जबलपुर स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ( RDVV ) एक बार फिर से चर्चा में है, लेकिन इस बार कारण है भ्रष्टाचार। विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में कार्यरत भृत्य (क्लास IV कर्मचारी) राजेंद्र प्रसाद कुशवाहा को लोकायुक्त की टीम ने 1500 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई एक आवेदक की शिकायत पर की गई, जिसने अपनी बहन की डिग्री निकलवाने के लिए रिश्वत मांगे जाने की जानकारी दी थी।
डिग्री के लिए मांगी गई रिश्वत
इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब यशवंत पटेरिया नाम के एक व्यक्ति ने लोकायुक्त जबलपुर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। यशवंत ने आरोप लगाया कि उसकी बहन की बी.कॉम की डिग्री जारी कराने के एवज में परीक्षा विभाग में तैनात भृत्य राजेंद्र प्रसाद कुशवाहा ने 2000 रुपए की रिश्वत की मांग की थी। काफी बातचीत के बाद कर्मचारी 1500 रुपए लेने के लिए तैयार हुआ। यह मामला शिक्षा जगत में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक और गंभीर उदाहरण बनकर सामने आया।
रंगे हाथों पकड़ा गया रिश्वतखोर
आवेदक यशवंत पटेरिया की शिकायत मिलने के बाद, लोकायुक्त जबलपुर ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत कार्रवाई का निर्णय लिया। लोकायुक्त टीम ने योजना बनाई और यशवंत से कहा कि वह कर्मचारी को 1500 रुपए की राशि दे। जैसे ही आरोपी ने आवेदक से पैसे लिए, लोकायुक्त की टीम ने मौके पर पहुंचकर उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।
लोकायुक्त टीम का नेतृत्व उप पुलिस अधीक्षक नीलू त्रिपाठी कर रही थीं। उन्होंने बताया कि शिकायत के बाद विस्तृत जांच के आधार पर यह कार्रवाई की गई। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है।
शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की एक और कड़ी
यह मामला एक बार फिर से इस बात की पुष्टि करता है कि शिक्षा क्षेत्र में भी भ्रष्टाचार किस हद तक जड़ें जमा चुका है। जहां छात्रों को अपनी डिग्री प्राप्त करने के लिए मेहनत और पढ़ाई करनी चाहिए, वहीं कुछ भ्रष्ट कर्मचारी अपने पद का दुरुपयोग कर उनसे अवैध धन की मांग कर रहे हैं। यह न सिर्फ शिक्षा प्रणाली को कलंकित करता है, बल्कि छात्रों और उनके अभिभावकों के मन में भी डर और असुरक्षा का भाव उत्पन्न करता है।
लोकायुक्त की सख्त चेतावनी
लोकायुक्त जबलपुर ने इस घटना के बाद स्पष्ट कर दिया है कि इस तरह की किसी भी भ्रष्ट गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उप पुलिस अधीक्षक नीलू त्रिपाठी ने कहा, "हमारी टीम भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। कोई भी सरकारी कर्मचारी, चाहे वह किसी भी पद पर हो, अगर भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में ऐसी घटनाएं हैं चिंताजनक
इस घटना ने एक बार फिर छात्रों और उनके अभिभावकों को जागरूक किया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना आवश्यक है। यदि कोई व्यक्ति किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा रिश्वत की मांग का सामना करता है, तो उसे तुरंत लोकायुक्त कार्यालय या अन्य संबंधित अधिकारियों को सूचित करना चाहिए। इस तरह की कार्रवाई से ही भ्रष्टाचार पर लगाम कसी जा सकती है और शिक्षा प्रणाली को साफ-सुथरा बनाया जा सकता है। RDVV जबलपुर जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में घटी यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सभी को सतर्क रहना होगा और सही कदम उठाने होंगे।
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