INDORE. 25 जून, आज ही दिन साल 1975 में देश में आपातकाल लगा था, इसके बाद ही कांग्रेस सरकार ने विरोधियों को जेल में डालना शुरू कर दिया था, लेकिन इंदौर में एक और घटनाक्रम हुआ। यहां जेल में कांग्रेस से जुड़े नेताओं को और खासकर स्टूडेंट यूनियन के नेताओं को जेल में डाला गया। यह सब हुआ तत्कालीन सीएम पीसी सेठी और कांग्रेस के इंदौर के धाकड़ नेता महेश जोशी के बीच विवाद में। इसके चलते जोशी से जुड़े हुए नेताओं को जेल भेजा गया। आपातकाल में जेल जाने वालों को 30 हजार रुपए प्रति माह की पेंशन दी जाती है।
यह सभी कांग्रेस से जुड़े गए थे जेल
सज्जन सिंह वर्मा, केके मिश्रा, तुलसी सिलावट, चमको सिंह, केवल यादव, मोहन डाकोनिया, छोटू शुक्ला, नेपाल सिंह तंवर (इनका निधन हो गया), बद्रीसिंह चौहान, यह सभी कांग्रेस से जुडे थे और साथ थे। इन सभी को जेल भेजा गया था। सुरेश मिंडा समाजवादी थे बाद में कांग्रेस में आए।
मिंडा पैनल जीती थी यूनिवर्सिटी चुनाव, सब जेल गए
पूर्व पार्षद और कांग्रेस नेता सुरेश मिंडा भी पांच माह दो दिन जेल में रहे। वह बताते हैं कि उस समय सरकार ने क्या कांग्रेस, क्या संघ और क्या सपा, सभी से जुडे स्टूडेंट यूनियन के लीडर्स को जेल में बंद कर दिया था। मैं उस समय समाजवादी था, मेरे नाम से पैनल मिंडा पैनल बनी और यूनिवर्सिटी चुनाव जीतने वाली पैनल बनी। हम सभी स्टूडेंट लीडर्स को जेल में डाला गया। महेंद्र हार्डिया यूनविर्सिटी प्रेसीडेंट थे (विधानसभा इंदौर पांच के विधायक), वह भी उस समय कांग्रेस से जुडे थे उनके बडे भाई श्याम हार्डिया एनएसयूआई के बड़े नेता थे। गोपी नेमा सचिव थे इन सभी को भी जेल में डाला गया। साथ ही बालकृष्ण अरोरा व अन्य नेता भी थे।
जेल के बाद आया निगम चुनाव का प्रस्ताव
जेल से यह सभी जब बाहर आए और स्थितियां ठीक हुई तब इन सभी को निगम चुनाव का ऑफर जनसंघ नेता राजेंद्र धारकर ने दिया। केके मिश्रा बताते हैं कि जब महेंद्र हार्डिया ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और वह बीजेपी में चले गए थे लेकिन हम सभी ने कांग्रेस ने नहीं छोड़ी और कांग्रेस की राजनीति में आगे लग गए।
जेल में बन गई थी स्टूडेंट बैरक
वर्तमान में जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट को भी जेल में डाला गया। इसके साथ कई अन्य नेता छोटू शुक्ला, केके मिश्रा यह सभी कांग्रेस से जुड़े थे इन्हें जेल भेजा गया था। हालत यह थी 25-30 स्टूडेंट लीडर्स एक बैरक में बंद हो गए। इन सभी ने उस बैरक का नाम स्टूडेंट बैरक रख दिया था। यह नेता करीब 5 से 6 माह जेल में रहे थे।
यह काला दिन था-नेमा
गोपी नेमा कहते हैं कि देश के इतिहास में 25 जून 1975 काला दिन था, जब कांग्रेस सरकार की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पद बचाने के लिए बाबा साहब के संविधान को समाप्त करने के प्रयास किया। यह जनता, न्यायालय, प्रेस के मौलिक अधिकारों, की हत्या का दिन है। मेरे जैसे 1.40 लाख से अधिक राजनीतिक कार्यकर्ताओँ को जेल में डाला गया था।
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