गजब है : SC- ST कल्याण फंड के 96 करोड़ से होगा गोशालाओं का विकास, धार्मिक लोक भी बनाए जाएंगे

गो- कल्याण कोष में पिछले साल की तुलना में करीब 90 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। मगर गो- संवर्धन और पशुपालन के लिए 252 करोड़ रुपए में से 95.76 करोड़ एससी- एसटी उप-योजना से आवंटित किए गए हैं। अब इस पर विवाद छिड़ गया है…

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CHAKRESH
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एमपी गजब है! केंद्र सरकार ने पैसा तो जारी किया कि इससे SC- ST समुदाय के लोगों के हित में काम हो सकेंगे, मगर 96 करोड़ की भारी- भरकम रकम को गो- कल्याण के लिए शिफ्ट कर दिया गया। अब इस पैसे का उपयोग प्रदेश की गोशालाओं के विकास में किया जाएगा। मामला उजागर होते ही दलित और आदिवासी संगठनों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आने लगी है। 

ऐसे समझें- क्या है उप योजना

एसटी उप-योजना की शुरुआत 1974 में और एससी उप-योजना की शुरुआत 1979-80 में की गई थी। इसके तहत राज्यों को कमजोर वर्गों की शिक्षा और आर्थिक हितों को बढ़ावा देने की देखभाल करने का प्रावधान किया गया है। इस योजना के तहत केंद्र राज्यों को उनकी एससी/एसटी उप-योजनाओं के वित्त पोषण के लिए 100% विशेष सहायता प्रदान करता है।

मध्य प्रदेश में क्या खेल हो गया

मध्य प्रदेश इस साल केंद्र द्वारा वित्त पोषित उप-योजना ( SUB PLAN ) के तहत अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के कल्याण के लिए नियत बजट में से 96 करोड़ का उपयोग धार्मिक स्थलों, संग्रहालयों के विकास और गौ कल्याण के लिए कर रहा है।

बता दें कि गोकल्याण कोष में पिछले साल की तुलना में लगभग 90 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। जानकारी के अनुसार गो- संवर्धन और पशुपालन के लिए 252 करोड़ रुपए में से 95.76 करोड़ एससी/एसटी उप-योजना से आवंटित किए गए हैं।  

इसी प्रकार छह धार्मिक स्थलों के पुनर्विकास के लिए, चालू वित्तीय वर्ष के लिए आवंटित धनराशि का लगभग आधा हिस्सा एससी/एसटी उप-योजना से है।

सरकार ने जुलाई में पेश बजट में सीहोर में श्री देवी महालोक, सागर में संत श्री रविदास महालोक, ओरछा में श्री राम राजा महालोक, चित्रकूट में श्री रामचंद्र वनवासी-महालोक और ग्वालियर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के स्मारक के विकास के लिए 109 करोड़ रुपए की घोषणा की थी। यानी इन लोकों का निर्माण SC-ST Sub-Plan के पैसों से होगा। 

कर्नाटक भी कर चुका है ऐसा

बता दें कि कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश दूसरा राज्य है, जिसने एससी- एसटी की योजनाओं की राशि दूसरी योजनाओं में डायवर्ट की है। कल्याण योजना के लिए उप-योजना से 14,000 करोड़ रुपए लेने के कर्नाटक के फैसले के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को स्पष्टीकरण मांगते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

विरोध भी शुरू

इस मामले में आदिवासी विभाग के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "धार्मिक गलियारों और संग्रहालय में दुकानें होंगी, जहां सभी वर्गों के लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। आदिवासी परंपरा को बढ़ावा देने के लिए गलियारों में कलाकृतियां बनाई जाएंगी। आवंटित बजट का उपयोग इसके लिए किया जाएगा।" हालांकि, दलित कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि एससी/एसटी उप-योजना का डायवर्जन केंद्र योजना का दुरुपयोग है।

SC- ST मामलों के जानकार डॉ. एसके सदावर्ते का कहना है कि यह उप-योजना के लिए पूर्ववर्ती योजना आयोग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पूरी तरह उल्लंघन है। दरअसल यह पूरी तरह दलित- आदिवासियों के साथ हकमारी का मामला है। 

समाजसेवी डॉ मेजर मनोज राजे और बताते हैं कि ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में Scheduled Caste Sub Plan (SCSP) और TSP ( Tribe Sub Plan ) के लिए दिशा- निर्देश योजना आयोग द्वारा तैयार किए गए थे। इसके अनुसार, विभाग को एससीएसपी और टीएसपी के लिए निर्धारित धनराशि को अलग रखना चाहिए, ताकि इसे किसी अन्य योजना में डायवर्ट न किया जा सके। 

उधर आदिवासी मामलों के विशेषज्ञ और द कॉंस्टीट्यूशन फोरम के प्रोफेसर डॉ पीडी महंत कहते हैं कि एससीएसपी और टीएसपी के तहत केवल उन योजनाओं को शामिल किया जाए जिनसे अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के व्यक्तियों या परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ मिलता हो। इस राशि का मंदिरों, संग्रहालयों और गोशालाओं के निर्माण के लिए उपयोग नहीं हो सकता। 

SC एसटी उप-योजना