अंतत: स्कूल शिक्षा मंत्री ( School Education Minister ) को प्रदेश के पांच हजार स्कूलों से जीरो इयर का कलंक धोने की सुध आ गई है। स्कूल शिक्षा मंत्री इन स्कूलों के साथ ही प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में प्रवेशी छात्रों की संख्या बढ़ाने का आव्हान कर रहे हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री उदयप्रताप सिंह ( Uday Pratap Singh ) ने हाल ही में नरसिंहपुर में एक कार्यक्रम में पंचायत सचिव ( Panchayat Secretary ), रोजगार सहायक ( Employment Assistant ) और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ( Anganwadi worker ) को मुहिम में शामिल होकर एक-एक बच्चे का प्रवेश कराने के निर्देश दिए हैं। लेकिन शैक्षणिक सत्र की एक पूरी तिमाही गुजरने के बाद स्कूल शिक्षा मंत्री द्वारा एडमिशन की मुहिम छेड़ने पर लोग सवाल उठा रहे हैं। वहीं शिक्षक विहीन स्कूलों में बच्चों को कौन पढ़ाएगा इसको लेकर ग्रामीणों के साथ ही उस क्षेत्र के शिक्षा अधिकारी भी असमंजस में हैं।
पांच हजार से ज्यादा स्कूलों में जीरो प्रवेश
दरअसल प्रदेश में इस साल शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बावजूद 5501 स्कूलों में एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया है। इस वजह से इन स्कूलों में जीरो इयर के हालात बने हैं। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग और डीपीआई को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
प्रदेश के सिवनी जिले में सबसे ज्यादा 425 स्कूलों में एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया है। सतना जिले के 303, नरसिंहपुर जिले के 299, खरगोन जिले के 287, बैतूल जिले के 265, सागर और विदिशा जिले के 258, रायसेन के 207, मंदसौर के 193 और देवास जिले के 181 स्कूलों में इस सत्र में प्रवेश की स्थिति शून्य रही है।
जहां एक ओर निजी स्कूलों में एडमिशन के लिए बच्चों और उनके माता-पिता कतारबद्ध होने को मजबूर हैं वहीं पांच हजार से ज्यादा स्कूलों में प्रवेश लेने कोई पहुंचा तक नहीं। ऐसा क्यों हुआ शिक्षा विभाग अब भी इस पर मंथन करने को तैयार नहीं है। वहीं बीते दिनों अतिथि शिक्षकों पर बयान देकर विवाद में फंसे स्कूल शिक्षा मंत्री अब छवि बदलने की कोशिश में जुटे दिख रहे हैं। दो दिन पहले वे अपने बयान पर भी खेद जता चुके हैं।
मंत्री के आदेश पर बच्चों को स्कूल लाने की तैयारी
स्कूल शिक्षा मंत्री उदयप्रताप सिंह ( School Education Minister Uday Pratap Singh ) ने बीते दिनों अपने गृह जिले में एक आयोजन के दौरान स्कूलों में बच्चों द्वारा प्रवेश न लेने पर चिंता जताई है। उन्होंने इन क्षेत्रों के पंचायत सचिव, रोजगार सहायकों के अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बच्चों के प्रवेश कराने के निर्देश दिए हैं। मंत्री के आदेश के बाद अब ये कर्मचारी घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल लाने की कोशिश करेंगे। मंत्री उदयप्रताप सिंह ने स्कूलों में शत-प्रतिशत उपस्थिति तय करने के भी निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। ऐसे में शैक्षणिक सत्र के तीन माह बाद जब बच्चों ने दूसरे स्कूलों में एडमिशन ले लिया है उन्हें सरकारी स्कूलों में प्रवेश कैसे कराएंगे ? इसको लेकर अब अधिकारी पशोपेश में हैं।
शिक्षक ही नहीं तो कैसे कामयाब होगी कोशिश
सालों से शिक्षक बनने के लिए प्रदेश के युवा सड़कों पर भटकने को मजबूर हैं। बच्चों को निजी स्कूलों में हजारों रुपए खर्च करने के बाद भी एडमिशन नहीं मिल रहे। वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूल शिक्षक और बच्चों के बिना खाली हैं। इस अव्यवस्था पर चयन और पात्रता जैसी परीक्षाएं पास कर चुके अभ्यर्थियों के अलावा अतिथि शिक्षकों ने सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है जब सरकार स्कूलों में शिक्षक ही नहीं दे पा रही है तो बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी। जिन स्कूलों में इस साल जीरो इयर के हालात हैं उनके बीते एक दशक की स्थिति का परीक्षण सरकार को कराना चाहिए। इन स्कूलों में इतने बच्चे थे कि बैठाने तक की जगह नहीं होती थी। शिक्षक कम हो गए, फिर दो या तीन कक्षाओं को एक-एक शिक्षकों को संभालना पड़ा। हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी कक्षाओं में विषय विशेषज्ञ नहीं हैं। ऐसे कौन अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में पढ़ाना चाहेगा?
मंत्री के जिले के स्कूलों की हालत ही खराब
स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री उदयप्रताप सिंह नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा विधानसभा से निर्वाचित हुए हैं। वे इसी जिले के मूल निवासी भी हैं। इसके बावजूद उनके गृह जिले में ही सरकारी स्कूल बदहाली झेल रहे हैं। मंत्री के गृह जिले में कई स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। इन तमाम वजहों के चलते नरसिंहपुर जिले के 299 स्कूलों में इस साल एक भी छात्र या छात्रा ने एडमिशन नहीं लिया है। जब मंत्री के गृह क्षेत्र के स्कूलों की हालत नहीं सुधारी और जीरो इयर रहने वाले स्कूलों का आंकड़ा इतना बढ़ा है तो प्रदेश के दूरस्थ अंचलों में स्कूली शिक्षा के हाल का अंदाजा लगाया जा सकता है। बीते साल आए परीक्षा परिणामों ने भी इस स्थिति को उजागर कर दिया था।
आखिर क्या है 5 हजार स्कूलों से दूरी की वजह
सरकार 94 हजार से ज्यादा स्कूलों को बंद करने पर उतारू है लेकिन उनमें शिक्षकों की भर्ती नहीं करना चाहती। छोटे मामलों में सरकार जांच आयोग बना देती है लेकिन हजारों स्कूलों में बच्चों के प्रवेश न लेने की वजह को नजर अंदाज किया जा रहा है। प्रदेश के 5501 स्कूल जीरो इयर का कलंक झेल रहे हैं। इन स्कूलों में एक भी बच्चे ने प्रवेश नहीं लिया है। जबकि जिन क्षेत्रों के ये स्कूल हैं वहां पहली से लेकर हायर सेकेण्डरी तक पढ़ने वाले बच्चों का टोटा नहीं है। इसके अलावा निजी स्कूल भी चल रहे हैं जिनमें मोटी फीस भरकर लोग अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इस स्थिति के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग ने इस बड़े मामले की सुध नहीं ली है। डीपीआई ने भी जीरो इयर रहने वाले स्कूलों की पड़ताल करना जरूरी नहीं समझा।
जीरो इयर की स्थिति वाले जिले और स्कूल की संख्या
जिला | स्कूलों की संख्या |
सिवनी | 425 |
सतना | 303 |
नरसिंहपुर | 299 |
खरगोन | 287 |
बैतूल | 265 |
सागर | 258 |
विदिशा | 258 |
रायसेन | 207 |
मंदसौर | 193 |
देवास | 181 |
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