बीजेपी और नोटा के बीच चली सेबफल की चर्चा, उधर कांग्रेस को नोटा के प्रचार की नहीं मिली मंजूरी

सेबफल संघ के पूर्व प्रचारकों की पार्टी जनहित को मिला चुनाव चिन्ह है। जनहित भले ही राजनीतिक दल हो, लेकिन अभी उसे उसका स्थाई चुनाव चिन्ह नहीं मिला है। उसे इस बार सेबफल चिन्ह मिला है। इसके प्रत्याशी अभय जैन है।

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Pratibha ranaa
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बीजेपी और नोटा के बीच चली सेबफल की चर्चा
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संजय गुप्ता, INDORE. कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय कांति बम ( Akshay Kanti Bomb ) के बीजेपी में जाने के बाद वह प्रत्याशी विहीन हो चुकी है और उधर बीजेपी को नोटा ( NOTA ) मुहिम से दो-चार होना पड़ रहा है। लेकिन जहां इंदौर सीट पर अभी तक नोटा और कमल निशान की बात चल रही थी, अब सेबफल भी बीच में आ गया है। उधर कांग्रेस को औपचारिक तौर पर नोटा के समर्थन में प्रचार करने की मंजूरी नहीं मिल रही है।

क्यों और कैसे आया सेबफल बीच में

दरअसल सेबफल संघ के पूर्व प्रचारकों की पार्टी जनहित को मिला चुनाव चिन्ह है। जनहित भले ही राजनीतिक दल हो, लेकिन अभी उसे उसका स्थाई चुनाव चिन्ह नहीं मिला है। उसे इस बार सेबफल चिन्ह मिला है। इसके प्रत्याशी अभय जैन है। जैसे ही शहर में नोटा को लेकर मुहिम तेज हुई, संघ के पूर्व प्रचारक सक्रिय हो गए है। 

दिया नारा, नोटा क्यों? जब उससे बेहतर विकल्प 

जनहित पार्टी ने अब छोटी-छोटी बैठकें और सभा कर लोगों को यह बताना शुरू कर दिया है कि वह नोटा क्यों चुनें? नोटा से बेहतर विकल्प में सेबफल मौजूद है, तो फिर नोटा छोड़िए और सेबफल को चुनिए। अब इसी नारे के साथ जनहित पार्टी ने अपना प्रचार तेज कर दिया और वह बीजेपी और कांग्रेस के बीच की लड़ाई में मौके का फायदा उठाने में जुट गई है। 

कौन बनेगा बीजेपी का निकटतम प्रतिद्वंदी

इंदौर सीट से कुल 14 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिसमें बीजेपी के शंकर लालवानी के साथ बीएसपी के संजय सोलंकी व अन्य दल व निर्दलीय है। लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशी के बाहर होने के बाद सबसे ज्यादा चर्चा अब नोटा की है। माना जा रहा है बीजेपी का निकटतम प्रतिदंदी नोटा हो सकता है। बीते चुनाव 2019 की बात करें को बीजेपी के बाद कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी। बीजेपी को 65 फीसदी तो कांग्रेस को 32 फीसदी वोट थे। तीसरे नंबर पर बीएसपी थी जिसे 0.53 फीसदी वोट थे। वहीं चौथे नंबर पर नोटा को 5045 वोट मिले थे। अब सभी की नजरें इसी बात पर है कि यदि कांग्रेस नहीं तो उसे बीते चुनाव में मिले 5.20 लाख के वोट बैंक को कौन ले सकता है। इंदौर में ट्रेंड रहा है कि बीजेपी और कांग्रेस के अलावा अन्य दल या निर्दलीय प्रत्याशी को 10 हजार से ज्यादा वोट नहीं मिलता है। कांग्रेस कोशिश में है कि इस बार इंदौर में नोटा में ज्यादा से ज्यादा वोट की मुहिम कराकर देश में नया रिकार्ड बनाए और इससे बीजेपी की जीत पर एक दाग लगाने का काम हो सकेगा। अभी तक नोटा में रिकार्ड गोपालगंज सीट का है जहां 2019 में 51660 वोट नोटा को मिले थे। 

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कांग्रेस बोली नहीं मिल रही प्रचार की मंजूरी

उधर, नोटा को लेकर लगातार आक्रामक हो रही कांग्रेस को औपचारिक तौर पर इसके प्रचार के लिए मंजूरी नहीं मिल रही है। शहराध्यक्ष कांग्रेस सुरजीत सिंह चड्‌डा ने कहा कि हमने नोटा के प्रचार के लिए नुक्कड़ सभा व अन्य आयोजन को लेकर मंजूरी मांगी थी जो नहीं मिली। उधर प्रचार को लेकर रणनीति बनाने के लिए प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी मंगलवार को इंदौर आ रहे हैं, वह कांग्रेस दफ्तर में बैठक करेंगे।

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