आशीष अग्रवाल
ग्वालियर
यूं तो ग्वालियर के नाते प्रभात झा जी से मेरा संबंध पुराना है। मेरे पिता के समय सदर बाजार स्थित निवास पर आते मैंने उन्हें कई बार देखा। निवास पर आकर पिता जी के साथ ठहाके लगाना, बातें करना और मुझे प्रेम स्वरूप आशीर्वाद देने का वह चित्र मेरी स्मृतियों में आज भी तरोताजा है।
अभी कुछ दिन पहले की ही बात है, मैंने और प्रभात जी ने ग्वालियर से भोपाल का सफर ट्रेन से तय किया। यात्रा एवं खान-पान के दौरान उन्होंने कई किस्से शेयर किए। मैं बार-बार उनसे कहता कि अब आप आराम कीजिए, मैं ऊपर की सीट पर चला जाता हूं...लेकिन वो कहते कि तुम्हें आराम करना है तो तुम जाओ, पर मुझे चर्चा में आनंद आ रहा है। इसके बाद निरंतर रात 8 बजे से 1 बजे तक मैंने उनके कई राजनैतिक किस्सों का आनंद लिया और इस बीच कब ग्वालियर से भोपाल आ गया, पता ही नहीं चला। उस वक्त लगा ही नहीं था कि ये मेरा उनके साथ आखिरी सफर होगा।
प्रभात जी ने जीवन में बड़ी कर्मठता से एक मुकाम हासिल किया। आप सदैव बीजेपी के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहेंगे। आपके जाने से जो रिक्तता आई है, उसकी कमी कोई पूरा नहीं कर सकेगा, पर आपकी स्मृतियां पार्टी के साथ रहेंगी।
पत्रकारिता का क्षेत्र हो या फिर राजनीति प्रभात जी की कुशलता और कर्मठता प्रशंसनीय है। कुशल कलमकार, मार्गदर्शक एवं सगंठनकर्ता के रूप में आपका जीवन सदैव प्रेरणादायी है।
जब मैं प्रदेश प्रवक्ता नियुक्त हुआ तो प्रभात जी का फोन आया। उन्होंने मुझे आशीर्वाद और निरंतर मार्गदर्शन देने का आश्वासन दिया। उसके बाद जब मैं मीडिया प्रभारी बना तो फोन पर हंसकर बोले कि अब तो तुमसे मिलने कार्यालय आना है। इसके बाद मैं आशीर्वाद लेने उनके निवास पर गया, जहां उन्होंने मुझे भविष्य की कई समझाइशें अपने अनुभव से प्रदान कीं।
लोकसभा चुनाव के बाद वो कार्यालय आए और किसी कारणवश में उनसे मिल नहीं पाया, जिसके बाद फोन पर हमारा वार्तालाप हुआ तो उन्होंने कहा कि तुम्हारे लिए अपना प्यार तुम्हारे कक्ष में छोड़ आया हूं।
जब मैं कार्यालय आया तो देखा कि वो ये पत्र मेरे लिए कक्ष में आशीर्वाद और प्रोत्साहन स्वरूप छोड़ गए...!
(लेखक मध्यप्रदेश बीजेपी के मीडिया प्रभारी हैं।)
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