INDORE. धर्मांतरण के मामले में जिला कोर्ट ने दो आरोपियों के खिलाफ सजा सुनाई है। दस साल पुरान् केस में न्यायाधीश बिंदिया पाठक ने आरोपियों पर लालच देकर धर्मांतरण की कोशिश का आरोपी माना और उन्हें एक-एक साल की सजा और 5000 रुपए का अथर्दंड लगाया।
यह है मामला
मामला हीरानगर थाने का अगस्त 2024 का है। इसमें फरियादी पृथ्वीराज ने आरोपी रोशन ओरू और एल्वीन सुसाई के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इसमें था कि आरोप सुखलिया क्षेत्र में आए और हाथ में बाईबिल व अन्य ईसाई साहित्य था। इन्होंने लालच दिया कि की अच्छी नौकरी दिलवा देंगे, अस्पताल में मुफ्त इलाज, स्कूल में मुफ्त शिक्षा मिलेगी, बिना ब्याज के लोन दिलाएंगे ईसाई बन जाओ। साथ ही कहा कि हिंदू धर्म काल्पनिक है, भगवान राम, गणेश यह सभी काल्पनिक है। रामायण और महाभारत को झूठ का पुलिंदा बताया।
कोर्ट ने यह पाया
फरियादी की ओर से एडीपीओ ज्योति तोमर ने पक्ष रखा और कहा कि यह मप्र धार्मिक स्वतंत्रता एक्ट 1968 का उल्लंघन है। वहीं आरोपियों की ओर से तर्क रखे गए कि गलत केस है, फरियादी तो आरोपियो की नाम से पहचान नहीं कर पाया। इस पर कोर्ट ने कहा कि दस साल बाद पहचान करा रहे हैं, ऐसे में मुश्किल होना स्वाभाविक है। लेकिन आरोपियों ने एक्ट का उल्लंघन किया है और आरोप साबित होते हैं।
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