कठोर हो जाते हैं और हड्डी जैसा रूप ले लेते हैं। इस स्थिति में मरीज को असहनीय दर्द हो सकता है और चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है।
/sootr/media/post_attachments/3c4f5fcf-f3f.webp)
डॉक्टरों के लिए भी पहेली बनी यह स्थिति
जब डॉक्टरों ने इस दुर्लभ स्थिति को नोटिस किया तो उन्होंने बुजुर्ग को आगे की जांच और उपचार के लिए रोकने की कोशिश की। हालांकि, मरीज ने अस्पताल से खुद को डिस्चार्ज करवा लिया और आगे के इलाज के बिना ही चला गया। इस वजह से डॉक्टर यह पता लगाने में असमर्थ रहे कि पेनाइल ऑसिफिकेशन का असली कारण क्या था। डॉक्टरों का मानना है कि यह स्थिति किडनी की बीमारी, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर या गोनोरिया और सिफलिस जैसी यौन संचारित बीमारियों से जुड़ी हो सकती है।
पेनाइल ऑसिफिकेशन का इलाज
पेनाइल ऑसिफिकेशन (Penile Ossification) का इलाज करना आसान नहीं है क्योंकि यह स्थिति दुर्लभ है। इसका इलाज मुख्य रूप से शॉक वेव थेरेपी (Shock Wave Therapy) के जरिए किया जाता है। इस थेरेपी में सोनिक वेव्स (Sonic Waves) का इस्तेमाल करके हड्डी जैसी कठोर संरचना को तोड़ा जाता है। इसके अलावा, डॉक्टर मरीज को पेन किलर देकर दर्द को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। हालांकि, इस स्थिति के केवल 40 केस ही अब तक दुनिया भर में सामने आए हैं, इसलिए इसका इलाज भी बेहद सावधानी से किया जाता है।
thesootr links
द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें