रेप और हत्या के आरोपी को फांसी, चार साल की मासूम को बनाया था निशाना, कोर्ट बोला विकृत मानसिकता की नहीं है समाज में जगह

साढ़े चार साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या करने वाले आरोपी को विशेष न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई, कोर्ट ने इसे 'विरलतम' घटना माना और कहा कि समाज में कन्या को देवी के रूप में पूजा जाता है।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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मध्यप्रदेश के सागर जिले में एक दिल दहला देने वाले अपराध में, साढ़े चार साल की बच्ची से दुष्कर्म करने और गला घोंटकर हत्या करने के आरोपी को विशेष न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई। इस घटना को न्यायालय ने "विरलतम" और "अत्यंत जघन्य" मानते हुए यह कठोर फैसला सुनाया। न्यायालय ने कहा विकृत मानसिकता की नहीं है समाज में जगह नही है।

आरोपी न केवल मासूम बच्ची के साथ क्रूरता से पेश आया, बल्कि यह अपराध पीड़ित परिवार से ही जुड़ा था। आरोपी पहले भी इस बच्ची के साथ छेड़छाड़ सहित अनुचित व्यवहार का कर चुका था, लेकिन पीड़ित परिवार ने इसे सुधरने का मौका दिया था।

आरोपी द्वारा इस परिवार से बदला लेने की नीयत से इस जघन्य अपराध को अपराध को अंजाम देते हुए एक मासूम को निशाना बनाया। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि हमारे समाज में कन्या को देवी स्वरूप माना जाता है।  

घर से किया था मासूम का अपहरण 

यह घटना 8-9 अप्रैल 2024 की दरमियानी रात को घटित हुई, जब बच्ची अपने परिवार के साथ सो रही थी। मां थोड़ी देर के लिए बाहर गई थी, और इस बीच आरोपी ने बच्ची मासूम का अपहरण कर लिया था। काफी तलाश के बाद भी बच्ची का कोई पता नहीं चला। 10 अप्रैल को बच्ची का शव खेत की मेड़ पर पाया गया था, जिसकी माैत गला घोंटने के कारण होना पाई गई थी। पुलिस ने गांव के लोगों से पूछताछ की, जिसमें गांव का ही एक युवक का नाम संदिग्ध के रूप में सामने आया था। 

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इस जघन्य अपराध का घटनाक्रम 

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  • आरोपी ने बच्ची से पहले भी अनुचित व्यवहार किया था।

  • बच्ची का शव 10 अप्रैल को खेत की मेड़ पर मिला था।

  • आरोपी को 26 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया।

  • आरोपी का डीएनए मृतिका से मेल खाता पाया गया।

  • न्यायालय ने आरोपी को फांसी की सजा दी और इसे समाज के लिए खतरा माना।

26 अप्रैल 24 को हुई थी गिरफ्तारी

पुलिस ने आरोपी को 26 अप्रैल को गिरफ्तार किया, और एफएसएल (Forensic Science Laboratory) रिपोर्ट में आरोपी का डीएनए मृतिका से मेल खाता पाया गया। इसके बाद पुलिस ने मामले को अदालत में पेश किया और लंबी सुनवाई के बाद आरोपी को 23 अगस्त 2025 को फांसी की सजा सुनाई।

न्यायालय ने इस जघन्य अपराध को समाज के लिए खतरे के रूप में देखा, और आरोपी की विकृत मानसिकता को स्पष्ट रूप से उजागर किया। न्यायालय ने यह भी कहा कि समाज में कन्या को देवी के रूप में पूजा जाता है, और इतनी कम उम्र की बच्ची के साथ ऐसा अपराध मानवता के खिलाफ है। 

न्यायालय के आदेश में समाज के प्रति संदेश

कोर्ट ने इस मामले में जो कठोर फैसला सुनाया, वह समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। न्यायालय ने आरोपी की मानसिकता की कड़ी आलोचना की और कहा कि समाज में ऐसी घटनाओं की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

बच्ची का हत्यारा, जो परिवार का सदस्य था, ने न केवल मासूम बच्ची के जीवन को छीन लिया, बल्कि समाज के सामूहिक विश्वास को भी तोड़ा। यह मामला इस बात की ओर भी इशारा करता है कि परिवारों में विकृत मानसिकता वाले व्यक्तियों के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता। 

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कठोर सजा के बाद भी बढ़ रहे रेप के मामले 

दुष्कृत्य और महिला अपराधों पर राज्य व केंद्र सरकार द्वारा कठोर कानून बनाए जा रहे है। पाक्सो एक्ट सहित नाबालिग के साथ दुष्कृत्य जैसे मामलों में मृत्युदंड़ का प्रावधान किया जा रहा है, लेकिन मध्यप्रदेश में महिला अपराधों का ग्राफ गिरने की बजाए लगातार बढ़ रहा है।

बीते छह महीने में ही प्रदेश में 3742 महिलाएं दुष्कृत्य जैसी घटनाओं का शिकार हुई। इस आंकडे़ में भी समाज के निचले तबके की महिलाएं अधिक निशाना बनी। विधानसभा में प्रस्तुत इन आंकड़ों के अनुसार बीते छह महीने में अनुसूचित जाति की 905, अनुसूचित जनजाति की 1143, ओबीसी की 1228 व सामान्य वर्ग की 466 महिलाएं दुष्कृत्य का शिकार हुई।  

7 वर्षों में 54,000 महिलाओं से दुष्कृत्य

2018 से लेकर 2024 तक के सात वर्षों में प्रदेश में कुल 54067 महिलाओं से दुष्कृत्य की घटना को अंजाम दिया गया। इनमें अनुसूचित जाति की 14258, जनजाति की 14804, पिछड़ी जाति की 18942 और सामान्य वर्ग की 6063 महिलाएं शामिल थीं। यह आंकड़े इस बात को साबित करते हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है। 

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