आज के डिजिटल युग में सुबह आंख खुलने से लेकर रात में नींद आने तक हर कोई मोबाइल फोन में बिजी है। कोई एक्स पर पोस्ट कर रहा है तो कोई इंस्टाग्राम पर रील स्क्रॉल करता है। फेसबुक पर भी लोग यूं ही लाइव आ जाते हैं। ये तो हुई जमाने की बात।
अब इस रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं मध्यप्रदेश के टॉप अधिकारियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स के बारे में। आपको जानकर हैरानी होगी कि मध्यप्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं रहती हैं। मध्यप्रदेश पुलिस के मुखिया सुधीर सक्सेना भी सोशल मीडिया से दूर रहते हैं। हालांकि इनके विभागों के ऑफिशियल सोशल मीडिया पेज हैं, जिन पर नियमित उनकी एक्टिविटीज की पोस्ट होती हैं।
'द सूत्र' की टीम ने मध्यप्रदेश के टॉप अधिकारियों की पड़ताल की तो इसमें रोचक जानकारियां सामने आईं। पढ़िए ये खास रिपोर्ट...
वीरा राणा: मध्यप्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय नहीं हैं। मतलब, साफ है कि वे सोशल मीडिया से दूर रहती हैं। एक्स, इंस्टाग्राम, फेसबुक, थ्रेड जैसे प्लेटफॉर्म्स पर उनके नाम से आईडी अथवा कोई ऑफिशियल पेज नहीं है।
सुधीर सक्सेना: मध्यप्रदेश पुलिस के मुखिया, डीजीपी सुधीर सक्सेना की भी सोशल मीडिया से दूरी है। गूगल करने पर पता चलता है कि उनकी निजी तौर पर किसी सोशल मीडिया साइट पर कोई आईडी या पेज नहीं है। हालांकि पुलिस के ऑफिशियल पेज पर उनकी पोस्ट लगातार होती हैं।
डॉ.राजेश राजौरा: सीएमओ में अपर मुख्य सचिव डॉ.राजेश राजौरा का एक्स (पहले ट्विटर) पर अकाउंट तो है पर उस पर आखिरी पोस्ट 29 सितंबर 2015 की है। फेसबुक पर उनके नाम से आईडी है। राजौरा का इंस्टाग्राम पर कोई अकाउंट नहीं है। आपको बता दें कि वे प्रदेश के मुख्य सचिव बनने के प्रमुख दावेदार हैं।
राघवेंद्र सिंह: मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के प्रमुख सचिव राघवेंद्र सिंह की भी गूगल करने पर कोई ऑफिशियल सोशल मीडिया आईडी नहीं मिली। गौरतलब है कि देश के नामी संस्थानों से बीई, एमटेक और एमबीए जैसी डिग्रियां हासिल करने वाले राघवेंद्र सिंह 1997 बैच के आईएएस हैं।
भरत यादव: रेलवे के टीटी की नौकरी छोड़कर आइएएस बने भरत यादव सीएमओ में तैनात हैं। वे नगरीय प्रशासन आयुक्त भी हैं। यादव सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं। उनके फेसबुक, एक्स और इंस्टाग्राम पर अकाउंट्स हैं, जिन पर वे नियमित रूप से पोस्ट करते हैं। एक्स पर उनके 8,675 फॉलोअर्स हैं।
संजय शुक्ला: तेजतर्रार अफसरों में शुमार संजय शुक्ला सीएमओ में पदस्थ हैं। मैकेनिकल से इंजीनियरिंग करने वाले शुक्ला के एक्स, इंस्टाग्राम और फेसबुक तीनों प्लेटफॉर्म पर अकाउंट्स हैं। हालांकि वे सबसे ज्यादा सक्रिय एक्स पर रहते हैं। यहां उनके 2400 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। उनकी आखिरी पोस्ट 3 सितंबर की है।
अविनाश लवानिया: 2009 बैच के आईएएस अविनाश बीटेक, एमटेक (आइआइटी) कर चुके हैं। वे सीएमओ में अपर सचिव हैं। लवानिया के भी तीनों प्लेटफॉर्म पर अकाउंट्स हैं। इनमें सबसे ज्यादा 10 हजार फॉलोअर्स फेसबुक पर हैं। हालांकि एफबी पर उनकी आखिरी पोस्ट 13 जुलाई 2022 की है। एक्स पर उनके अकाउंट्स पर लास्ट पोस्ट 22 जनवरी 2020 की है।
यह बिलकुल निजी मामला आप यह कह सकते हैं कि अफसरों को सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने की कोई कानूनन बाध्यता थोड़ी है। न कोई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं... ये सच भी है। यह उनका निजी मामला है, पर इसका दूसरा पहलु भी है। यदि अधिकारी आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया पर सक्रिय रहेंगे तो सुशासन के लिहाज से यह ज्यादा बेहतर होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बार-बार अपने भाषणों में डिजिटल इंडिया को प्रमोट करते हैं।
सोशल मीडिया के फायदे
1. जनता से सीधा संवाद: सरकारी अधिकारी सोशल मीडिया के जरिए जनता से सीधे जुड़ सकते हैं, उनकी समस्याओं को समझ सकते हैं। उनकी प्रतिक्रियाएं ले सकते हैं। प्रदेश और देश में कई अधिकारी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं।
2. सूचना का प्रसार: आज के दौर में सरकार की नीतियों, योजनाओं और उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने में सोशल मीडिया एक प्रभावी माध्यम है। किसी भी आपदा या संकट की स्थिति में अधिकारी सोशल मीडिया के माध्यम से तत्काल जनता से जुड़ सकते हैं।
अब दूसरा पक्ष भी जान लीजिए
1. निजी जानकारी का दुरुपयोग: अधिकारियों की निजी जानकारी का दुरुपयोग हो सकता है। सोशल मीडिया पर अफवाहें तेजी से फैलती हैं, जिससे समाज में अशांति फैल सकती है।
2. समय का अभाव: सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय रहने के लिए अधिकारियों के पास पर्याप्त समय नहीं होता है। अफसरों को अक्सर ट्रोल भी किया जाता है। सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से गोपनीयता का उल्लंघन हो सकता है।
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