इंदौर में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान बोले, मैं नकली किसान नहीं

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में कहा, "मैं नकली किसान नहीं हूं, मैं खेती में जीता हूं।" उन्होंने ट्रैक्टर चलाकर किसानों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। इस दौरान मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से चर्चा भी हुई।

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Vishwanath Singh
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Photograph: (The Sootr)

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INDORE. मैं नकली किसान नहीं हूं। मैं कृषि मंत्री नहीं, किसान हूं। मेरे हर रोम में किसान और हर सांस में खेती है। मैं खेती में ही जीता हूं। इंदौर में गुरुवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कार्यक्रम में  केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये बातें कहीं।

उन्होंने यहां पर खेत में ट्रैक्टर भी चलाया। इस दौरान ट्रैक्टर पर उनके साथ सांसद शंकर लालवानी और विधायक मनोज पटेल भी साथ बैठे थे। इस कार्यक्रम में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी पहुंचे। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अकेले में लगभग 15 मिनट तक चर्चा भी की।

मंत्री शिवराज ने चलाया ट्रैक्टर

पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान इंदौर में एक बार फिर अपने खास अंदाज में नजर आए। आम किसानों की नब्ज को पहचानने वाले शिवराज इस बार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) परिसर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान खुद ट्रैक्टर चलाते हुए दिखे। उन्होंने फार्म रिसोर्स हब का शिलान्यास किया और कृषि वैज्ञानिकों से खेती की उन्नत तकनीकों पर चर्चा की।

शिवराज सिंह चौहान का यह दौरा सिर्फ एक औपचारिक यात्रा नहीं, बल्कि किसानों के साथ जुड़ने और खेती को बेहतर बनाने का प्रयोगात्मक प्रयास था। इंदौर में ट्रैक्टर चलाने से लेकर उच्चस्तरीय बैठकों तक, शिवराज ने यह साबित किया कि वे ‘कागज पर नहीं, खेत में उतरकर फैसले करना जानते हैं।’

किसानों के साथ जमीन पर दिखे कृषि मंत्री

कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा, “यहां वैज्ञानिक फसलों की उत्पादकता कैसे बढ़े, इस पर गहन मंथन करेंगे। हमारी कोशिश है कि किसान को कम लागत में अधिक लाभ मिले और हम देश को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बना सकें।” शिवराज का ट्रैक्टर चलाना प्रतीकात्मक ही नहीं, बल्कि यह संदेश था कि वे नीति निर्माण से पहले जमीन की सच्चाई को समझते हैं और किसानों के साथ खड़े हैं।

तीन राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ हुई अहम बैठक

कार्यक्रम के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के कृषि मंत्रियों एवं सोयाबीन उत्पादक राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सोयाबीन की घटती उत्पादकता पर गंभीर चर्चा की। बैठक में ‘खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन-तिलहन’ के अंतर्गत प्रस्तुति दी गई, जिसमें सोयाबीन की खेती से जुड़े इतिहास, वर्तमान परिदृश्य, चुनौतियां और समाधान पर विमर्श हुआ।

सोयाबीन पर चिंतित दिखे शिवराज

शिवराज ने कहा, “तिलहन फसलों में देश में 34% योगदान सोयाबीन का है, लेकिन इसके बावजूद इसका उत्पादन लगातार घट रहा है। एलोमोजिक बीमारी जैसी समस्याएं किसानों की मेहनत को बर्बाद कर रही हैं। किसान बार-बार कीटनाशक डाल रहे हैं, लेकिन फसल नहीं बच पा रही।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत को हर साल लगभग 1.32 लाख करोड़ का खाद्य तेल आयात करना पड़ता है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि हम देश में तेल उत्पादन बढ़ाने के उपाय करें। इसी उद्देश्य से यह बैठक आयोजित की गई थी ताकि किसानों से मिलकर उनके अनुभवों से नीतियां बनाई जा सकें।

किसानों के सुझाव से निकलेगा समाधान

शिवराज ने स्पष्ट किया कि “किसानों के साथ बैठकर ही समाधान निकलेगा। हम सिर्फ मंत्रालय में बैठकर फैसले नहीं करना चाहते, बल्कि किसानों की बात सुनकर ही नई योजनाएं बनाना चाहते हैं।” कार्यक्रम में किसानों ने भी अपनी समस्याएं खुलकर साझा कीं और वैज्ञानिकों ने समाधान सुझाए। माना जा रहा है कि जल्द ही केंद्र सरकार सोयाबीन और अन्य तिलहन फसलों के लिए नई रणनीति की घोषणा कर सकती है। MP News

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