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BHOPAL. गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमटेड ( गेल ) सीहोर जिले के आष्टा में पेट्रोकेमिकल प्लांट ( petrochemical plant ) लगाने जा रही है। कंपनी यहां 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश कर 1.5 मिलियन टन प्रति वर्ष ( MTPA) की ईथेन क्रेकिंग यूनिट लगाएगी। यह गेल ( GAIL ) का मप्र में सबसे बड़ा निवेश होगा। प्लांट के लिए कंपनी महाराष्ट्र के औरंगाबाद और दाभोल में जमीन देख रही थी, लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद कंपनी मप्र आई। करीब 8 महीने पहले मप्र औद्योगिक विकास निगम ( एमपीआईडीसी ) ने कंपनी को सीहोर में जमीन दिखाई थी। डेढ़ महीने पहले गेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने आष्टा के पास 800 हेक्टेयर जमीन फाइनल की। इसमें करीब 450 हेक्टेयर जमीन सरकारी और 350 हेक्टेयर निजी है।
जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू
एमपीआईडीसी के एमडी चंद्रमौलि शुक्ला ने बताया कि हमने जमीन दिखाई है। आगे कंपनी शासन स्तर पर प्रस्ताव भेजेगी। कंपनी सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार तक सरकार के पास प्रस्ताव आ जाएगा। इधर, सीहोर कलेक्टर की ओर से जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उम्मीद है कि 6 महीने में यह पूरी हो जाएगी। प्रोजेक्ट शुरू होते ही 5 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और इतने ही लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलना शुरू हो जाएगा।
सीहोर क्यों पसंद ?
देश के केंद्र में होने के साथ ही यहां बेहतर कनेक्टिविटी है। इसके साथ ही कंपनी ऐसी जमीन चाहती थी, जहां किसी तरह का कानूनी विवाद न हो। गेल के अफसर ऐसी जमीन से चाह रहे थे, जहां अतिक्रमण और धार्मिक स्थल न हों। यही वजह है आष्टा की जमीन को कंपनी ने तुरंत फाइनल कर दिया।
5 साल में प्रोजेक्ट पूरा होने की उम्मीद
MPIDC बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं देगी। गेल का निवेश 50 हजार करोड़ का है, ऐसे में सरकार के स्तर पर कंपनी को अलग से क्या सुविधाएं देनी हैं, यह फैसला कैबिनेट करेगी। प्लांट का प्रस्ताव फाइनल होने के बाद गेल का बोर्ड इन मुद्दों पर सरकार से बात करेगा। 5 से 6 साल में प्रोजेक्ट पूरा होने की उम्मीद है।
दोगुना हो जाएगा उत्पादन फायदा
एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 2040 तक पेट्रोकेमिकल्स की मांग तीन गुना बढ़कर एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। ईथेन प्राकृतिक गैस का घटक है, जो एथिलीन में टूटता है। इससे प्लास्टिक, ग्लू, सिंथेटिक रबर जैसे उत्पाद तैयार करने वाले कम्पोनेंट मिलते हैं। गेल के इस प्रोजेक्ट के शुरू होने से इसकी उत्पादन क्षमता दोगुनी हो जाएगी।
भूमि अधिग्रहण का काम छह महीने के भीतर
छह महीने में भूमि अधिग्रहण हो जाएगा। इसके बाद प्लांट का काम शुरू होगा। प्लांट बनने से रोजगार तो पैदा होंगे ही, आष्टा भी बड़ा क्षेत्र बनकर उभरेगा।
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