चलिए आज आपको अफसर-बिल्डर और नेताओं के गठजोड़ के एक जोरदार मामले से रूबरू करवाते हैं। एक किसान हैं सागर के मुकुल बिजोलिया। कोई 25 एकड़ की जमीन के मालिक। उनकी जमीन सागर मुख्यालय से ही लगे ग्रामीण क्षेत्र भमोरी रैंगवा में पड़ती है। कोई 12 साल पहले धर्मश्री इलाके को सीधे भोपाल रोड पर जोड़ने के लिए एक रोड स्वीकृत हुई थी। अन्य ग्रामीणों के साथ ही मुकुल बिजोलिया भी खुश थे कि उनकी दिक्कतें कम होंगी। इसलिए रोड के लिए अपनी 40000 वर्ग फिट जमीन भी सरकार को अधिग्रहण पर देने के लिए तैयार थे। मगर तब कभी इस उलझन तो कभी उस उलझन ने रोड को बनने ही नहीं दिया। और बात आई गई हो गई…
अब इस गांव में बिल्डरों ने जमीनें खरीद ली हैं। कॉलोनियां काट रहे हैं, मगर धर्मश्री अभी भी है ग्रामीण क्षेत्र में ही। खैर सागर स्मार्ट सिटी हो गया है। विकास की बहार है और ये विकास है कि नियम- कायदों को धता बताकर धर्मश्री क्षेत्र में भी स्मार्ट सिटी मद से 75 फिट चौड़ी रोड डालने पर उतारू है। विधायक शैलेंद्र जैन, जिला प्रशासन और मातहत कर्मचारी तक रोड डालने पर उतारू हैं… 12 साल से रोड का इंतजार कर रहे मुकुल बिजोलिया से कह रहे हैं कि विकास के नाम पर अपनी जमीन दान कर दो ! दबाव है कि विकास के लिए इतना भी न कर सकोगे? है न कमाल! एक और कमाल तो रह ही गया। हम इस जबरा विकास के अंतिम लाभार्थी का नाम बताना तो भूल ही गए- दरअसल वो है- बिल्डर गोलू रिछारिया… गोलू भैया डायरेक्ट इन डायरेक्ट विधायकजी के समर्थक बताए जाते हैं। ये हम नहीं कह रहे, सिस्टम से पीड़ित किसान मुकुल बिजोलिया की आवाज है… उनका अधिकृत बयान है…
कॉलोनियां कटीं तो रोड की याद आई
धर्मश्री के ग्रामीण इलाके में सस्ती जमीनें खरीदकर बिल्डरों ने कॉलोनियां काट दी हैं। अब भोपाल रोड से इस क्षेत्र की कनेक्टीविटी के लिए 75 फीट चौड़ी रोड का प्लान है। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि रोड बनने की बात सुनकर लोग खुश नहीं हैं, लेकिन मुकुल बिजोलिया जैसे लोग भी हैं, जिनको जबरन ही अपनी जमीन सरकार को दान करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। किसान मुकुल बिजोलिया का आरोप है कि यह सब बिल्डर गोलू रिछारिया की कॉलोनी के लिए स्थानीय विधायक शैलेंद्र जैन के दबाव में किया जा रहा है। मुकुल बिजोलिया का आरोप है कि इस मामले में जिले के अफसर अतिरिक्त रुचि दिखा रहे हैं। यहां तक कि उसे एसडीएम विजय डेहरिया और तहसीलदार और पटवारी सौरभ के माध्यम से मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। यही नहीं 12 साल पहले जिस जगह से रोड स्वीकृत की गई थी, उसका नक्शा तो बदला ही गया साथ ही 40 फीट के रोड को बढ़ाकर 75 फीट का कर दिया गया है। इससे जहां पहले किसान मुकुल बिजोलिया की सिर्फ 40000 वर्गफीट जमीन जा रही थी, नए प्लान में दो एकड़ जमीन देना पड़ेगी।
अधिग्रहण नहीं, जमीन दान करने का दबाव
इस मामले में किसान का आरोप है कि नए सिरे से बनने वाले रोड को लेकर उस कोई आपत्ति नहीं है। किसान का कहना है कि उसे तो बस नियमानुसार जमीन का अधिग्रहण करके उसे मुआवजा दे दिया जाए। लेकिन अफसरों का दबाव है कि जमीन दान कर दो। बता दें कि ग्रामीण क्षेत्र में कलेक्टर रेट पर जमीन अधिग्रहण करने पर बाजार मूल्य का दोगुना तक मुआवजा मिल सकता है।
परेशान करने किसान की फौती दर्ज करवाई
किसान का आरोप है कि प्रशासन ने जबरन उसकी जमीन पर फौती दर्ज करवा दी है। बता दें कि जब किसी अचल संपत्ति के असली मालिक की मृत्यु हो जाती है तो उसके वारिसों में संपत्ति का वितरण करने के लिए फौती दर्ज करवाई जाती है। इसे नामांतरण भी कहा जाता है। इस मामले में किसान की जमीन के असली मालिक उसके पिता थे। जिनकी मृत्यु के बाद किसान जमीन का मालिक है, मगर प्रशासन ने फौती दर्ज कर उसकी बहनों को भी संपत्ति का मालिक बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। किसान का आरोप है कि यह सब उसे परेशान करने के लिए किया जा रहा है।
पहली बार आई है शिकायत
धर्मश्री क्षेत्र में ट्रैफिक की समस्या को हल करने के लिए जनसहयोग से इस रोड के निर्माण का प्लान है। चूंकि जमीन अधिग्रहण के लिए जिला प्रशासन के पास कोई अतिरिक्त फंड नहीं है। इस कारण सभी से जमीन दान करने का आग्रह किया जा रहा है। अगर किसी किसान या व्यक्ति को आपत्ति है तो रोड को नहीं बनाएंगे।
दीपक आर्य, सागर कलेक्टर