किसान की जिंदा रहने की लड़ाई, सड़क पर आई, ऑफिसों के लगा रहा चक्कर

मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का अजीब मामला सामने आया है, जहां किसान सुखलाल बर्डे को पोर्टल पर मृत घोषित कर दिया गया। इस गलती के चलते उनका बैंक खाता इनएक्टिव हो गया और योजना के तहत मिलने वाली राशि भी रुक गई।

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Sandeep Kumar
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मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि ( PM Kisan Samman Nidhi ) योजना के तहत एक किसान को पोर्टल पर मृत घोषित कर दिया गया है। किसान सुखलाल बर्डे खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। वह पिछले कई महीनों से अपने दस्तावेज लेकर तहसील और एसडीएम ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं ताकि उन्हें जिंदा घोषित किया जा सके और उनकी रुकी हुई राशि मिल सके।

किसान पोर्टल पर 'मृत' घोषित

मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के काला अंबा गांव के किसान सुखलाल बर्डे को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 2021 से रजिस्टर्ड किया गया था। शुरुआत में योजना की राशि समय पर मिलती रही, लेकिन अचानक उनका खाता इनएक्टिव हो गया। नवंबर 2024 में जब उन्होंने पोर्टल पर जानकारी निकाली तो पाया कि उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है। पोर्टल पर 'मृत' दिखाए जाने के कारण उनका बैंक खाता इनएक्टिव (Inactive) कर दिया गया और उन्हें पीएम किसान सम्मान निधि की राशि मिलनी बंद हो गई। यह जानकर किसान सुखलाल हक्का-बक्का रह गए और खुद को "जिंदा" साबित करने के लिए तहसील और एसडीएम ऑफिस के चक्कर लगाने लगे।

जिंदा रहने के सबूत लिए घूम रहा है किसान

सुखलाल ने 14 नवंबर 2024 को पानसेमल तहसीलदार के पास एक आवेदन देकर खुद को "जिंदा" घोषित करने की गुहार लगाई। उन्होंने अपने साथ B1 खसरा, समग्र आईडी और बैंक खाते से जुड़े सभी दस्तावेज भी पेश किए। लेकिन, अभी तक उन्हें न्याय नहीं मिला है।

किसान के साथी और पूर्व उपसरपंच तुलसीराम ने बताया कि सुखलाल जब बैंक से पीएम सम्मान निधि की राशि निकालने गए, तब उन्हें पता चला कि उनके खाते में पैसा आना बंद हो गया है। बाद में जब पोर्टल पर जानकारी निकाली गई, तो पता चला कि "मृत घोषित" किए जाने के कारण उनका खाता इनएक्टिव कर दिया गया है।

सरकारी गलती या सिस्टम की चूक !

इस पूरे मामले को लेकर पानसेमल के तहसीलदार सुनील सिसोदिया का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी मिल गई है और इसकी जांच की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक डेथ सर्टिफिकेट पोर्टल पर अपलोड नहीं होता, तब तक किसी भी किसान को मृत घोषित नहीं किया जा सकता। तहसीलदार के अनुसार, यह देखा जाएगा कि किस आधार पर किसान को मृत घोषित किया गया। किसी तकनीकी गड़बड़ी  या मानवीय भूल के कारण यह गलती हुई है, इसकी भी जांच की जाएगी।

सरकारी सिस्टम की चूक से परेशान किसान

किसान सुखलाल बर्डे पिछले कई महीनों से खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। सरकारी पोर्टल पर किसान को मृत दिखाने से उनका पीएम सम्मान निधि का पैसा रुक गया है। किसान के मुताबिक, वह पिछले कई हफ्तों से तहसील और एसडीएम कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है। उन्होंने पोर्टल पर हुई इस गलती को सुधारने के लिए B1 खसरा, समग्र आईडी, और बैंक खाता से जुड़े दस्तावेज भी पेश किए हैं। हालांकि, अभी तक पोर्टल पर कोई बदलाव नहीं किया गया है।

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