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BHOPAL. जातिप्रमाण पत्र में हेराफेरी से नौकरी हासिल करने की फेहरिस्त में एक मामला और जुड़ गया है। इस तरह मध्यप्रदेश में नौकरी के लिए जाति प्रमाण पत्रों के फर्जीवाड़े की श्रृंखला और आगे बढ़ गई है। ताजा मामला मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद यानी मैपकास्ट से जुड़ा है। मैपकास्ट के एक वैज्ञानिक अधिकारी पर नौकरी के लिए फर्जी जाति प्रमाण पत्र का सहारा लेने के आरोपों के बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है। हांलाकि जिस रफ्तार से जांच की जा रही है उससे नतीजा निकलने में लंबा वक्त लग सकता है। वहीं जाति प्रमाण पत्र का विवाद सामने आने के बाद वैज्ञानिक अधिकारी सफाई देने में जुट गए हैं और इसे प्रमाण पत्र जारी करने वाली दफ्तर की गलती बता रहे हैं।
प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे सरकारी महकमों में नौकरी हासिल करने के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। इनदिनों राजधानी में स्थित मैपकास्ट के वैज्ञानिक अधिकारी का नाम इस हेराफेरी के लिए चर्चा में है। इसकी शिकायत के बाद मैपकास्ट द्वारा नोटिस जारी कर दिया गया है। वहीं मामले की जांच भी शुरू हो गई है। हांलाकि इस पूरी हेराफेरी के आरोपों से घिरे मैपकास्ट द्वारा अपने स्तर पर की जा रही जांच पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
यह है हेराफेरी से जुड़ा पूरा मामला
मैपकास्ट ने साल 2007 में मुख्य वैज्ञानिक के पद पर नियुक्ति का इश्तहार जारी किया था। इस दौरान डॉ.राकेश आर्य ने आवेदन किया था। वे नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हुए लेकिन तब उन्हें प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया था। हांलाकि अचानक डॉ. आर्य को अकेले ही साक्षात्कार के लिए दूसरी बार बुलाया गया और आनन-फानन में उनका चयन कर नियुक्ति दे दी गई। साल 2008 में डॉ.आर्य ने मैपकास्ट में ड्यूटी संभाल ली। इस दौरान उनकी योग्यता को लेकर एक शिकायत मैपकास्ट में की गई। जिसमें बताया गया कि नियुक्ति के दौरान डॉ.आर्य के पास वह योग्यता नहीं थी जो कि इश्तहार प्रकाशित करते समय मांगी गई थी। उनकी पीएचडी इलेक्ट्रॉनिक्स में है और उनके पास तब पांच वर्ष का अनुभव भी नहीं था। डॉ.आर्य द्वारा नियुक्ति के लिए दो अलग-अलग शासकीय कार्यालय के जाति प्रमाण पत्र भी पेश किए थे। इनमें एक भोपाल की हुजूर तहसील द्वारा जारी किया गया है जबकि दूसरा सतना जिले की नागौद तहसील से बनाया गया है। क्योंकि नियमानुसार एक ही व्यक्ति के दो अलग-अलग तहसीलों से जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाए जा सकते। वहीं हुजूर तहसील ने डॉ.राकेश आर्य का जाति प्रमाण पत्र बनाने की पुष्टि नहीं की है।
नोटिस दिया लेकिन जांच की गति धीमी
बताया जाता है कि मैपकास्ट ने शिकायत सामने आने के बाद डॉ.राकेश आर्य को नोटिस जारी कर दिया है। उनसे दो अलग-अलग तहसीलों से जातिप्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया है। हांलाकि शिकायत के बाद मैपकास्ट ने अपने स्तर पर जांच कराने का आश्वासन दिया है लेकिन डॉ.आर्य की वहां मौजूदगी से जांच प्रभावित होने का अंदेशा जताया जा रहा है। वहीं अपने ही बीच के व्यक्ति से जुड़े गंभीर मामले की जांच की गति और अधिकारियों की उदासीनता भी जांच पर सवाल खड़े कर रही है। जाति प्रमाण पत्र के साथ ही डॉ. आर्य द्वारा नियुक्ति के लिए जिन अनुभव प्रमाण पत्र का सहारा लिया है उन्हें भी जाली बताया जा रहा है। ऐसे में पूरे मामले की जांच मैपकास्ट के बाहर किसी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से कराने की मांग की जा रही है।
नियुक्ति के 4 साल बाद बना नया प्रमाण पत्र
डॉ.राकेश आर्य की सफाई है कि हुजूर तहसील से जारी जाति प्रमाण पत्र निर्धारित प्रारूप में न होने से केंद्रीय सेवाओं में अमान्य कर दिया गया था। इस वजह से उन्होंने सतना जिले की नागौद तहसील स्थित अपने पैतृक गांव उपेहल से जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। उनका कहना था साल 1950 की स्थिति में उनके परिजन यहां निवासरत थे इस कारण साल 2012 में उन्होंने यह प्रमाण पत्र बनवाया था। डॉ. आर्य की इस सफाई पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि उन्हें नियुक्ति 2008 में मिली थी फिर नया प्रमाण पत्र 2012 में बनवाकर कैसे पेश किया गया। इस बीच चार साल तक वे हुजूर तहसील के प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करते रहे जिसकी मैपकास्ट द्वारा जांच नहीं कराई गई। वहीं मैपकास्ट के महानिदेशक अनिल कोठारी ने बताया फिलहाल मामले में जांच की जा रही है। अब तक रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है। इसमें जो भी तथ्य सामने आएंगे उनके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
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