सरकार को 15 करोड़ का चूना लगाने वाले एलएन मालवीय इंफ्रा को बचा रहे अफसर
एनडीबी- पीडब्लूडी ने जांच के लिए ईओडब्लू को टेंडर के दस्तावेज देने से किया इनकार
पीडब्लूडी और एनडीबी के अफसर अब ईओडब्लू के शिकंजे में फंसी कंपनी एलएन इंफ्रा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के बचाव में उतर आए हैं। अधिकारियों ने सरकारी खजाने में 15 करोड़ का चूना लगाने के मामले की जांच कर रही सरकारी एजेंसी ईओडब्लू को दस्तावेज उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया है। इसके लिए पीडब्लूडी- एनडीबी अफसरों के सुर मिले नजर आ रहे हैं।
एनडीबी डायरेक्टर ने तो जांच में सहयोग से इनकार कर नियम- कायदों का हवाला देते हुए चिट्ठी भी भेज दी है। यानी सरकार का एक विभाग फर्जीवाड़े को दबाने के चक्कर में अब सरकारी जांच एजेंसी से भी भिड़ने तैयार हो गई है।
पहले आपको याद दिला दें एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड पर लगे आरोप और ईओडब्लू द्वारा दर्ज केस क्या है। दरअसल सरकारी प्रोजेक्ट्स में कंसल्टेंट और क्वालिटी कंट्रोल सर्विस देने वाली कंपनी एलएन मालवीय इंफ्रा ने जबलपुर क्षेत्र सहित अन्य जिलों में सड़क और पुल निर्माण के प्रोजेक्ट्स का टेंडर हासिल किया था।
इस टेंडर के लिए करीब 13 करोड़ की कास्ट थी, लेकिन भुगतान दोगुने से ज्यादा हुआ। इसी मामले में शिकायत पर ईओडब्लू ने पड़ताल करते हुए कंपनी के डायरेक्टर लक्ष्मीनारायण मालवीय सहित पीडब्लूडी के पूर्व ईएनसी नरेन्द्र कुमार, एसई एमपी सिंह, फाइनेंसियल एडवाइजर आरएन मिश्रा और एई सजल उपाध्याय पर केस दर्ज किया था।
अफसरों ने की गड़बड़ी पर पर्दा डालने की कोशिश
सरकारी खजाने में सेंध और धोखाधड़ी से जुड़े इस केस की पड़ताल के लिए पिछले दिनों ईओडब्लू ने लक्ष्मीनारायण मालवीय के ऑफिस की तलाशी भी ली है। ईओडब्लू की जांच की तेजी को देखते हुए जहां एक ओर कंपनी के डायरेक्टर लक्ष्मीनारायण मालवीय राजनीतिक- प्रशासनिक जोड़तोड़ में जुट गए हैं।
वहीं पीडब्लूडी- एनडीबी के अफसर भी गड़बड़ी पर पर्दा डालने के जतन कर रहे हैं। उधर ईओडब्लू के अफसर अपनी कार्रवाई को नियम संगत बताकर जांच जारी रखने की बात कर रहे हैं। ऐसे में सरकार की ही दोनों एजेंसियों में टकराव की स्थिति बनना तय है।
पीडब्लूडी के अफसरों पर भी उठे सवाल
कंपनी को करोड़ों का मुनाफा देकर जेबें भरने वाले अफसरों ने ईओडब्लू की जांच में अड़ंगा डालने नया पैंतरा भी खोज लिया है। कंपनी की पड़ताल में ईओडब्लू की जांच रोकने की कोशिश पीडब्लूडी के अफसरों पर भी सवाल खड़े कर रही है। हद तो यह है कि एनडीबी यानी न्यू डेव्लपमेंट बैंक के अफसर द्वारा जो चिट्ठी ईओडब्लू को भेजी गई वह मीडिया में वायरल कैसे हो गई। यानी इस चिट्ठी को वायरल कराते हुए कंपनी या एनडीबी का ही कोई अफसर ईओडब्लू पर दबाव बनाना चाहता है।
अफसर ने सरकार की जांच एजेंसी को लिखी चिट्ठी
अब आपको उस चिट्ठी का मजमून बताते हैं जो एक सरकारी अफसर ने सरकार की ही जांच एजेंसी को लिखी है। इस चिट्ठी की भाषा पढ़कर आप अंदाजा लगा सकेंगे कि आखिर अफसर या उनके विभाग की मंशा क्या है।
चिट्ठी एनडीबी डायरेक्टर बीपी बौरासी कार्यालय प्रमुख अभियंता पीडब्लूडी भोपाल के हस्ताक्षर से भेजी गई है। ईओडब्लू यानी आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ जबलपुर के डीएसपी एवी सिंह के संबोधित चिट्ठी का विषय आर्थिक अनियमिता से जुड़े इस मामले की जांच के लिए एनडीबी से दस्तावेज जब्त करना है। ईओडब्लू ने यह दस्तावेज एनडीबी से मांगे थे।
पीडब्लूडी के एनडीबी डायरेक्टर की चिट्ठी में साफ तौर पर कहा गया है कि विभाग ईओडब्लू को जांच के लिए टेंडर या भुगतान से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं सौंपेगा। इसमें टेंडर और दर्ज अपराध का उल्लेख भी है। वहीं बताया गया है कि राज्य मार्ग, मुख्य जिला मार्गों पर पुल निर्माण के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार से अनुमति ली गई थी।
टेंडर नियमों के अनुसार दिया गया था। इसके साथ ही चिट्ठी में लिखा है भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत राज्य सरकार की अनुमति के बिना सरकारी अधिकारी के काम की जांच या पूछताछ नहीं की जा सकती है। पहले राज्य सरकार से अनुमति लेकर सक्षम अधिकारी के माध्यम से पत्र भेजे जिसके बाद ही दस्तावेज उपलब्ध कराए जा सकेंगे। इस चिट्ठी के बाद अब गेंद ईओडब्लू के पाले में आ गई है। वहीं अब तक सरकार की ओर से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया या आदेश जारी न होने से असमंजस बना हुआ है।
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