गर्भवती महिला को अंधेरे में कुर्सी पर बैठाकर 3 किमी दौड़े परिजन, इस गांव में नारकीय जीवन जी रहे लोग

आज भी कई लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के बालाघाट के एक गांव का है। जब एक गर्भवती महिला को उसके परिजन कुर्सी पर बैठाकर रात के अंधेरे में तीन किमी ले गए।

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Madhav Singh
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मध्यप्रदेश के बालाघाट में एक मामला चर्चा में बना हुआ है। जब रात में एक गर्भवती महिला को उसके परिजन कुर्सी पर बैठाकर करीब तीन किमी तक ले गए। यहां पहुंचने पर उन्हें एंबुलेंस मिल गई। बताया जाता है कि यह इलाका जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर है। इस गांव में लोगों के मूलभूत सुविधाओं के लिए भी जूझना पड़ता है। 

कहां की है घटना

यह घटना 30 सितंबर की बताई जा रही है। गांगुलपारा की रहने वाली निर्मला उइके की देर रात को अचानक तबीयत खराब हो गई।  उसके नाक और मुंह से खून आने लगा। यह देख परिजन घबरा गए। उसे अस्पताल ले जाने के लिए तुरंत एंबुलेंस को फोन लगाया। एंबुलेंस तो आ गई, लेकिन उस तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं थी। ऐसी परिस्थिति में परिजनों ने निर्मला को प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठाकर ले गए। उन्हें करीब 3 किलोमीटर तक अंधेरे में चलना पड़ा। जहां से उन्हें एंबुलेंस मिल पाई। 

सुविधाओं से वंचित है गांव

बताया जाता है कि गांगुलपारा गांव में करीब 35 जनजाति परिवार रहते हैं और इनकी संख्या करीब 150 है। ये लोग आज भी सुविधाओं से वंचित है और नरकीय जीवन जी रहे हैं। यहां न तो कोई सड़क है और न किसी तरह का पुल। बारिश के मौसम में यह इलाका पूरी तरह से कट जाता है।

बारिश के मौसम में हालात और खराब

ग्राम गांगुलपारा की सरपंच रश्मी तारा कावरे ने बताया कि बारिश में गांव वाले काफी परेशान रहते हैं। अगर किसी की तबीयत खराब हो जाए या कोई इमरजेंसी हो तो शहर तक पहुंचना लगभग असंभव हो जाता है। 

क्या कहा डॉक्टर ने

डॉक्टरों ने बताया कि निर्मला की हालत ठीक नहीं थी, लेकिन अब तबीयत में सुधार है। प्रेग्नेंसी में ब्लड क्लोट होने की वजह से तबीयत बिगड़ गई थी। 

 

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