खासगी ट्रस्ट में सतीश मल्होत्रा को नहीं पॉवर आफ एटार्नी का अधिकार, बिकी संपत्तियां निशाने पर

इंदौर के सबसे चर्चित खासगी ट्रस्ट में एक नया कानूनी विवाद सामने आया है। हाईकोर्ट ने ट्रस्टी सतीश मल्होत्रा द्वारा अन्य को ट्रस्ट संबंधी दी गई पॉवर आफ एटार्नी को भूतलक्षी प्रभाव से खारिज कर दिया।

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Sanjay gupta
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इंदौर के सबसे चर्चित और विवादित खासगी ट्रस्ट को लेकर एक नया कानूनी पेंच आ गया है। एक केस को लेकर हाईकोर्ट इंदौर द्वारा दिए गए फैसले से ट्रस्टी सतीश मल्होत्रा द्वारा अन्य को ट्रस्ट संबंध में दी गई पॉवर आफ एटार्नी खारिज हो गई है। बड़ी बात यह है कि यह भूतलक्षी प्रभाव से खारिज हुई है। यानी इस तरह से बिकी हुई संपत्तियां भी विवादों में आ गई हैं। साथ ही ट्रस्ट के अन्य ट्रस्टियों पर जिसमें खुद इंदौर संभागायुक्त, सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर पीडब्ल्यूडी व अन्य ट्रस्टी उषा मल्होत्रा आदि भी एक प्रस्ताव पास करने पर घिर गए हैं।

यह है विवाद

इंदौर के मल्हारगंज के विट्ठल मंदिर की संपत्ति को लेकर यह पूरा विवाद है। इस संपत्ति पर कब्जे के लिए खासगी ट्रस्ट की ओर से राजेंद्र जोशी ने विजया नागचंडी और संजय नागचंडी व अन्य के खिलाफ केस लगाया। इस संपत्ति से इन्हें बेदखल करने की मांग की। इस पर जिला कोर्ट ने 24 नवंबर 2021 को आदेश देते हुए इन्हें बेदखली का आदेश दिया और दस हजार रुपए प्रति माह किराए के आधार पर 35 माह की राशि देने का आदेश दिया। इस पर नागचंड़ी ने हाईकोर्ट में रिवीजन पिटीशन दायर की।

खासगी ट्रस्ट के विरूद्ध यह हुए तर्क

  • नागचंडी पक्ष की ओर से तर्क दिए गए कि केंद्र सरकार के पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1882 के तहत ट्रस्टी को पॉवर आफ एटार्नी डेलीगेट करने का अधिकार ही नहीं है। ऐसे में ट्रस्ट की ओर से जोशी द्वारा जिला कोर्ट में लगाया गया पूरा केस ही मेंटेनेबल नहीं है।

  • साथ यही कहा कि मप्र पब्लिक रजिस्ट्रार ट्रस्ट एक्ट की धारा 36(2) के तहत हर ट्रस्ट का नोटिफिकेशन होता है। लेकिन खासगी तो इसमें रजिस्टर्ड ही नहीं है। इसलिए इन आधार पर यह जिला कोर्ट में चला पूरा केस ही गलत था।

ट्रस्ट ने बताया मल्होत्रा को मिले हैं अधिकार

इस मामले में ट्रस्ट की ओर से बताया गया कि ट्रस्ट ने 25 सितंबर 2009 में एक प्रस्ताव पास करते हुए ट्रस्टी सतीश मल्होत्रा को ट्रस्ट के नियमित काम के लिए अधिकृत करते हुए उन्हें पॉवर आफ एटार्नी देकर किसी भी कर्मचारी को अधिकृत करने के अधिकार दिए थे। इसका प्रस्ताव ट्रस्ट ने पास किया था। इसी आधार पर 23 जुलाई 2019 को मल्होत्रा ने यह अधिकारी जोशी को दिए थे, जिसके आधार पर उन्होंने विट्ठल मंदिर वाले मामले में केस दायर किया था, ताकि ट्रस्ट की संपत्ति सुरक्षित और मेंटेने रहें।

हाईकोर्ट ने यह माना

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हाईकोर्ट ने खासगी ट्रस्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया जिसमें ट्रस्ट को नए सिरे से रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट में पंजीयन कराने के आदेश हुए थे। हाईकोर्ट ने कहा कि यानी साफ है कि ट्रस्ट को रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट में पंजीयन होना चाहिए, जो वह नहीं हुआ है। साथ ही ट्रस्ट द्वारा प्रस्ताव पास कर एक ट्रस्टी को यह अधिकार देने और फिर उनके द्वारा पॉवर डेलीगेट को भी एक्ट और नियमों से परे माना और इसे खारिज कर दिया। साथ ही इस मामले को भूतलक्षी प्रभाव से माना।

पॉवर आफ एटार्नी से ही बिकी संपत्तियां

उल्लेखनीय है कि ट्रस्ट द्वारा हरिद्वार के कुशावर्त घाट का मामला हो या फिर रामेशवरम की जमीन व अन्य कई संपत्तियां यह सभी ट्रस्ट द्वारा पॉवर आफ एटार्नी के जरिए ही बिकी है। इस ट्रस्ट में वह सभी संपत्तियां हैं जो मां देवी अहिल्या द्वारा देश भर में निर्मित की गई थीं। इसमें सैंकड़ों संपत्तियां शामिल हैं। बाद में इनकी रक्षा के लिए और मेंटनेंस के लिए खासगी ट्रस्ट बना। लेकिन इसमें ट्रस्टी ने एक के बाद एक कई संपत्तियां बेच दी। इसे लेकर तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर के पूर्व कलेक्टर मनोज श्रीवास्तव से जांच कराई और इसके बाद मामला तू पकड़ा। हाईकोर्ट ने तो इसमें ईओडब्ल्यू से पूरी जांच कराने के आदेश दे दिए। लेकिन फिर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दिया और आदेश दिए कि इसमें रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट में इसे रजिस्टर्ड किया जाए और रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट बिकी संपत्तियों की जांच करें, लेकिन आज तक यह रजिस्टर्ड ही नहीं हुआ है और सुप्रीम कोर्ट की पहले ही अवमानना हो चुकी है और ना ही संपत्तियों की कभी जांच हुई।

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