मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) के चीफ इंजीनियर एससी वर्मा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर किसी कर्मचारी को स्थाई किया जाता है, तो उन्हें नियमितीकरण की प्रक्रिया उमादेवी प्रकरण के तहत की जाए। चीफ इंजीनियर ने इस आदेश को न केवल नजरअंदाज किया, बल्कि बिना किसी विचार के एक कम्प्लाइंस रिपोर्ट पेश की, जिसमें दावा किया गया कि सभी दैनिक वेतन भोगियों को नियमित कर दिया गया है।
कोर्ट का आदेश
कोर्ट का कहना था कि जब कर्मचारी को स्थाई किया जाता है, तो उनके नियमितीकरण के लिए उमादेवी प्रकरण का पालन किया जाना चाहिए, और इसके बाद कोर्ट ने रिपोर्ट की मांग की थी। हालांकि, चीफ इंजीनियर एससी वर्मा ने बिना सोच-समझ के रिपोर्ट पेश कर दी, जिसमें यह कहा गया कि सभी कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया है। इस पर जस्टिस विवेक अग्रवाल ने मंगलवार ( 25 मार्च ) को सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि पीडब्ल्यूडी के अपर मुख्य सचिव को तीन महीने के भीतर विभागीय जांच की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया जाए। कोर्ट ने एससी वर्मा पर 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया और कहा कि यह राशि हाईकोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के खाते में जमा की जाए।
पहली बार जुर्माना
यह पहला मौका है जब किसी चीफ इंजीनियर पर कोर्ट ने जुर्माना लगाया है और विभागीय जांच का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह स्थिति पीडब्ल्यूडी के लिए चिंताजनक है, और इस तरह के कदाचरण की जांच जरूरी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिकारी ने जानबूझकर अदालत को गुमराह करने का प्रयास किया, जो कि एक गंभीर मामला है।
न्यायालय की टिप्पणी
वहीं कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकारी आंखों पर पट्टी बांधकर काम नहीं कर सकते, और अगर वह कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करते, तो अगले सुनवाई में उन्हें पुनः हाजिर रहना पड़ेगा। जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कहा कि इस मामले में सीई (चीफ इंजीनियर) की कारगुजारी पर गहरी जांच होनी चाहिए।
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