मप्र सरकार के मंत्री के करीबी कन्फेक्शनरी कारोबारी संजय जैसवानी को लेकर 'द सूत्र' सूचना के अधिकार (आरटीआई) और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से निकाले गए विविध कंपनियों की ऑडिट रिपोर्ट से बड़ा खुलासा कर रहा है। जैसवानी ने रश्यिन नागरिक गौरव अहलावत की कंपनी को हड़पने के लिए स्टाम्प पर किस तरह से फर्जी करार होना बताया। साथ ही इस करार के लिए जो राशि 19.93 करोड़ रुपए चली, वह चार कंपनियों से चली जो डमी होने की आशंका है। यह चारों कंपनियां जैसवानी के ही ग्रुप से लिंक है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह 19.93 करोड़ राशि आखिर किसकी थी जो डमी कंपनियों के जरिए घुमाई गई?
इस पूरे घोटाले के पहले यह मामला क्या है
जीआरवी बिस्किट कंपनी जो रश्यिन नागरिक गौरव अहलावत की है, इसमें उनकी शेयर होल्डिंग 99 फीसदी थी। लेकिन 12 सितंबर को उनकी 23 फीसदी रह गई और बाकी हिस्सेदारी जैसवानी के ग्रुप के पास शिफ्ट हो गई। इसके लिए जैसवानी ने बताया कि जीआरवी ने उनसे लोन लिया था और यह चुका नहीं पाए और इसके बदले में पहले ही करार था कि ऐसा नहीं होने पर शेयर उनकी कंपनियों को शिफ्ट होंगे, इसी के तहत यह शेयर होल्डिंग बदली है।
19.93 करोड़ लोन राशि ऐसे आई और गई
- जीआरवी बिस्किट की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने साल 2021 से 2022 के बीच में चार कंपनियों से लोन लिया, यह कंपनियां जैसवानी ग्रुप से ही लिंक है।
- नवरात्रा इन्फ्रा प्रॉपर्टीज प्रालि से 8.20 करोड़ की राशि जीआरवी को गई। नवरात्रा कंपनी इंदौर में रजिस्टर्ड है और इसके डायरेक्टर नितिन जीवनानी और रोहित अरोरा हैं। इसमें पूर्व डायरेक्टर में संजय जैसवानी और उनके भाई विजय जैसवानी भी रहे हैं।
- सायनास्पोर सप्लायर्स प्रालि से 2.88 करोड़ रुपए राशि गई। यह राशि सितंबर 2021 से मार्च 2022 के बीच जीआरवी को गई। इसी दौरान यह राशि केम्को च्यू फूड्स में शिफ्ट हो गई, यानी जीआरवी में आई और केम्को में चली गई। इस कंपनी कोलकाता में रजिस्टर्ड है और इसमें संजय केलवानी और दिनेश मनवानी डायरेक्टर है। जो जैसवानी ग्रुप से ही लिंक है।
- होपवेल बार्टर प्रालि कंपनी से 5.11 करोड़ की राशि जीआरवी को दिसंबर 2021 से मार्च 2022 के बीच गई और इसी अवधि में यह केम्को को भी शिफ्ट हो गई। यह कंपनी भी कोलकाता में रजिस्टर्ड है ओर इसमें डायकेक्टर संजय केलवानी और दिनेश मनवानी है।
- इसके साथ ही एक अन्य कंपनी झिलमिल कोमोडील प्रालि से 3.54 करोड़ की राशि जीआरवी को अगस्त 2021 से मार्च 22 के बीच में गई और इसी दौरान केम्को भी शिफ्ट हो गई। इसमें भी संजय केलवानी और दिनेश मनवानी डायरेक्टर है। यह भी कोलकाता में रजिस्टर्ड है और इसमें स्टैक होल्डर में होपवेलस सायनासोर कंपनियां भी लिंक है।
यह कंपनियां डमी होने की आशंका
'द सूत्र' ने इन चारों कंपनियों नवरात्रा, सायनास्पोर, होपवेल बार्टर और झिलमिल की ऑडिट रिपोर्ट भी देखी। इसमें सामने आया कि इसमें नाममात्र का कामकाज दिखाया जा रहा है। लंबे समय से इनके रिकार्ड भी मेंटेन नहीं हैं। यह चारों कंपनियां एक तरह से राशि को शिफ्ट करने का काम कर रही थी, यहां से जीआरवी में राशि गई और वहां से केम्को में शिफ्ट हो गई।
स्टाम्प तो अभी खरीदे, करार पुरानी तारीख में बनाए
चारों कंपनियों से यह राशि जीआरवी को दी गई, इसके लिए चार करार होना बताया गया जिसमें शर्त थी कि यह राशि अनसिक्योर्ड लोन के रूप में दी गई है और यदि राशि नहीं दी जाती है तो शेयर के जरिए इसका भुगतान लिया जाएगा। इसके तहत ही अब जैसवानी ग्रुप द्वारा जीआरवी की शेयर होल्डिंग लेने का दावा किया गया। लेकिन मजे की बात यह है कि यह स्टाम्प करार ही फर्जी है, कारण है द सूत्र को आरटीआई से कलेक्टर स्टाम्प से मिली जानकारी के अनुसार सामने आया है कि यह करार 2021-22 में होना बताया गया लेकिन असल में जिन स्टाम्प पर यह करार होना बताए गए हैं वह तो साल 2024 में जारी हुए हैं, यानी स्टाम्प सीरिज यह उस समय थी ही नहीं जब करार होना बताया गया है।
- नवरात्रा इन्फ्रा प्रॉपर्टीज प्रालि से 8.20 करोड़ रुपए लेना बताय गया, इसका स्टाम्प 14 जून 2022 की डेट में बना जबकि स्टाम्प ही जारी हुआ 9 अगस्त 2024 को
- सायनास्योर सप्लायर्स प्रालि से 2.88 करोड़ राशि जीआरवी को दिया जाना बताने के लिए स्टाम्प करार 30 फरवरी 2021 को बना जबकि 28 अगस्त 2024 को स्टाम्प जारी हुआ।
- होपवेल बार्टर प्रालि से 5.11 करोड़ रुपए दिया जाना बताया। इसके लिए स्टाम्प करार 6 दिसंबर 2021 का बना जो असल में स्टाम्प 8 फरवरी 2023 का है।
- झिलमिल कोमोडील प्रालि से जीआरवी को 3.54 करोड़ रुपए देने के लिए स्टाम्प करार यह दो जनवरी 2021 की डेट में जबकि स्टाम्प में 20 जुलाई 2022 को जारी हुआ।
- कुछ स्टाम्प में सामने आया है कि इनके रजिस्टर पंजीयन विभाग में जमा नहीं हुए थे। वहीं कुछ स्टाम्प की सीरीज ही 20 रुपए है लेकिन करार में यूज किए गए स्टाम्प 100 रुपए कीमत के हैं। यानी साफ है कि यह करार फर्जी तरीके से अभी बने हैं और करार पुरानी तारीख के बताए गए हैं जिसके जरिए जीआरवी की शेयर होल्डिंग शिफ्ट की गई।
यह राशि किसकी है जो घुमाई गई
सबसे बड़ा सवाल इसमें अभी यही है कि जो चार कंपनियों से यह राशि 19.93 करोड़ रुपए घुमाई गई वह किसकी है। जिस तरह जैसवानी से कई बड़े प्रभावशाली लोग लिंक होना सामने आए हैं, इससे आशंका जा रही है किसी प्रभावशाली व्यक्ति की ही यह राशि है जिसे बिजनेस में यूज किया गया है और यह राशि पहले डमी कंपनियों में ली गई, फिर इसे जीआरवी में शिफ्ट किया गया और इसे इसी दौरान वापस अपनी मूल कंपनी केम्को च्यू फूड्स में शिफ्ट कर दिया गया। वहीं इस राशि घुमाने को लेकर फर्जी करार भी दिखा दिए गए जिसके जरिए शेयर होल्डिंग चेंज कर रश्यिन नागरिक गौरव अहलावत को उन्हीं की कंपनी में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
सीए निशिथ नाहर भी शामिल
इन करार में सीए निशिथ नाहर के भी हस्ताक्षर हैं, जो गवाह के रूप में बताए गए हैं। यह वही सीए हैं जिन्हें दो दिन तक जैसवानी ने 10-11 सितंबर को बंधक बनाकर रखा गया था। बंधक से छूटने के बाद उसने पुलिस में केस दर्ज कराया जिसमें जैसवानी, उसका बॉडी गार्ड जय माथे आरोपी बने हैं।
40 करोड़ के करीब का लेन-देन का मुद्दा
जीआरवी में चार कंपनियों से करीब 20 करोड़ रुपए पहुंचा, इसी तरह करीब 19 करोड़ रुपए और केम्को द्वारा जीआरवी को दिए गए। इसमें 20 करोड़ रुपए जो चार कंपनियों से पहुंचे वह तो उसी अवधि में केम्को कंपनी में ही शिफ्ट भी हो गए। बताया जा रहा है कि बाकी जो 19 करोड़ का जीआरवी और केम्को के बीच का लेन-देन है। वह प्रॉडक्शन से जुड़ा हुआ है और इसमें करीब सात करोड़ रुपए की राशि जीआरवी को और देना है, बाकी राशि का भुगतान हो चुका है।
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