Shobha Ojha Told The Reason For Leaving The Charge
संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने मप्र महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष शोभा ओझा और सत्यनारायण पटेल को चुनाव प्रभारी बनाया था। लेकिन कार्यकर्ताओं ने ओझा को मठाधीश बताते हुए विरोध शुरू कर दिया था। इसके बाद अब प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने ओझा की जगह पर आगर-मालवा के पूर्व विधायक विपिन वानखेड़े को प्रभार देने के आदेश जारी कर दिए हैं। माना जा रहा था कि कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद ये फैसला लिया है, लेकिन अब इस मामले में ओझा ने द सूत्र को मैसेज करके प्रभार छोड़ने का कारण बताया है।
बहन की तबीयत खराब, दिल्ली में रहेंगी ओझा
ओझा ने बताया कि इस मामले में उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी को वॉट्सएप पर पार्टी के कामों से कुछ सप्ताह के लिए मुक्त रखने का आग्रह किया था। दरअसल, उनकी बहन कैंसर पीड़ित हैं और उनका दिल्ली में इलाज चल रहा है। अचानक उनका स्वास्थ्य गंभीर हो गया। इसके लिए ओझा ने प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को बताया कि अभी गहन चिकित्सा उनकी चलेगी और इस नाजुक दौर में वह बहन के साथ खड़ी होना चाहती हैं, इसलिए दिली इच्छा होने के बाद भी कुछ हफ्तों तक पार्टी द्वारा सौंपे गए दायित्व का निर्वहन नहीं कर पाऊंगी। इसलिए मेरी मनोदशा को समझते हुए, उम्मीद है आपके द्वारा सौंपे गए दायित्वों से कुछ हफ्तों तक मुख्त रखेंगे।
कार्यकर्ताओं ने खुलकर जताया था ओझा का विरोध
सोशल मीडिया पर इंदौर एक से कांग्रेस नेता अनूप शुक्ला और अन्य ने लिखा था कि 'कांग्रेस ने इंदौर से लोकसभा प्रभारी शोभा ओझा को बनाया है, जो कि स्वयं कभी चुनाव नहीं जीतीं, न ही कार्यकर्ताओं में पकड़ है, ऐसे मठाधीश को प्रभारी बनाया गया है।' यह भी लिखा गया है कि 'ऐसी ही स्थिति रही तो कांग्रेस प्रत्याशी 8 लाख से अधिक वोट से हारेगा।'
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वैसे भी इंदौर बीजेपी का गढ़
इंदौर सीट की बात करें तो वैसे ही कांग्रेस यहां 1989 से चुनाव नहीं जीती है। ये पूरी तरह से बीजेपी का गढ़ बन गई है। बीते चुनाव 2019 में तो कांग्रेस के पंकज संघवी बीजेपी के शंकर लालवानी से रिकॉर्ड 5.47 लाख वोट से हारे थे और अब बीजेपी 8 लाख से अधिक वोट से जीत का मिशन लेकर चली है।
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