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BHOPAL. तीसरी बार देश की सरकार संभालने के साथ ही पीएम नरेन्द्र मोदी ( PM Narendra Modi ) ने प्रशासनिक व्यवस्था ( administrative law ) में कसावट शुरू कर दी है। पीएम ने केंद्रीय अधिकारी-कर्मचारियों समय पर ऑफिस पहुंचने की हिदायत भी दे दी है। लेकिन प्रदेश में सरकारी अमला सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। अधिकारी समय पर ऑफिस पहुंचते नहीं है और फायदा उठाकर कर्मचारी भी गायब रहते हैं।
वहीं परेशानियों के समाधान की गुहार लगाने पहुंचने वाले लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। यह स्थिति प्रदेश के किसी एक शहर या सरकारी दफ्तर की नहीं है। जिला और जनपद स्तर के सरकारी ऑफिस जहां खाली पड़े रहते हैं। अधिकारियों की जनता से दूरी परेशान लोगों में नाराजगी की वजह बन रही है। अधिकांश ऑफिसों में कर्मचारियों ने जरूरतमंदों को अफसरों से दूर रखने की स्वघोषित व्यवस्था ही बना ली है।
सरकारी दफ्तरों में भर्राशाही
प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में भर्राशाही का क्या हाल है ये किसी से छिपा नहीं है, लेकिन सरकार इस पर आंखें मूंदे बैठी है। द सूत्र की टीम मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान राजधानी के सरकारी कार्यालयों का हाल देखने पहुंची। तब जो स्थिति सामने आई वह व्यवस्था की हकीकत से पर्दा उठाने वाली थी। जनसुनवाई का दिन होने के बाद भी कई अधिकारी ऑफिसों में मौजूद नहीं थे। ज्यादातर कर्मचारी भी कार्यालयों से गायब थे।
जनसुनवाई के दिन भी खाली नजर आए ऑफिस
मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई में अपनी फरियाद सुनाने सुबह से ही लोग आ-जा रहे थे,लेकिन इसी परिसर में सुबह 11 बजे के बाद भी कई ऑफिसों से कर्मचारी गायब थे। यही नहीं कृषि, शिक्षा, राजस्व अधिकारी भी अपने कार्यालय नहीं पहुंचे थे। अधिकतर चेंबरों में कुर्सियां खाली पड़ी थीं और जो एक-दो कर्मचारी थे वे भी काम नहीं कर रहे थे। कमिश्नर कार्यालय में कर्मचारियों के केबिनों में सनाका खिंचा हुआ था और यहां भी गिने-चुने कर्मचारी ही लोगों से आवेदन लेकर समस्याएं सुन रहे थे।
डीपीसी, अपर आयुक्त, उपसंचालक भी गायब
जनसुनवाई के दिन सुबह 11.30 बजे जब द सूत्र की टीम जिला शिक्षा केंद्र पहुंची तो वहां सफाई चल रही थी। डीपीसी ओपी शर्मा तब तक कार्यालय नहीं पहुंचे थे और जो कर्मचारी आ गए थे वे भी गप्पबाजी में लगे थे। अपर आयुक्त ऊषा परमार का चेंबर भी खाली था। उनके कार्यालय के चेंबरों से कर्मचारी भी गायब थे। उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि सुमन पसारे भी समय पर ऑफिस नहीं आई थीं। जब उनके कर्मचारियों से उप संचालक के संबंध में पूछा तो वे यह भी नहीं बता पाए कि वे कब तक आएंगी।
लोगों से मिलना ही नहीं चाहते अधिकारियों
राजधानी के सरकारी ऑफिसों में लोगों से दूर रहने का कल्चर बन गया है। अपनी समस्याएं लेकर आने वाले लोगों से अफसर मिलना ही नहीं चाहते। करोंद क्षेत्र से आए रामगोपाल विश्वकर्मा ने बताया वे डीपीसी से मिलने आए हैं लेकिन 11.30 बजे तक साहब का पता ही नहीं है। वहीं कमिश्नर कार्यालय पहुंचे सीहोर, रायसेन के करीब दर्जनभर लोगों को साहब से मिलकर फरियाद सुनाने का मौका ही नहीं मिला और वे कर्मचारियों को आवेदन देकर लौट गए।
सीहोर से आए विनोद सुतार का कहना था सरकारी अधिकारी परेशान लोगों से मुलाकात तक नहीं करना चाहते। किसी तरह कोशिश करके उनके सामने पहुंच भी जाएं तब भी पूरी समस्या सुने बिना ही उन्हें चलता कर दिया जाता है। कर्मचारियों का रवैया तो और भी खराब है वे अधिकारियों के बारे में पूछने पर भी आंखें दिखाने लगते हैं।
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