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साल 2025 सरकारी महकमों के लिए एक विशेष साल साबित होने जा रहा है, क्योंकि इस साल सर्वाधिक अफसर और कर्मचारी रिटायर होंगे। आंकड़ों के अनुसार, 2025 में पहली से लेकर चौथी श्रेणी तक लगभग 1.25 लाख कर्मचारी रिटायर होने की उम्मीद है। यह संख्या पिछले साल से ढाई गुना अधिक है, और इस पर विचार किया जाए तो यह स्थिति सरकारी कार्यों और संचालन पर असर डाल सकती है। खासकर जब इन पदों पर भर्तियां नहीं हो रही हैं और कामकाजी क्षमता पर असर पड़ सकता है।
कर्मचारियों की भारी कमी, विशेष विभागों पर दबाव
राज्य सरकार के 61 विभागों में करीब 4.27 लाख अफसर और कर्मचारी कार्यरत हैं, जो पहले से ही संख्या में कमी का सामना कर रहे हैं। इस साल बड़े विभागों जैसे स्कूल शिक्षा और स्वास्थ्य से हर महीने औसतन 2100 अफसर और कर्मचारी रिटायर होंगे। वहीं, मंत्रालय से अकेले हर महीने 30 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इन विभागों में कर्मचारियों की कमी से कार्यों में बाधा आ सकती है।
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रिटायरमेंट की बढ़ती संख्या
यह स्थिति 1985 के नियमितीकरण की नीति के परिणामस्वरूप पैदा हुई है। तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने 15 जनवरी 1985 को दैनिक वेतनभोगियों को नियमित करने का आदेश दिया था, जिसकी संख्या उस समय 1 लाख से अधिक थी। इस दौरान 40 हजार कर्मचारियों की भर्ती मिनी पीएससी के माध्यम से की गई थी। इसके बाद 1985 से 1990 तक तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सबसे अधिक भर्ती हुई थी, लेकिन इसके बाद सीधी भर्ती पर अघोषित रूप से रोक लग गई। इन कर्मचारियों को पहले रिटायर होना था, लेकिन 2019 में रिटायरमेंट की आयु सीमा 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई।
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विशेषज्ञों की राय - प्लानिंग की कमी
विशेषज्ञों के अनुसार, सरकारी विभागों को लगभग 10 साल पहले ही अपनी कैडर मैनेजमेंट पॉलिसी तैयार कर लेनी चाहिए थी। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को विभागों के पुराने सेटअप का विश्लेषण करके अगली नीति बनानी चाहिए थी, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचा जा सके। अब सरकार के पास केवल आउटसोर्स से भर्ती करने और नए कैडर बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। मप्र के पूर्व सीएम, केएस शर्मा ने कहा कि बिना proper planning के आगे कोई भी नीति अधूरी साबित होगी।
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