Madhya Pradesh High Court decision
नील तिवारी, JABALPUR. सिविल जज जूनियर डिवीजन (प्रवेश) की मुख्य परीक्षा 2022 में शामिल करने की अनुमति देते हुए हाइकोर्ट ने सभी पात्र दिव्यांग अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। दरअसल, भोपाल निवासी अंतरा सिसोदिया सहित अलग-अलग राज्यों के कई उम्मीदवारों की ओर से याचिका दायर की गई थी जिसके अनुसार सिविल जज क्लास-वन के चयन हेतु दिव्यांगजन अभ्यर्थियों के लिए अलग से मेरिट लिस्ट जारी नहीं की गई।
सिविल जज परीक्षा में 100 से ज्यादा दिव्यांग अभ्यर्थियों राहत
दिव्यांग अभ्यर्थियों को शासकीय भर्तियों में 6 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है, लेकिन 12 मार्च को हुई सिविल जज की प्रारंभिक परीक्षा ( civil judge preliminary exam ) में दिव्यांग अभ्यर्थियों की अलग से मैरिट लिस्ट नहीं बनाई गई और 100 से ज्यादा दिव्यांग अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा से वंचित कर दिया गया।
सिर्फ एक दिव्यांग का हुआ चयन
MP हाईकोर्ट द्वारा सिविल जज क्लास-वन के चयन हेतु परीक्षा कराई जा रही है जो प्रवेश परीक्षा है। मुख्य परीक्षा 31 मार्च को होना है। प्रवेश स्तर की स्क्रीनिंग के 12 मार्च को परिणाम आए, लेकिन सिर्फ एक दिव्यांग अभ्यर्थी का इसमें चयन हुआ। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता और आर्यन उरमलिया ने बताया कि दिव्यांग अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग के बराबर कटऑफ निर्धारित करके 100 से ज्यादा कैंडिडेट्स को प्रवेश परीक्षा से अलग कर दिया गया। एक सैकड़ा से अधिक दिव्यांगजनों को प्रवेश परीक्षा से अलग कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने कहा- अलग से बनाएं मेरिट लिस्ट
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने MP हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और परीक्षा विभाग को ये निर्देश दिया है कि वो दिव्यांग अभ्यर्थियों की अलग से मैरिट लिस्ट बनाएं और उन्हें 31 मार्च को होने जा रही मुख्य परीक्षा में शामिल करें।
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दिव्यांगजन विशेष अधिकार अधिनियम की अनदेखी
दिव्यांगजनों के विशेष अधिकार अधिनियम, 2016 के अंतर्गत उन्हें 6 प्रतिशत आरक्षण सभी भर्तियों में प्राप्त है। याचिका में अन्य राज्यों की सिविल जज परीक्षा जैसे की दिल्ली, बिहार का हवाला देते हुए कहा गया कि अधिनियम, 2016 के अंतर्गत एक पृथक वरीयता सूची बनाते हुए 1:10 गुना अनुपात में शामिल किया जाता है। मध्यप्रदेश में ऐसा नहीं करते हुए इस अधिनियम की अनदेखी की गई।
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