मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) की राज्य सेवा परीक्षा 2024 की मेंस प्रदेश के 11 शहरों में 21 से 26 अक्टूबर तक होने जा रही है। इस परीक्षा की प्री के नौ सवालों पर लगी आपत्ति पर जबलपुर हाईकोर्ट ने सुनवाई 17 अक्टूबर को पूरी कर ली थी, लेकिन फैसला रविवार दोपहर तक जारी नहीं हुआ।
इसके चलते याचिका लगाने वाले उम्मीदवार असमंजस में हैं कि उनका क्या होगा? अब उन्होंने आयोग को आवेदन दिए हैं कि उन्हें इस मेंस में बैठने की मंजूरी दी जाए, क्योंकि हाईकोर्ट का अभी तक फैसला नहीं आया है। ऐसा नहीं होने पर उनका अवसर चला जाएगा। ऐसे करीब 30 उम्मीदवार है जिन्होंने याचिका लगाई हुई है।
सुप्रीम कोर्ट को लिखेंगे पत्र
पिछले तीन दिनों से मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा 2024 के समस्त याचिकाकर्ता कोर्ट के फाइनल ऑर्डर का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कोई भी आदेश अब तक जारी नहीं किया गया है, जिसके फलस्वरूप 30 से ज्यादा अभ्यर्थी योग्य होते हुए भी मुख्य परीक्षा 2024 में बैठने से वंचित किया जा रहे हैं I यह उनके मौलिक अधिकारों में कानूनी प्रावधानों का हनन है I सभी अभ्यर्थी माननीय चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एवं माननीय चीफ जस्टिस ऑफ हाई कोर्ट जबलपुर को पत्र लिखकर संविधान में मिले वाले कानून अधिकारों के हनन के विषय में न्याय की मांग करेंगे। साथ ही अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग से संबंधित अभ्यर्थी माननीय राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति /अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर उनके साथ हुए अन्याय के विषय में न्याय की मांग करेंगे।
जस्टिस सुनवाई पूरी कर चुके हैं
17 अक्टूबर को इस मामले में लगी तीन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। जस्टिस ने सुनवाई के दौरान पूछा था कि मेंस कब से होना है। इस परीक्षा में तीन हजार से ज्यादा उम्मीदवार बैठने वाले हैं। उधर प्री में बॉर्डर पर अटके उम्मीदवार उम्मीद कर रहे थे कि फैसला उनके पक्ष में आने से मेंस के लिए उन्हें भी कोई मंजूरी मिलेगी। यह परीक्षा 110 पद के लिए है।
मेंस 21 अक्टूबर से होगी
मेंस 21 से 26 अक्टूबर तक 11 जिलों में होगी। इसके लए 15 सेंटर बने हैं, इंदौर में पांच सेंटर बने हैं। इंदौर में दो हजार और कुल तीन हजार उम्मीदवार मेंस की परीक्षा देंगे। इसके लिए एडमिट कार्ड आ चुके हैं, पीएससी ऑब्जर्वर भी नियुक्त हो चुका हैं। इसमें डिप्टी कलेक्टर के 15 व डीएसपी के 22 पद है। सिलेबस बदलने के बाद यह पहली परीक्षा है। इस बार मेंस 1500 अंक की और इंटरव्यू 185 अंक का होगा।
यह हुआ था 17 अक्टूबर को सुनवाई में
यह सुनवाई 25 मिनट तक चली, इसमें विविध याचिकाएं लगी थीं, जिसे लिंक कर सुना गया। जस्टिस ने यह भी कहा कि मॉडल आंसर की को किस तरह से चैलेंज किया जा सकता है, जबकि जो आंसर दिए गए हैं, उनके द्वारा दस्तावेज देखकर तय किए हैं और यह आंसर की सभी पर लागू है। इस पर याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने भी परीक्षा विज्ञप्ति में दिए नियमों और विविध कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया और यह भी कहा कि हमारी आपत्तियां भी शासकीय मान्यता प्राप्त किताबों, दस्तावेज पर ही है।
कुछ प्रश्न तो गलत फ्रेम थे, इन्हें डिलीट करके सभी को नंबर दिया जाना चाहिए था। इसमें दो सवाल ज्यादा उठे, जिसमें एक सवाल मौलिक अधिकार से जुड़ा था और दूसरा स्पेमिंग, फिशिंग संबंधी मामले पर था। यह सवाल शुरू से ही विवादित रहे हैं। जस्टिस ने सभी के तर्क ध्यान सुने और आयोग का भी जवाब सुना और इसके बाद मामला अभी सुरक्षित रख लिया।
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