JABALPUR. मध्य प्रदेश के पुलिस थाना परिसरों में बने मंदिरों के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को आदेशित किया है कि प्राचीन मंदिरों साहित सभी पुलिस थानों में बने हुए मंदिरों की निर्माण की डेट के साथ जानकारी दी जाए, कोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर में पुलिस थानों में बने मंदिरों की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार के जवाब पेश न करने पर नाराजगी जताई।
हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डबल बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। जिसमें सरकार के द्वारा पिछली सुनवाई के अनुसार जानकारी देने की जगह कुछ आपत्तियां दर्ज की गई थी। जिस पर कोर्ट ने सरकार को आदेशित किया है कि 6 जनवरी तक जबलपुर के पुलिस थानों में बने मंदिरों की पूरी जानकारी जवाब में पेश करें।
यह याचिका सुनवाई योग्य ही नहीं
चीफ जस्टिस की डबल बेंच में हुई इस मामले की सुनवाई के दौरान शासन की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि यह याचिका सुनवाई योग्य ही नहीं है क्योंकि मध्य प्रदेश सार्वजनिक स्थान धार्मिक भवन एवं गतिविधियों का विनियमन अधिनियम 2001 की धारा 6 के अंतर्गत इस तरह के निर्माण को तोड़ने के पावर कलेक्टर के पास है। इसलिए इस याचिका की सुनवाई नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने इसके बाद याचिकाकर्ता से पूछा कि वह नए निर्माणों को रोकने की याचिका कर रहे हैं या अतिक्रमण को हटाने की जिस पर याचिकाकर्ता ने नए निर्माणों को रोकने पर सहमति जताई।
कई थानों में प्राचीन मंदिर
शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट के सामने यह पक्ष रखा कि अभी की स्थिति में किसी भी मंदिर का निर्माण नहीं किया जा रहा है क्योंकि इस मामले में कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया। इसके साथ ही कोर्ट को बताया गया कि कुछ थानों में स्थित मंदिर बहुत ही प्राचीन है। पूछा कि आखिर किस नियम के तहत अपने शासकीय भूमि में मंदिरों का निर्माण करवाया है। इसके बाद कोर्ट ने सरकार से सभी थानों में स्थापित मंदिरों की लिस्ट मांगी है। जिसमें सरकार को प्राचीन मंदिर सहित नए मंदिर और अभी अर्ध निर्मित मंदिरों की दिनांक वार जानकारी देनी होगी ।
अभी भी हो रहा है मंदिरों का निर्माण
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सतीश वर्मा ने पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि अभी भी कुछ थानों में मंदिरों का निर्माण चल रहा है। इसके बाद कोर्ट ने शासन को स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। इसके साथ ही प्रतिवादियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए अंतरिम आदेश का पूरी तरह से पालन हो। इस मामले में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के द्वारा हस्तक्षेप किया गया था।
अगली सुनवाई 6 जनवरी 2025 को
बार एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, जिस पर कोर्ट ने उन्हें अगली सुनवाई तक इंतजार करने के लिए कहा। कोर्ट ने हस्तक्षेपकर्ता से कहा कि पहले सरकार का जवाब आने दीजिए उसके बाद आपको भी सुनवाई का पूरा मौका मिलेगा। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी 2025 के दिन तय की गई है।
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