भोपाल. मंत्रालय से लगे हुए सरकार के दो महत्वपूर्ण प्रशासनिक भवन सतपुड़ा ( Satpura Bhavan ) और विंध्याचल ( Vindhyachal Bhavan ) भवनों को हाईटेक तरीके से बनाने की तैयारी की जा रही है। इन भवनों को रिडेंसिफिकशन स्कीम ( redensification scheme ) में बनाए जाने की फाइल जीएडी से पीडब्ल्यूडी के बीच दौड़ रही है। यदि ऐसा होता है तो इन भवनों की जमीन बिल्डर को दी जाएगी और वे यहां पर अपनी हाईराइज बिल्डिंग बनाकर कॉर्पोरेट हाउस को बेंचेगे। ऐसा होने पर मंत्रालय की डिग्निटी ही खत्म हो जाएगी। साथ ही मंत्रालय के पास और दोनों प्रशासनिक भवनों के कैंपस में कॉर्पोरेट ऑफिस आने से गोपनीयता भंग होने का डर बना रहेगा। इसके साथ सुरक्षा का मुददा भी आड़े आएगा।
सतपुड़ा भवन में आग के बाद बना प्रस्ताव
सतपुड़ा भवन में 12 जून 2023 को भयंकर आग लगने के बाद से इस बिल्डिंग की मजबूती पर सवाल उठे थे। अग्निकांड की जांच के लिए बनाई गई समिति ने 287 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें बिल्डिंग के नवीनीकरण की बात भी कही गई थी। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीडब्ल्यूडी से सतपुड़ा और विंध्याचल भवनों के नवीनीकरण प्रस्ताव तैयार करने को कहा था। इस पर पीडब्ल्यूडी ने सरकार को 160 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर दिया था। इसमें कहा गया था कि दोनों भवनों का नवीनीकरण नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया 2016 (एनबीसी 2016) सुरक्षा दिशा निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। दोनों बिल्डिंगों के स्ट्रक्चरल हेल्थ की जांच की जाएगी और उसे स्ट्रांग किया जाएगा। वर्तमान समय के लोड और मांग के अनुरूप इलेक्ट्रिक फिटिंग की जाएगी। हाईटेक फायर सिस्टम और अत्याधुनिक भवन विकसित किया जाएगा। इससे भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए इमारत को तैयार किया जाएगा। तत्कालीन शिवराज सरकार ने उक्त प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी थी, लेकिन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के कारण उक्त प्रस्ताव पर काम नहीं हो सका। सरकार बनने के बाद डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री बन गए। अब ऐसे में नए सिरे से सतपुड़ा और विंध्याचल भवनों के निर्माण को लेकर अफसर बैठक कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि मुख्य सचिव वीरा राणा से चर्चा होने के बाद जीएडी के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव डीपी आहुजा से दोनों भवनों को रिडेंसिफिकेशन स्कीम में बनाने का प्रस्ताव बनाने को कहा है।
क्या है रिडेंसिफिकेशन स्कीम
इस स्कीम में सरकार अपने पुराने भवन या जमीन को प्राइवेट डेवलपर से डेवलप करवाती है। इसमें डेवलपर को जमीन का एक हिस्सा दिया जाता है, जिससे वो सरकार की बिल्डिंग या प्रोजेक्टस को पूरा करने का खर्च निकाल सके। डेवलपर चाहे तो उस जमीन को बेच कर या उसे डेवलप करके अपने प्रोजेक्ट बेचकर अपना खर्च निकाल सकता है।