श्री गुरुसिंघ सभा चुनाव पर हाईकोर्ट का आदेश, कल अमृतधारी सिख पर लगी आपत्ती को सुनें चुनाव अधिकारी

श्री गुरुसिंघ सभा चुनाव को लेकर हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि चुनाव अधिकारी आपत्तियों की सुनवाई करें। याचिका में अमृतधारी सिख होने और गुरमुखी पढ़ने-लिखने की योग्यता पर सवाल उठाए गए हैं, खासकर खालसा-फतेह पैनल के उम्मीदवारों मोनू और बंटी के खिलाफ।

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Sanjay gupta
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HC का आदेश अमृतधारी  सिख पर सुनो आपत्ति
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श्री गुरुसिंघ सभा इंदौर के चुनाव को लेकर द सूत्र द्वारा उठाया समाज का मुद्दा कि कौन अमृतधारी सिख और किसे आती है गुरवाणी पढना और लिखना, उस पर हाईकोर्ट इंदौर ने सोमवार को अहम आदेश दिया। इस मामले में लगी आपत्तियों पर हाईकोर्ट ने आदेश दे दिया है। इसमें हाइकोर्ट ने कहा कि मंगलवार को चुनाव अधिकारी इन मामलों की सुनवाई करें और इस पर निराकरण करें।

चुनाव रोकने की मांग को नहीं माना

याचिकाकर्ता द्वारा इस मुद्दे पर यह भी मांग की गई थी कि चुनाव 6 अक्टूबर को है, आपत्तियां नहीं निराकृत हुई, इसलिए इसे रोका जाना चाहिए। लेकिन हाईकोर्ट ने इस मामले में साफ कहा कि आपकी आपत्तियां सुनने के लिए चुनाव अधिकारी को आदेश दे दिए गए हैं, उनकी सुनवाई हो रही है, फिर यह रोक का मामला नहीं बनता है। 

रिंकू और सुग्गा ने लगाई है मोनू, बंटी को लेकर याचिका

यह याचिका किसी ओर ने नहीं बल्कि खंडा पैनल के प्रधान पद के दावेदार और वर्तमान में प्रधान पद पर 12 साल से काबिज रिंकू उर्फ मनजीत सिंह भाटिया, उनके ही पैनल के जगजीत सिंह टूटेटा उर्फ सुग्गा के साथ ही बलवीर सिंह, चरणबीर सिंह, बतविंदर सिंह, संदीप सिंह ने लगाई है। यह याचिक विशेषकर खालसा- फतेह पैनल के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार हरपाल सिंह उर्फ मोनू भाटिया और सचिव पद के उम्मीदवार प्रतिपाल सिंह उर्फ बंटी भाटिया के खिलाफ लगी है। साथ ही इसमें मप्र शासन, रजिस्ट्रार, फर्म्स एंड सोसायटी असिस्टेंट रजिस्ट्रार, चुनाव अधिकारी हरप्रीत सिंह सूदन, जत्थेदार, कलेक्टर, श्री गुरूसिंघ सभा को भी पार्टी बनाया गया है। 

गुरमुखी का टेस्ट हो, गुटखा, तंबाकू भी खाते हैं

याचिकाकर्ता रिंकू, सुग्गा की ओर से अधिवक्ताओं ने कहा कि चुनाव नियम के अनुसार अमृतधारी सिख होना चाहिए। गुरमुखी पढ़ना-लिखना आना चाहिए, रहत मर्यादा का पक्का होना चाहिए, लेकिन मोनू यह सभी नहीं है। वह गुटका-तंबाकू खाते हैं, कैश की बेअदबी करते हैं, दाढी ट्रिम करते हैं, शराब पीते हैं। इसी तरह बंटी भी अमृतधारी नहीं है। इनका टेस्ट किया जाना चाहिए। इस पर जस्टिस प्रणय वर्मा ने कहा कि यह टेस्ट यहां कोर्ट में नहीं हो सकता है। इन आपत्तियों के लिए चुनाव अधिकारी के पास जाना चाहिए। इस पर अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने सुनवाई ही नहीं की। इसलिए यहां आए हैं। इस पर जस्टिस ने कहा कि चुनाव अधिकारी सभी पक्षकारों को सुनवाई का मौका देते हुए दोनों पक्षों के सामने बुलाकर कल यानी मंगलवार को सुनवाई करें और आपत्ति का निराकरण करें। इसके लिए पक्षकार मोनू और बंटी को सूचित किया जाए।

पक्षकार की ओर से यह पक्ष रखे गए

उधर पक्षकार की ओर से कहा गया कि आपत्तियों का निराकरण पहले हो चुका है। हमने नामांकन के साथ ही शपथपत्र लिया है कि कौन अमृतधारी है या नहीं, इसके लिए सभी ने शपथपत्र दिया है। दोनों ही पक्षकारों से लिखित में जवाब दिया है और दोनों ने ही कहा है कि हम अमृतधारी है। इन्हें पहले ही सुनकर निराकरण किया जा चुका है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि आपत्तियों का निराकरण किया जाए।

गुरमुखी पढ़ाकर देखा जाए

इसमें यह मामला भी उठाया गया कि पंजाब-हरियाणा कोर्ट में भी इस तरह टेस्ट का आदेश दिया था। हमारी मांग है कि अध्यक्ष का फार्म भरने वाले मोनू भाटिया और सचिव पद के दावेदार बंटी भाटिया का टेस्ट किया जाए। गुरमुखी के लिए श्री गुरुग्रंथ साहिब के चार पन्ने पढ़ने के लिए कहा जाए। हालांकि हाईकोर्ट ने इस तरह के कोई डायरेक्शन चुनाव अधिकारी को नहीं दिए, लेकिन यह जरूर कहा कि चुनाव पर आई आपत्तियों का मंगलवार को सभी की उपस्थिति में सुनकर निराकरण किया जाए।

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