मध्य प्रदेश में BJP के क्लीन स्वीप के आड़े आईं ये छह सीटें, क्या यहां जीतेगी कांग्रेस?

द सूत्र आपको बताने जा रहा है कि जिन पांच सीटों छिंदवाड़ा, रतलाम, मंडला, राजगढ़ और मुरैना सीट को लेकर घमासान मचा हुआ है। इन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर है।

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Sandeep Kumar
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रविकांत दीक्षित @ BHOPAL. क्या मध्य प्रदेश में बीजेपी का क्लीन​ स्वीप का दावा सही साबित होगा? क्या कांग्रेस कुछ सीटें जीतकर अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पा सकेगी? क्या होगा मध्य प्रदेश के मतदाताओं का फैसला? इन सभी सवालों के जवाब तो 4 जून को ही मिलेंगे, फिलहाल तो चर्चा है कि 29 सीटों वाले मध्य प्रदेश में बीजेपी को 4 से 5 सीटों का नुकसान हो रहा है। कांग्रेस यहां आगे नजर आ रही है। कुल मिलाकर तमाम राजनीतिक विश्लेषक अपने—अपने हिसाब से गुणा-भाग कर रहे हैं। इसी बीच द सूत्र आपको बताने जा रहा है कि जिन पांच सीटों छिंदवाड़ा, रतलाम, मंडला, राजगढ़ और मुरैना सीट को लेकर घमासान मचा हुआ है। इन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर है। पूरे चुनाव में क्या स्थिति रही। रुझान किसके पक्ष में नजर आ रहा है। पढ़िए ये खास रिपोर्ट...

राजगढ़: दिग्विजय ने गांव नापे, रोडमल का अंदरूनी विरोध 

राजगढ़ सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस उम्मीदवार हैं। बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद रोडमल नागर पर भी भरोसा जताया है। 32 साल बाद चुनाव लड़ने पहुंचे दिग्विजय ने गांव-गांव में प्रचार किया। बीजेपी ने उन्हें हिंदू विरोधी करार दिया। बीजेपी के रोडमल नागर का पार्टी में अंदरूनी विरोध है। मैदान में तो बीजेपी एक जुट दिखती है पर अंदरखाने सब ठीक नहीं है। आठ विधानसभाओं में फैले राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की 6 विधानसभा सीटें बीजेपी तो 2 कांग्रेस के पास हैं। 

कितने प्रतिशत मतदान हुआ
2014   64.00% 
2019   79.46% 
2024   76.04%
यानी राजगढ़ सीट पर 3.42 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। 

छिंदवाड़ा सीट: बीजेपी-कांग्रेस में सीधी टक्कर 

छिंदवाड़ा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र और मौजूदा सांसद नकुल नाथ कांग्रेस से ताल ठोक रहे हैं। बीजेपी ने विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा है। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र की 75 फीसदी आबादी गांवों में निवास करती है। यहां आदिवासियों के वोट निर्णायक होते हैं। इस सीट को ​जीतने के लिए बीजेपी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छिंदवाड़ा में रोड शो किया। सीएम डॉ.मोहन यादव 10 दिन रहे। कैलाश विजयवर्गीय शुरुआत से डेरा डाले हुए हैं। बीजेपी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं कमलनाथ के विश्वास पात्र रहे दीपक सक्सेना, महापौर विक्रम अहाके और विधायक शाह को अपने पाले में कर रणनीतिक तौर पर कांग्रेस को कमजोर किया है। कांग्रेस के पक्ष में एक तथ्य यह भी जाता है कि वर्ष 1997 के उपचुनाव को दिया छोड़ दिया जाए तो 44 वर्ष में कांग्रेस छिंदवाड़ा सीट कभी नहीं हारी है। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में कुल 1934 बूथ हैं, इनमें से 497 बूथ ऐसे हैं, जहां पिछले पांच चुनाव में कांग्रेस कभी नहीं हारी है। कांग्रेस में पक्ष में एक बात यह भी जाती है कि विधानसभा चुनाव में यहां पार्टी ने सभी 8 सीटें जीती थी। 

कितने प्रतिशत मतदान हुआ
2014   79.05% 
2019   82.39% 
2024   79.83%
यानी छिंदवाड़ा में 2.56 फीसदी कम वोटिंग हुई। ​

मंडला: बीजेपी के खिलाफ नाराजगी की खबरें 
मंडला सीट पर सांसद और विधायक के बीच सीधी टक्कर है। यहां से बीजेपी प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते छह बार के सांसद हैं। हालांकि कुलस्ते नवम्बर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में निवास विधानसभा सीट से हार गए थे। उनके खिलाफ जनता में नाराजगी देखने को मिल रही है। इसके उलट कुलस्ते को पीएम मोदी और राम मंदिर फैक्टर पर भरोसा है। अब यह भरोसा वोट में किस तरह से कन्वर्ट होता है, यह परिणाम ही बताएंगे। कांग्रेस विधायक एवं मंडला से लोकसभा उम्मीदवार ओमकार सिंह मरकाम ने पूरी ताकत झोंक दी है। जमीनी रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में निवास विधानसभा क्षेत्र के बीजाडांडी, नारायण गंज और बकोरी में कांग्रेस फिलहाल बीजेपी से आगे दिखाई पड़ती है। बसनिया बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले मंडला और डिंडोरी के 13 गांव के लोग कुलस्ते का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में यह फैक्टर भी कांग्रेस के पक्ष में जाता दिखाई पड़ रहा है। लोकसभा की 8 में से 5 सीटें कांग्रेस के पास हैं।  

कितने प्रतिशत मतदान हुआ
2014   66.71% 
2019   77.76% 
2024   72.84%
यानी मंडला में 4.92 फीसदी कम वोटिंग हुई। ​

मुरैना: जातिगत समीकरण हावी, कौन जीतेगा?

ग्वालियर-चंबल अंचल में हमेशा जातिगत समीकरण हावी रहते हैं। यहां बीजेपी ने शिवमंगल तोमर को टिकट दिया है। वे पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नजदीकी माने जाते हैं। कांग्रेस ने सत्यपाल सिकरवार को उतारा है। दोनों प्रत्याशी क्षत्रिय हैं। बसपा से रमेश गर्ग का उतरना भाजपा के लिए चुनौती है। चुनाव के बीच पूर्व विधायक बलवीर दंडोतिया और कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने भाजपा का दामन थामा है। मुरैना की मेयर शारदा सोलंकी भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गई हैं। दोनों दलों ने जातीय आधार पर ध्रुवीकरण किया है। मुरैना संसदीय क्षेत्र की आठ में से 5 सीटें कांग्रेस के पास हैं, 3 पर बीजेपी काबिज है। 

कितने प्रतिशत मतदान हुआ
2014   50.24% 
2019   61.89% 
2024   58.97%
यानी मुरैना में 2.92 फीसदी कम वोटिंग हुई। ​

ग्वालियर: ओबीसी बनाम ब्राह्मण...दो धड़ों में बंटे वोटर 

बीजेपी के भारत सिंह कुशवाह और कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक में नजदीकी टक्कर है। ओबीसी और ब्राह्मण वोटर्स दो धड़ों में बंट गए हैं। भारत सिंह को नरेंद्र सिंह तोमर का करीबी माना जाता है। कांग्रेस के बागी कल्याण सिंह गुर्जर बसपा से उतरकर गुर्जर वोट में सेंध लगा रहे हैं। ग्वालियर सीट कांग्रेस ने 2004 में जीती थी, इसके बाद से भाजपा ने जीत दर्ज की। कांग्रेस सांसद अशोक सिंह ने इस बार व्यूह रचना की है। कांग्रेस एकजुट भी दिख रही है। भाजपा ने मोदी की गारंटी पर जोर लगाया है। ग्वालियर की आठ में से 4 विधानसभा सीटों पर बीजेपी तो 4 पर कांग्रेस का कब्जा है। 

कितने प्रतिशत मतदान हुआ
2014   52.73% 
2019   59.78% 
2024   62.13%
यानी ग्वालियर में 2.35 फीसदी कम वोटिंग हुई। ​

रतलाम: सैलाना में बाप के 70 हजार वोट कौन लेगा?

रतलाम सीट पर बीजेपी ने प्रदेश सरकार में मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता चौहान को टिकट दिया है। कांग्रेस ने अपने पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया को उतारा है। रतलाम सीट पर आदिवासी मतदाता 65 फीसदी हैं। इसमें 80 फीसदी भील तो वहीं 20 फीसदी भिलाला है। भूरिया भील हैं और अनिता भिलाला। शुरू से ही इस चुनाव को मोदी और राहुल गांधी करने की जगह कांग्रेस की कोशिश भील और भिलाला करने की रही है। कांग्रेस की समस्या यह है कि उसे रतलाम सिटी और ग्रामीण से ही बीजेपी भारी पीछे कर देती है, जो वह झाबुआ, जोबट, थांदला से भरपाई नहीं कर पाती है। सभी की नजरें सैलाना पर हैं, विधानसभा में बीजेपी यहां तीसरे नंबर पर थी। यहां से भारत आदिवासी पार्टी यानी बाप को मिले 70 हजार से ज्यादा वोट कौन ले जाएगा, इस पर सभी की नजरें हैं।

कितने प्रतिशत मतदान हुआ
2014   63.52% 
2019   75.66% 
2024   72.94%
यानी रतलाम सीट पर 2.72 फीसदी कम वोटिंग हुई। ​

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