राशन दुकानों से बिलबिलाते कीड़ों के साथ बांटा जा रहा सड़ा अनाज

मध्यप्रदेश में सड़ा और घुना गेहूं चावल धोकर भोजन पकाने के लिए गरीब मजबूर हो रहे हैं। इसका कारण राशन दुकानों पर बंट रहा सड़ा अनाज है। दर्जन भर जिलों से सीएम हेल्पलाइन पर इसकी 580 शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर हो रही है खानापूर्ति...

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Sanjay Sharma
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प्रदेश के हजारों परिवारों को राशन दुकानों से घटिया अनाज बांटे जाने से परेशान हैं। घुन, कीड़े और इल्ली लगे इस गेहूं-चावल की 580 से ज्यादा शिकायतें तो केवल सीएम हेल्पलाइन पर ही दर्ज हैं। वहीं हर दिन जिला खाद्य अधिकारी के पास भी लोग यह समस्या लेकर पहुंच रहे हैं। सरकारी खरीद के अनाज के रखरखाव पर करोड़ों रुपए हर साल खर्च होता है, लेकिन गरीबों के हिस्से में सड़ा अनाज ही आता है। बीते दो माह से कई जिलों में उचित मूल्य की दुकानों से सड़ा अनाज बांटने की शिकायतें सामने आ रही हैं। कुछ जगहों पर ज्यादा बवाल होने पर अफसरों ने अनाज बदलवाया है, लेकिन अधिकांश स्थानों पर जरूरतमंदों को इसे घुने गेहूं-चावल से निजात नहीं मिली है। जिला मुख्यालय से दूर पिछड़े क्षेत्रों में तो गरीब परिवार यही अनाज खाने मजबूर हैं। वहीं शिकायत करने पर राशन दुकान से उन्हें खाली हाथ लौटाया जा रहा है।  

राशन दुकानों से 5 करोड़ 37 लाख से ज्यादा परिवार सीधे जुड़े हैं

अब बात करते हैं घटिया राशन से प्रभावित परिवारों की। प्रदेश में साढ़े 7 करोड़ आबादी के बीच 5 करोड़ 37 लाख राशनकार्डधारी है। इनमें से 14 लाख परिवारों को हर महीने निशुल्क राशन मिलता है। यानी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा संचालित उचित मूल्य की दुकानों से 5 करोड़ 37 लाख से ज्यादा परिवार सीधे जुड़े हैं। यदि इन दुकानों पर खराब गेहूं-चावल पहुंचता है तो यह राशन इन परिवारों के हिस्से में आता है। कुछ परिवारों को छोड़ दें तो बाकी इसी घटिया राशन को खाकर गुजर करने मजबूर होते हैं और विरोध भी नहीं कर पाते। 

अफसरों को लौटाना पड़ा सड़ा गला अनाज

घटिया राशन की स्थिति कैसी है इसको जानते हैं। पिछले दो महीनों में प्रदेश के सतना, सागर, विदिशा, जबलपुर, शिवपुरी, नर्मदापुरम, देवास, शिवपुरी सहित कई जिलों में घटिया राशन पर सवाल उठाए गए हैं। इसको लेकर सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर 580 शिकायतें भी लोगों ने रजिस्टर की हैं। सतना में वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के गोदाम से जो अनाज पहुंचा था वह काफी घुना हुआ था। इसकी गुणवत्ता इतनी खराब थी कि दुकानों से बांटने पर हंगामा खड़ा हो सकता था। अफसरों ने स्थिति को भांपते हुए सात ट्रक खराब राशन ज्यों का त्यों वापस लौटा दिया था। बताया जाता है यह गेहूं जबलपुर के गोदामों से भेजा गया था। इसमें से चार ट्रक अमरपाटन, और तीन ट्रक सतना के यूनिट- 1 गोदामों में रखा गया था। इस सड़े घुने अनाज को वापस करने से पहले अधिकारियों की टीम ने पंचनामा कार्रवाई भी की थी।  

मजबूर परिवार घुना अनाज भी खाने मजबूर

गरीबों को बांटने जो अनाज भेजा जा रहा है उसकी गुणवत्ता देखकर भोजन में उपयोग कर पाना मुश्किल है। पिछले महीने शिवपुरी के बदरवास क्षेत्र की रामपुरी पंचायत के आदिवासी परिवारों को भी सड़ा गला अनाज बांटा गया। इसमें कीड़े भी थे। जब लोगों को दुकान से अनाज तौलकर दिया गया तो थैलों में कीड़े देख लोग हैरान रह गए थे। यह इतना घुन चुका था कि अनाज का बड़ा हिस्सा पावडर में बदल चुका था। लोगों ने दुकान के सेल्समैन केशव कलावत को यह दिखाया तो उसने हाथ खड़े कर दिए। उसकी सफाई केवल इतनी थी कि दुकान में जो अनाज भेजा गया है वह तो केवल बांट रहा है। इसके बाद लोगों ने कलेक्टर और खाद्य आपूर्ति विभाग के अफसरों को भी शिकायत दर्ज कराई तो कुछ दुकानों पर घटिया अनाज बदल दिया गया। अंचल के आदिवासी परिवारों की अपनी मजबूरी है। बड़े परिवार और आय कम होने के कारण वे इस घुने अनाज को धोकर सुखाने के बाद खाने मजबूर हैं।  

बार-बार घटिया अनाज भेज रहे अफसर

इन दो जिलों में सरकारी राशन के नाम पर बांटे जा रहे घटिया गेहूं-चावल की हालत तो आप जान ही चुके हैं। अब आपको प्रदेश के दूसरे जिलों की स्थिति भी बताते हैं। सोनकच्छ देवास जिले का विकासखंड है। यहां भी उचित मूल्य की दुकानों पर जबलपुर के गोदामों से पीडीएस का अनाज भेजा गया था। लेकिन दुकानों से जब इसे बांटना शुरू किया गया तो एक के बाद एक शिकायतों का अंबार लग गया। नर्मदापुरम में दुकानों को मई के महीने में घटिया अनाज भेजा गया था जिसे पूरा का पूरा वापस लौटा दिया गया था। लेकिन अफसरों ने अगले महीने इसे फिर दुकानों पर पहुंचा दिया। इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम के केंद्र प्रभारी को जिला प्रशासन द्वारा नोटिस भी भेजा गया था। वहीं अफसरों ने गुपचुप तरीके से अनाज बदलवा दिया था।  

शिकायत पर केवल दिखावे की कार्रवाई

प्रदेश के जिलों में घटिया राशन वितरण की शिकायतें लगातार सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर दर्ज हो रही हैं। पिछले दो महीनों में 580 शिकायतें पहुंची हैं। लेकिन इन शिकायतों पर कार्रवाई के नाम पर केवल कुछ दुकानों से अनाज को बदला गया है। वहीं कुछ शिकायतों पर ग्रामीणों को समझाइश देकर उन्हें वापस कराया गया है। राशन दुकानों से केवल सड़ा गला अनाज बांटने के अलावा कम अनाज देने और दो तीन महीने में एक बार ही राशन बांटने की शिकायतें भी पोर्टल पर दर्ज कराई जा रही हैं। लेकिन इनमें से कुछ पर ही ठोस कार्रवाई हो पाती है। बाकी के मामले या तो जांच के नाम पर हवा हो जाते हैं।  

फैक्ट फाइल

घटिया राशन की शिकायतों की स्थिति...

580 शिकायतें- कीड़े और इल्ली लगा राशन बांटा। 

1900 शिकायतें- दुकान से राशन नहीं मिल रहा।

4500 शिकायत- तौल से कम दिया जा रहा अनाज।

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