फिल्म अभिनेत्री और बीजेपी सांसद कंगना रनौत की आगामी फिल्म 'इमरजेंसी' (emergency film ) की रिलीज 6 सितंबर को नहीं होगी। जबलपुर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की बेंच में हुई सुनवाई के दौरान सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने बताया कि अभी तक इस फिल्म को सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है। शासन की ओर से दी गई इस जानकारी के बाद अब यह पुख्ता हो चुका है कि 6 सितंबर को कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी रिलीज नहीं होने वाली है।
मुश्किल में है फिल्म का सर्टिफिकेशन
जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court ) में जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ में इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें यह साफ हो गया कि फिल्म को निर्धारित तारीख को रिलीज नहीं किया जा सकेगा। फिल्म से संबंधित कई गंभीर मुद्दों पर अभी भी विचार-विमर्श चल रहा है, और CBFC से यदि सर्टिफिकेट मिल गया तो उसके बाद ही इसकी नई रिलीज डेट तय की जाएगी।
सेंसर बोर्ड के फैसले पर टिकी फिल्म की रिलीज
यह खबर कंगना रनौत और फिल्म के डायरेक्टर प्रोड्यूसर सहित अन्य कलाकारों के लिए के लिए निराशाजनक हो सकती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि फिल्म के जरिए किसी की भी भावनाओं को आहत न किया जाए इसलिए सभी जरूरी प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है और फिलहाल यह फिल्म रिलीज नहीं होगी।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने दी दलील
एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान शासन और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की ओर से अधिवक्ताओं ने कोर्ट को यह बताया की इमरजेंसी फिल्म को अभी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है। अधिवक्ता एन एस रूपराह ने कोर्ट को बताया कि इस फिल्म को लेकर 30 अगस्त को जो आपत्तियां उठाई गई थी उसके लिए एक अभ्यावेदन भी केंद्रीय बोर्ड के अध्यक्ष को भेजा जा चुका है। इसके बाद मणिकर्णिका फिल्म की ओर से अधिवक्ता ने यह बताया कि इस फिल्म का प्रमाणन सर्टिफिकेट उन्हें ईमेल पर प्राप्त हुआ था और सेंसर बोर्ड की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया था, लेकिन बोर्ड की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि आपत्ति आने के बाद इस फिल्म के लिए शर्ट भौतिक सर्टिफिकेट निर्माता को अभी तक जारी नहीं किया गया है।
सेंसर बोर्ड करेगा निराकरण
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एन. एस. रूपराह ने कोर्ट से निवेदन किया कि यूट्यूब को आदेशित किया जाए कि इस फिल्म का ट्रेलर यूट्यूब से हटा लिया जाय। जिस पर कोर्ट ने यह कहा कि इस मामले का निराकरण केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के द्वारा किया जाएगा। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में याचिकाकर्ता को निर्देशित किया है कि वह एक व्यापक अभ्यावेदन केंद्रीय बोर्ड के समक्ष दाखिल करें। यह ट्रेलर यूट्यूब से अलग होगा या नहीं इस पर फैसला केंद्रीय बोर्ड के सर्टिफिकेट देने या ना देने के फैसले के बाद ही होगा।
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