कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की राधा रानी और बरसाना से जुड़ी एक टीप से खड़ा हुआ विवाद अब लगभग सुलझ गया है। इस मामले में पंडित मिश्रा के विरोध के लिए उतरे संत स्वामी प्रेमानंद महाराज की नाराजगी शांत हो गई है।
इसकी वजह बनी पंडित मिश्रा और महाराज के बीच हुई फोन पर बीतचीत, जो मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कराई।
इस तरह हुई सुलह, पंडित मिश्रा ने जताया खेद
शुक्रवार रात पंडित मिश्रा ने स्वामी प्रेमानंद से फोन पर संपर्क कर अपने कथन के लिए माफी मांगी तो स्वामीजी ने कहा, आवेश में कह गए शब्दों के लिए मुझे भी दुख है। उन्होंने अपने कथन पर खेद भी व्यक्त किया। इन दिनों पंडित मिश्रा की कथा ओंकारेश्वर के नजदीक चल रही है।
शुक्रवार को मंत्री कैलाश विजयवर्गीय इस कथा में शामिल होने पहुंचे थे। कथा के बाद जब उनका पंडित मिश्रा से बात हुई तो इसमें यह मुद्दा भी उठा। पंडित मिश्रा की बात सुनने के बाद उन्होंने दोनों के बीच चर्चा की पहल की।
फोन पर यह हुई चर्चा
इसके बाद पंडित मिश्रा ने वहीं से स्वामी प्रेमानंद को फोन लगाया। उन्होंने कहा कि स्वामीजी जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, वह आधा-अधूरा है, इस कारण पूरी बात आपके सामने नहीं आ पाई।
यह वीडियो 14 साल पहले महाराष्ट्र के कमलापुर में हुई मेरी कथा का है और इसे काट-छांटकर वायरल किया गया है। पंडितजी ने कहा कि यदि मेरी वाणी से आपको ठेस पहुंची है तो मैं क्षमा भी चाहता हूं, मुझे माफ करें।
स्वामी प्रेमानंद ने कहा कि वीडियो जिस तरह से आया था, इसके कारण मैं गुस्से में था, इसलिए मैंने बयान दिया। मैं भी खेद प्रकट करता हूं। बताया जा रहा है कि इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट पर पंडित मिश्रा को लेकर की गई कड़ी टिप्पणी को डिलीट भी कर दिया।
क्या कहा था पंडित मिश्रा ने?
दोनों के बीच विवाद और तल्ख टिप्पणियों की शुरुआत सोशल मीडिया पर उस वीडियो के वायरल होने के बाद हुई थी, जिसमें पंडित मिश्रा ने राधा रानी को लेकर कहा कि वह बरसाना के रहने वाली नहीं थी।
श्रीकृष्ण की पत्नियों में राधा का नाम नहीं है और राधा के पति का नाम अनेक घोष है, उनकी सास का नाम जटिला और ननद का नाम कुटिला था। इसी वीडियो में उन्होंने श्रद्धालुओं से यह सवाल किया था कि बताओ राधाजी कहां की है, जिस पर जवाब मिला था कि बरसाना की।
तब पंडित मिश्रा ने कहा था, वह बरसाना की नहीं रावल गांव की रहने वाली थी राधाजी। इसके बाद पंडित मिश्रा के खिलाफ गुस्सा उभरा था, इंदौर में उनका पुतला भी फूंका गया।
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