Equal Day and Night 2024 : 23 सितंबर को दिन और रात होंगे बराबर, सूर्य दक्षिणी गोलार्ध और तुला राशि में करेगा प्रवेश

23 सितंबर के बाद सूर्य दक्षिणी गोलार्ध और तुला राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के दक्षिणी गोलार्ध में आने से उत्तरी गोलार्ध में किरणों की तीव्रता कम होने लगेगी। इस घटना को शंकु यंत्र और नाड़ी यंत्र की सहायता से देखा जा सकेगा।

Advertisment
author-image
Raj Singh
New Update
the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

23 सितंबर को दिन और रात बराबर होते हैं। इस घटना को शरद संपात भी कहा जाता है। 23 सितंबर के बाद सूर्य दक्षिणी गोलार्ध और तुला राशि में प्रवेश करेगा। अब उत्तरी गोलार्ध में दिन धीरे-धीरे छोटे होने लगेंगे और रातें बड़ी होने लगेंगी। 23 सितंबर को सूर्य विषुवत रेखा पर लंबवत होगा। सूर्य के विषुवत रेखा के लंबवत होने के कारण दिन और रात की अवधि 12-12 घंटे के बराबर होती है।

अब छोटे होने लगेंगे दिन...

उज्जैन स्थित शासकीय वेधशाला के अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त बताते हैं कि 23 सितंबर को सूर्य दक्षिणी गोलार्ध और सायन तुला राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन सूर्य की परिक्रमा दक्षिण दिशा में शून्य अंश 16 मिनट 56 सेकंड पर होगी। जबकि सायन तुला राशि में सूर्य की स्थिति शून्य अंश 28 सेकंड पर होगी। सूर्य के दक्षिणी गोलार्ध में प्रवेश करने से उत्तर दिशा में दिन धीरे-धीरे छोटे और रातें बड़ी होने लगेंगी, यह क्रम 21 दिसंबर तक जारी रहेगा।

आरपी गुप्त आगे बताते हैं कि कि 21 दिसंबर को भारत समेत उत्तरी गोलार्ध में दिन सबसे छोटा और रात सबसे लंबी होगी। 24 सितंबर से सूर्य के दक्षिणी गोलार्ध में प्रवेश करने के कारण उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की किरणों की तीव्रता धीरे-धीरे कम होने लगेगी, जिससे ठंड का मौसम शुरू हो जाएगा।

23 सितंबर की घटना को इस यंत्र से देख सकेंगे

23 सितंबर की घटना को शासकीय जीवाजी वेधशाला में शंकु यंत्र एवं नदीवलय यंत्र के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। इस दिन शंकु की छाया दिनभर सीधी रेखा (विषुवत रेखा) में घूमती नजर आएगी। 23 सितंबर से पहले नदीवलय यंत्र के उत्तरी वृत्ताकार भाग पर सूर्य की रोशनी पड़ती थी। 23 सितंबर को उत्तरी एवं दक्षिणी वृत्ताकार भाग में से किसी पर भी सूर्य की रोशनी नहीं पड़ेगी।

24 सितंबर से अगले छह महीने (20 मार्च तक) नाडिवलय यंत्र के दक्षिणी गोलार्ध पर सूर्य की रोशनी रहेगी। इस प्रकार, हम नाडिवलय यंत्र के माध्यम से सूर्य के अर्धगोलाकार परिवर्तन को सीधे देख सकते हैं। इसी तरह, 23 सितंबर को चंद्रमा और बृहस्पति के मिलन की खगोलीय घटना दिखाई देगी। सोमवार को रात 11 बजे के बाद हम बृहस्पति को चंद्रमा के पास देख सकते हैं। इसे देखने के लिए किसी यंत्र की आवश्यकता नहीं है। आप बृहस्पति को चंद्रमा के नीचे चमकते हुए देखेंगे।

thesootr links

सबसे पहले और सबसे बेहतर खबरें पाने के लिए thesootr के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें। join करने के लिए इसी लाइन पर क्लिक करें

एमपी न्यूज मध्य प्रदेश sharad sampat शरद सम्पात equal day and night 2024 दिन-रात बराबर 2024 विषुवत रेखा