उपजाति विभाजन और कोटा तय करने के खिलाफ अनुसूचित जाति वर्ग, अब SC-ST आरक्षण में कोटे से सहमत नहीं समाज

द सूत्र ने आमजन से लेकर अनुसूचित जाति वर्ग के संगठन और लोकसेवकों से भी बात की। इस दौरान आरक्षित वर्ग के वर्गीकरण और उसके आधार पर सब कोटा तय करने पर सबने अपना-अपना पक्ष रखा।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. आरक्षण में सब कोटा तय करने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज करने के बाद एससी-एसटी वर्ग मंथन में जुट गया है। समाज का एक तबका सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समर्थन में है तो दूसरा तबका इसे वर्ग के लिए गलत ठहरा रहा है। वहीं अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के संगठनों के पदाधिकारी और लोकसेवकों के संगठन नए सिरे से अपील की तैयारी भी कर रहे हैं। इन संगठनों के पदाधिकारियों और समाज के प्रबुद्धजनों की अपनी प्रतिक्रियाएं हैं लेकिन ज्यादातर लोग इसे आरक्षित वर्ग में फूट डालने वाला निर्णय बता रहे हैं। 

आरक्षण में सब कोटा तय करने का मामला

आरक्षण में सब कोटा तय करने का मामला क्या हैं, इस पर सुप्रीम कोर्ट में क्या फैसला हुआ और अब इसको लेकर देश और प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के आमजन-संगठनों में दो मत क्यों हैं। इसको लेकर द सूत्र ने आमजन से लेकर अनुसूचित जाति वर्ग के संगठन और लोकसेवकों से भी बात की। इस दौरान आरक्षित वर्ग के वर्गीकरण और उसके आधार पर सब कोटा तय करने पर सबने अपना-अपना पक्ष रखा।  याचिकाओं को संविधान बचाओ ट्रस्ट, आंबेडकर ग्लोबल मिशन, ऑल इंडिया एससी-एसटी रेलवे एम्प्लॉयी एसोसिएशन समेत कई संस्थाओं की ओर से दायर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने 1 अगस्त को ही 6-1 के बहुमत से फैसला दिया था। आप भी जानिए अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के प्रबुद्धजन अपने समाज के वर्गीकरण और आरक्षण में सब कोटा तय करने के फैसले पर क्या सोचते हैं।

उपजातियों को कोटा देने की मांग

पहले आपको बताते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है? दरअसल आरक्षण से वंचित उपजातियों को कोटा देने की मांग उठने पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति की उपजातियों को आरक्षण का लाभ सुनिश्चित करने आरक्षण में कोटा तय करने राज्य सरकारों को निर्देशित किया था। 1 अगस्त को दिए गए निर्णय में कहा गया था कि राज्य सरकारों को जरूरी लगता है तो एससी-एसटी कोटे के भतीर ही कुछ उपजातियों के लिए सब कोटा तय किया जा सकता है। आरक्षित वर्ग के एक तबके द्वारा इसका विरोध करते हुए देशभर में विरोध प्रदर्शन भी किया था। वहीं आरक्षण में कोटा तय करने के निर्णय पर पुनर्विचार याचिकाएं प्रस्तुत की गई थीं। शुक्रवार को सु्प्रीम कोर्ट द्वारा इन पुनर्विचार याचिकाओं को निरस्त किया जा चुका है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की बेंच ने कहा था कि फैसले में ऐसी कोई त्रुटि नहीं थी, जिस पर पुनर्विचार किया जाए। हमने पुनर्विचार याचिकाओं को देखा है। निर्णय देने वाली बेंच में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम. त्रिवेदी, पंकज मिथल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा इस बेंच में शामिल थे।अनुसूचित जाति और जनजाति सक्षम नहीं

अब बात करते हुए अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों की प्रतिक्रयाओं की।  समाज के संगठन और प्रबुद्धजन फैसले को शोषित वर्ग के खिलाफ बता रहे हैं। उनका कहना है, अब तक अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग इतना सक्षम नहीं हुआ कि उसका वर्गीकरण किया जाए। वर्गीकरण से समाज के लोग बंट जाएंगे। आजादी के बाद किसी तरह संगठनों की जागरुकता मुहिम, आरक्षण के कारण वंचित वर्ग एकजुट होकर मजबूत हो रहा था। अब आरक्षण में कोटा देकर समाज के लोगों में वर्गीकरण के नाम पर फूट डालकर फिर आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत वर्ग फायदा उठाएगा। 

आरक्षण के अंदर कोटा तय

डॉ.हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर की एससी-एसटी टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ. रामहित गौतम का कहना है आरक्षण के अंदर कोटा तय करने और उपजातियों में वर्गीकरण से अनुसूचित जाति- जनजाति वर्ग को नुकसान होगा। आरक्षण से मजबूत हो रहे समाज के लोग एक साथ संगठित होकर आगे बढ़ रहे थे लेकिन अब वे अवसरों को लेकर आमने-सामने होंगे। शोषित वर्ग की आवाज भी इस वर्गीकरण से कमजोर पड़ जाएगी। 

असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वीरेन्द्र मटसेनिया पुनर्विचार याचिकाओं के खारिज होने को अनुसूचित जाति के लिए हितकर नहीं मानते। उनका कहना है देश की आजादी के 7 दशक बाद भी वंचित वर्ग की हालत सबके सामने हैं। यदि एससी-एसटी वर्ग समाज के वर्गीकरण के खिलाफ खड़ा नहीं हुआ तो यह बहुत घातक होगा। समाज के बीच बंटवारा और खाई डालने की जो तैयारी हो रही है उससे आमजन को अवगत कराने उनके बीच जाएंगे। समाज के संगठनों के बीच भी विचार विमर्श करेंगे। 

क्या कहते हैं संगठन के पदाधिकारी अजब सिंह 

अनुसूचित जाति वर्ग के संगठन के पदाधिकारी अजब सिंह कहते हैं आज भी अनुसूचित जाति वर्ग वंचित_शोषित है। अभी भी यह समाज इतना मजबूत नहीं हो पाया है कि उसका वर्गीकरण किया जाए। सुप्रीम कोर्ट को देश भर से डेटा जुटाकर समाज की स्थिति को समझना चाहिए। समाज को जितना जरूरी है उतना प्रतिनिधित्व अब तक नहीं मिल रहा है। जब समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलेगा और वे मुख्यधारा में शामिल होंगे तब वर्गीकरण पर विचार करना चाहिए। समाज के लोग इस मामले में एक साथ बैठकर विचार और रणनीति तय  करेंगे। 

सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ समाज नहीं लड़ सकता

एससी वर्ग के छात्र अर्जुन सूर्यवंशी भी आरक्षण में कोटा तय करने की व्यवस्था को अनुसूचित जाति वर्ग के लिए उचित नहीं मानते। उनका कहना है सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ समाज लड़ तो नहीं सकता लेकिन संविधान में जो अधिकार हमें मिले हैं उसके आधार पर हम विरोध करेंगे। देश के आजाद होने के बाद से हम देख रहे हैं, समाज कितना बदला है, वंचित वर्ग के लोगों को कितना लाभ मिला है।

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