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News Strike : बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और संविधान के नाम पर हुई रैली के लिए कांग्रेस ने महू को ही क्यों चुना। प्रियंका गांधी पार्टी की इस रैली में क्यों शामिल नहीं हुई। और सबसे बड़ा सवाल की इतनी अहम रैली में भी राहुल गांधी कुछ गलतियां करने से बच क्यों नहीं सके। महू में कांग्रेस की रैली से जुड़े इन तमाम सवालों पर चर्चा होगी। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि संभवत: यह पहला मौका है जब प्रदेश का कोई शहर अचानक राजनीति का केंद्र बन गया है।
सिर्फ छाने ही नहीं, चमकने लगा महू
आमतौर पर राजनीतिक रूप से सुस्त रहने वाला हमारे मध्य प्रदेश का एक छोटा सा शहर देश के राजनीतिक मानचित्र पर छाने लगा है। सिर्फ छाने ही नहीं, चमकने लगा है। ये शहर महू है। इसके नाम को लेकर ही पिछले कुछ दिनों से सियासत गरमाई हुई है। साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों की मानें तो महू की आबादी 85 हजार 23 है। अब इतने सालों में इसमें थोड़ी बहुत बढ़ोतरी भी हुई होगी तो ज्यादा नहीं हुई होगी। इस बात पर यकीन किया जा सकता है। फिर इस शहर में ऐसा क्या है कि अचानक यहां राजनीति जमाने की होड़ मच गई है। ये तो आप सभी जानते ही होंगे कि महू संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली है।
कांग्रेस को मिला ब्रह्मास्त्र
अब समझते हैं इस से जुड़ी सियासत और उस सियासत की वजह। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता Rahul Gandhi ने संविधान की प्रतियां खूब लहराईं और संविधान बचाने का नारा बुलंद किया। इसका असर ये हुआ कि बीजेपी के अब की बार चार सौ पार के नारे की हवा निकल गई। इसके बात से बाबा साहेब अंबेडकर और संविधान के नाम पर कांग्रेस का कॉन्फिडेंस और जोश दोनों हाई है। इसी बीच कांग्रेस के इस पैंतरे को काउंटर करते समय केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा कि जितना अंबेडकर अंबेडकर करते हैं, उतना अगर भगवान का नाम लेते तो शायद भला हो जाता। लेकिन ये बयान बीजेपी पर ही बैक फायर कर गया। और, कांग्रेस को इस बयान के नाम पर एक ऐसा ब्रह्मास्त्र मिल गया। जिसके जरिए दलित तबके के वोटबैंक को और मजबूत किया जा सकता है। महू उसी ब्रह्मास्त्र के पहले परीक्षण की जमीन बना है। जहां कांग्रेस ने विशाल रैली आयोजित की। इस रैली में राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी को भी आना था। साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी रैली में शामिल होने वाले थे। सब कुछ तयशुदा रहा लेकिन ऐन वक्त पर प्रियंका गांधी का आना टल गया। इसकी क्या वजह रही इस पर कांग्रेस तो खामोश बनी हुई है लेकिन बीजेपी ने कांग्रेस पर तंज करने का मौका नहीं छोड़ा।
राहुल गांधी कार्यकर्ता की वैल्यू खूब अच्छे से समझ चुके
कांग्रेस ने इस रैली में क्या कहा। इतने सालों से राजनीति की गलियों में घूमने के बाद Rahul Gandhi कार्यकर्ता की वैल्यू खूब अच्छे से समझ चुके हैं। जिन्हें इस रैली में उन्होंने बब्बर शेर कह कर संबोधित किया। उनसे सीधे कनेक्ट करने के बाद राहुल गांधी ने जीएसटी, अडानी और अंबानी के नाम पर भाषण दिया। और अपनी मूल स्ट्रेटजी के तहत संविधान बचाने और बाबा साहेब के अपमान का जिक्र करना भी नहीं भूले। कांग्रेस ने पूरे देश में जय बापू, जय भीम, जय संविधान यात्रा शुरू की है। इस यात्रा की शुरूआत गणतंत्र दिवस के अगले दिन यानी कि आज महू से हुई है। कांग्रेस की इस रैली में चार राज्यो के सीएम, आठ मंत्री, 15 सांसद और कांग्रेस के डेढ़ सौ से ज्यादा विधायकों के शामिल होने का दावा किया गया। इसके अलावा वर्किंग कमेटी के दो दर्जन से ज्यादा सदस्य, और एमपी के तमाम नेता भी शामिल हुए।
अन्य राज्यों पर रैली का असर
कुल मिलाकर कांग्रेस ने इस रैली को विशाल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। महू में हुई इस रैली का असर सिर्फ महू तक सिमट कर रहने वाला नहीं है। मीडिया इस रैली को कुछ खास कवरेज दे या न दे। या फिर रैली की कवरेज दिखाने के नाम पर कुछ ऐसी साइड स्टोरीज दिखाई जाएं जो मूल मुद्दे से भटका सके। उसके बाद भी कांग्रेस की इस रैली की धमक एमपी की 35 आरक्षित सीटों पर तो सुनाई देगी ही। इसके अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, यूपी और छत्तीसगढ़ की आरक्षित सीटों पर भी इसका असर यकीनन पड़ेगा। इसलिए कांग्रेस पूरे जोर शोर से इस मुद्दे को उठा रही है।
राहुल गांधी एक ऐसी गलती कर गए
एमपी को चुनने का दूसरा मकसद है इस राज्य के नेताओं और कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकना। क्योंकि कांग्रेस लगातार यहां नीरस होती जा रही है। उम्मीद है बिना चुनाव के प्रदेश में हुए इस सियासी उन्माद के बाद कार्यकर्ता नई ऊर्जा का अहसास कर सकेंगे। इससे ये तो अंदाजा लगाया ही जा सकता है कि ये रैली कांग्रेस के लिए कितनी अहम है। उसके बाद भी राहुल गांधी एक ऐसी गलती कर गए कि बीजेपी को फिर उन्हें घेरने का मौका मिल गया। बीजेपी प्रवक्ता आशीष अग्रवाल ने अपने ट्वीट पर उनका एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में कोई व्यक्ति मंच पर राहुल गांधी को खाटू श्यामजी की तस्वीर भेंट कर रहा है। उसी वक्त राहुल गांधी किसी बात पर नहीं में गर्दन हिला रहे हैं और वो व्यक्ति आगे बढ़ जाता है। आशीष अग्रवाल ने ये दावा किया है कि राहुल गांधी ने खाटू श्यामजी की तस्वीर लेने से इंकार किया और उनका अपमान किया है। अब देखना ये है कि अंबेडकर और संविधान के नाम पर शुरू हुई ये सियासत कितनी दूर तक जाती है। क्या कांग्रेस को ब्रह्मास्त्र मिला है उसे वो विजय अस्त्र में बदल पाएगी। या फिर बीजेपी फिर कोई स्ट्रेटजी तैयार करेगी कि कांग्रेस की इस यात्रा की भी हवा निकल जाएगी।
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