आज सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या ( Pitru Moksha Amavasya ) है। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम, जबलपुर समेत अन्य जिलों के नर्मदा घाट और बाबा महाकाल (Baba Mahakal ) की नगरी उज्जैन में क्षिप्रा नदी में स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से कष्ट और भूत-प्रेत की बाधा दूर होती है। पितरों के निमित्त तर्पण करने से भी सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।अमावस्या से ठीक एक दिन पहले नर्मदापुरम के सेठानी घाट पर श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। रातभर भजन-कीर्तन चलता रहा।
सेठानी घाट पर श्रद्धालुओं ने किया स्नान
नर्मदा के सेठानी, कोरी घाट, विवेकानंद घाट समेत सभी घाटों पर 150 से अधिक राजस्व, पुलिस और होमगार्ड के जवानों की तैनाती रही। एसडीओपी पराग सैनी (SDOP Parag Saini ) ने बताया कि रात 3 बजे से पुलिस और होमगार्ड ( Home Guard ) जवान तैनात हो गए थे। यहां नर्मदापुरम के अलावा बैतूल, छिंदवाड़ा, देवास, महू, भोपाल समेत कई शहरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।
क्षिप्रा नदी में लोगों ने लगाई डुबकी
उज्जैन की पवित्र क्षिप्रा नदी पर बने 52 कुंड में बुरी आत्माओं से मुक्ति पाने के लिए लोग डुबकी लगाने पहुंचे। बताया जा रहा है कि जिन लोगों ने श्राद्ध पक्ष में पूजन पाठ नहीं किया हो, वो जातक सर्व पितृ अमावस्या पर एक साथ तर्पण कर सकते हैं। स्कंद पुराण ( Skanda Purana ) में भी इसका उल्लेख मिलता है।
भूतड़ी अमावस्या को लेकर क्या है मान्यताएं
भूतड़ी अमावस्या के स्नान का महत्व तांत्रिकों का कहना है कि भूतड़ी अमावस्या विशेष रूप से अतृप्त आत्माओं की तृप्ति के लिए होती है। आज के दिन श्रद्धालु नदी में स्नान के बाद दान करते हैं। माना जाता है कि भूतड़ी अमावस्या प्रेत बाधाओं को दूर करने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। शास्त्रों के मुताबिक करीब 60 से 200 साल होती है प्रेत योनि की उम्र, भूत-प्रेतों के लिए एक तिथि भूतड़ी अमावस्या तय की गई है। अमावस्या की रात सबसे ज्यादा अंधकार वाली रात मानी गई है। खंडवा के पंडित गणेश मार्कंडेय कहते हैं कि शास्त्र के अनुसार 84 लाख योनि में एक प्रेत योनि भी होती है। इसमें अकाल मौत और जीवनभर पाप करने वाले को प्रेत योनि मिलती है।
क्या है भूतड़ी अमावस्या
जानकारी के लिए बता दें कि सर्व पितृ अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या ( Bhutri Amavasya ) के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष की समाप्ति का संकेत है। इसमें पितरों की विदाई की जाती है।
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