सौरभ शर्मा मामले में हाल ही में जांच एजेंसियों के छापों के दौरान बरामद हुई 66 पन्नों की हरी डायरी ने राजनीति और प्रशासन में खलबली मचा दी है। इस डायरी में परिवहन विभाग के कथित लेन-देन का विवरण दर्ज है, जिसमें विधायकों, मंत्रियों, और नौकरशाहों के नाम के साथ-साथ उनके कथित ‘दाम’ भी लिखे गए हैं।
डायरी में दर्ज नाम और कोड वर्ड
सूत्रों के अनुसार, डायरी में कोड वर्ड जैसे ‘बी’, ‘यू’, और ‘जी’ का उपयोग किया गया है। इनमें से ‘जी’ और ‘यू’ को वीआईपी श्रेणी में रखा गया है। डायरी में भाजपा के 10 और कांग्रेस के 7 विधायकों के नाम शामिल हैं। इसके अलावा, 12 अधिकारियों और कुछ बिचौलियों के नाम भी दर्ज हैं।
राजनीतिक विवाद
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने डायरी को सार्वजनिक कर उसकी सत्यता की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने इसे 2000 करोड़ रुपये से अधिक के भ्रष्टाचार का प्रमाण बताया। दूसरी ओर, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने किसी भी संलिप्तता से इनकार किया है।
सोना, नकदी और घोटाले का कनेक्शन
19 दिसंबर को बिल्डरों और परिवहन विभाग के कर्मचारियों के ठिकानों पर छापेमारी में 52 किलो सोना और 11 करोड़ नकद बरामद हुए। इन बरामदगी को डायरी में दर्ज भ्रष्टाचार के विवरण से जोड़कर देखा जा रहा है।
सरकार की कार्रवाई
राज्य सरकार ने परिवहन विभाग में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी करते हुए परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता को हटाकर एडीजी विवेक शर्मा को जिम्मेदारी सौंपी है। यह कदम विभाग में फैले भ्रष्टाचार को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है।
सौरभ शर्मा की पृष्ठभूमि
सौरभ शर्मा ने परिवहन विभाग में अपनी अस्थायी नियुक्ति के दौरान ही रसूखदारों के संरक्षण में भ्रष्टाचार का जाल बिछा दिया। सात साल तक उसने विभाग से कथित रूप से भारी कमाई की।
इस डायरी ने भ्रष्टाचार के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा किया है। हालांकि, जांच एजेंसियों की धीमी प्रतिक्रिया और डायरी पर बढ़ती राजनीतिक बयानबाजी ने मामले को और पेचीदा बना दिया है।
thesootr links
द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें