पत्रकार अंकुर पर हमले के मुख्य आरोपी सतीश भाऊ को मिली जमानत, पुलिस तीन दिन भी जेल में नहीं रोक पाई

पुलिस ने इन सभी आरोपियों पर जानलेवा हमले की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया था। पुलिस ने घटना के तीन दिन बाद ही कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन सतीश भाऊ तभी से फरार चल रहा था।

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Sandeep Kumar
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संजय गुप्ता @ INDORE. इंदौर में पत्रकार अंकुर जायसवाल पर जानलेवा हमले के आरोपी सतीश पंवार उर्फ सतीश भाउ को कोर्ट से जमानत मिल गई है। पुलिस पहले तो आरोपी को पकड़ नहीं पाई और वह खुद ही पेश हुआ था और फिर उसे तीन दिन भी जेल में नहीं रोक पाई और जमानत हो गई। इसके पहले इसी घटना में एक और आरोपी शिब्बू उर्फ कमल जादौन गिरफ्तार हुआ था, उसकी भी पुलिस ने रिमांड नहीं ली थी और उसकी भी जमानत हो गई। 

यह हुई थी घटना

दरअसल एमआर-10 गार्डन में कार्यक्रम के दौरान खबरें छापने के झगड़े में पत्रकार अंकुर ( journalist Ankur ) निवासी बजरंग नगर पर जानलेवा हमला हुआ था। बणगंगा पुलिस ने हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया था। हमले का मुख्य मुलजिम अर्पित उर्फ शिब्बू कमल जादौन निवासी स्कीम नंबर 78 ने सतीश भाऊ, गब्बर चिकना, अमित जादौन और आशीष जादौन के साथ मिलकर पत्रकार अंकुर जायसवाल पर एक समारोह में हमला किया था। पुलिस ने इन सभी आरोपियों पर जानलेवा हमले की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया था। पुलिस ने घटना के तीन दिन बाद ही कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन सतीश भाऊ तभी से फरार चल रहा था।

4 जून को पेश हो गया था भाउ

बाणगंगा थाना प्रभारी लोकेश भदौरिया के अनुसार सतीश भाऊ को पुलिस ने बाईपास से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था जहां से उसे जेल भेज दिया था। लेकिन जानकारों के अनुसार वह खुद ही मतगणना के दिन 4 जून को चुपचाप पेश हो गया था। पुलिस ने सतीश भाऊ पर धारा 307 के तहत प्रकरण दर्ज किया था, जिस पर कोर्ट में बहस हुई। इसमें सतीश भाऊ के अधिवक्ता योगेश हेमनानी ने अपत्ति ली और कोर्ट में तर्क रखा कि अंकुर जायसवाल को सामान्य चोट आई थी, जिस पर धारा 307 के तहत प्रकरण दर्ज नहीं किया जा सकता है। 307 धारा केवल प्राणघातक मारपीट में लगाई जा सकती है, जबकि मेडिकल में प्राणघातक मारपीट जैसी कोई पुष्टि नहीं हुई थी, इसलिये धारा 307 गलत लगाई गई थी। इन्ही तमाम तर्को और बहस से सहमत होकर कोर्ट ने सतीश भाउ को जमानत दे दी।

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