प्राथमिक शिक्षकों की 30 दिन में हो नई पदस्थापना, जबलपुर HC का निर्देश

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आरक्षित वर्ग (SC, ST और EWS) के प्राथमिक शिक्षकों को पसंद के स्कूल में पदस्थ न करने के मामले में अपना फैसला सुनाया है।

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Neel Tiwari
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HIGH COURT JABLPUR.
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आरक्षित वर्ग (SC, ST और EWS) के प्राथमिक शिक्षकों को पसंद के स्कूल में पदस्थ न करने के मामले में अदालत ने अपना फैसला जारी किया। हाईकोर्ट ने कहा कि SC ,ST और EWS के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को उनकी प्रथम वरीयता पर पदस्थापित होने का अधिकार है। कोर्ट ने इन शिक्षकों की पोस्टिंग के लिए 30 दिन का समय दिया है।

च्वाइस न होने के बाद भी नियुक्ति

जबलपुर हाईकोर्ट में लगभग आरक्षित वर्ग के 50 से अधिक अभ्यर्थियों के द्वारा ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट के द्वारा ट्राइबल एरिया के स्कूलों में नियुक्ति किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई है। साल 2023 में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में आरक्षित वर्ग में मेरिट में आए अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में माइग्रेट करके उनकी नियुक्ति ट्राइबल एरिया के स्कूलों में कर दी गई थी। वहीं स्कूली शिक्षा विभाग के द्वारा संचालित स्कूलों में प्रथम वरीयता करते हुए च्वाइस फिलिंग की गई थी। उन्होंने ट्राइबल वेलफेयर के स्कूलों के लिए च्वाइस की ही नहीं थी। हालांकि, उसके बाद भी उनकी नियुक्तियां की गईं।

SC और MP की आरक्षित वर्ग पॉलिसी का दिया हवाला 

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि आरक्षित (SC, ST और EWS) वर्ग के मेरिट में आए छात्रों को ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट के द्वारा प्राथमिक शिक्षकों को अनारक्षित वर्ग में माइग्रेट किया गया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कानून और मध्य प्रदेश शासन के आरक्षित वर्ग पॉलिसी का हवाला देते हुए बताया है। यदि आरक्षित वर्ग मेरीटोरियस ( प्रतिभावान) है और उसके नंबर अनारक्षित अभ्यर्थी के बराबर है तो उसकी पोस्टिंग के समय उसकी वरीयता को ध्यान में रखते हुए प्रथम वरीयता के आधार पर ही उसकी नियुक्ति की जाएगी। 50 से अधिक अभ्यर्थियों के द्वारा स्कूली शिक्षा विभाग के स्कूलों के लिए अपनी च्वाइस फिलिंग की गई थी। लेकिन उनकी नियुक्तियां ट्राइबल वेलफेयर डिपार्मेंट के स्कूलों में की गई। जबकि अभ्यर्थियों ने ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट के स्कूलों के लिए च्वाइस फिल ही नहीं की थी।

अभ्यार्थियों के घरों से 500 किमी दूर की गई नियुक्तियां

अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि अभ्यर्थियों के द्वारा ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट के स्कूलों की च्वाइस नहीं की गई थी। लेकिन ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट के द्वारा इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति उनके गृह शहर से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर की गई।

स्कूली शिक्षा विभाग के कमिश्नर को जारी हुए निर्देश 

हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ में हुई। इसमे मध्य प्रदेश के संदर्भ में प्रवीण कुमार कुर्मी बनाम मध्य प्रदेश राज्य के आदेश में जो गाइडलाइन है ,उसको फॉलो करते हुए कोर्ट के द्वारा दायर तीनों याचिकाओं को स्वीकार किया गया। साथ ही मप्र स्कूली शिक्षा विभाग के कमिश्नर को निर्देश जारी करते हुए ट्राइबल विभाग में की गई नियुक्तियों को स्कूली शिक्षा विभाग में स्थापना परिवर्तित करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है।

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