मध्यप्रदेश के सतना में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में दो चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं। अकौना गांव में पंचायत में एक ओर सात साल पहले मृत घोषित व्यक्ति के नाम से लगातार राशन बांटा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर एक जिदा आदिवासी को सालों से मृत बताकर राशन से नहीं दिया जा रहा।
7 साल पहले मृत शख्स
ग्राम अकौना में बलवंत सिंह की सड़क हादसे में मौत वर्ष 2017 में हो गई थी, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि उनकी समग्र आईडी से आज भी मुफ्त राशन वितरित किया जा रहा है। सरपंच श्रद्धा सिंह ने मामले की शिकायत सीपी ग्राम पोर्टल पर दर्ज कराई है।
कैसे मिल रहा राशन
राशन केंद्र के सेल्समैन शिवकुमार गौतम ने बताया कि बलवंत सिंह के परिवार के 8 सदस्य समग्र आईडी में पंजीकृत हैं और किसी एक सदस्य के फिंगरप्रिंट से पूरा परिवार राशन ले रहा है। 13 मई को प्रदीप सिंह ने बलवंत सिंह की ही समग्र आईडी (194399070) से अनाज प्राप्त किया।
जिंदा आदिवासी को घोषित कर दिया मृत
दूसरी तरफ, गांव के ही 62 साल के आदिवासी शंकर को समग्र पोर्टल ने वर्ष 2017 में ‘मृत’ घोषित कर दिया। इसके बाद उनका नाम पीडीएस की पात्रता सूची से हटा दिया गया और राशन मिलना बंद हो गया। सरपंच श्रद्धा सिंह ने बताया कि यह मामला करीब 6 महीने पहले सामने आया। दोनों ने इसकी शिकायत सीपी ग्राम पोर्टल पर की गई है।
जांच के बाद कलेक्टर के आदेश से शंकर को सरकारी रिकॉर्ड में पुनर्जीवित तो कर दिया गया, लेकिन चार महीने बीतने के बाद भी उन्हें राशन नहीं मिल पा रहा है।
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शिकायतों का अंबार, कार्रवाई का इंतजार
इन दोनों मामलों की शिकायत सरपंच श्रद्धा सिंह ने तहसीलदार और सीएम हेल्पलाइन तक से की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है। सरपंच ने बताया कि दोनों ही मामले सरकारी सिस्टम की लापरवाही और तकनीकी लचरता को उजागर करते हैं।
गुना से भी आया था ऐसा मामला
मध्यप्रदेश के गुना से भी बीते हफ्ते ऐसा ही घोटाला उजागर हुआ था। जिसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। जिले में पिछले 3-4 वर्षों से 4989 मृतकों के नाम पर सरकारी राशन जारी होता रहा था। इससे सरकार को हर माह करीब 8.43 लाख रुपये की आर्थिक चपत लग रही थी।
✅ समझिए पूरी खबर को आसान 5 बिंदुओं में
मृत बलवंत सिंह के नाम पर जारी राशन – 2017 में मरे शख्स की ID से आज भी फिंगरप्रिंट पर मिल रहा राशन।
ज़िंदा आदिवासी शंकर को बताया गया मृत – साल 2017 में गलत रिकॉर्डिंग से हटाया गया नाम, बंद हुआ राशन।
सरपंच की पहल से खुले फर्जीवाड़े के राज – श्रद्धा सिंह ने की शिकायत, तब जाकर शुरू हुई जांच।
रिकॉर्ड में ‘ज़िंदा’ होने के बाद भी नहीं मिला राशन – कलेक्टर आदेश के बाद भी 4 महीने से लाभ से वंचित।
डीएसओ का आश्वासन – होगी जांच और कार्रवाई – दोषियों पर होगी कार्रवाई, पात्रों को मिलेगा लाभ।
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