भोपाल. उज्जैन में भाई - बहन की आत्महत्या के मामले में दिलदहला देना वाला खुलासा हुआ है। बच्चों को आत्महत्या के लिए जहर मां ने ही लाकर दिया था। बच्चों ने जान क्यों दी, इसकी वजह भी दिलदहला देने वाली ही है। दरअसल, भाई को आंखों की बीमारी थी, जिसका इलाज पिता नहीं करा रहे थे। वह हर बार पैसे की तंगी की बात कह कर टाल देते थे। भाई की परेशानी बहन से देखी नहीं गई। दोनों एक दूसरे से बेइंतहां प्यार करते थे। नतीजा, दोनों ने एक साथ जान दे दी।
उज्जैन के बोहरा बाखल स्थित सेफी मोहल्ले में 29 मार्च को दो सगे भाई - बहन ने एक साथ अपनी जान दे दी थी। घटना के समय दोनों बच्चे घर में अकेले थे। इनकी मां फातिमा अपने काम से घर से बाहर गई हुई थीं। पुलिस ने बच्चों की मां और उनके पिता सादिक हुसैन को आरोपी बनाया था। पिता कुवैत में काम करते हैं। बच्चों की मौत की खबर सुन जब पिता उज्जैन आए तो पुलिस ने दंपति को गिरफ्तार कर लिया |
पिता का नहीं मिल पा रहा था प्यार
बच्चों ने आत्महत्या के पूर्व एक सुसाइड नोट लिखा था। इसमे उन्होंने अपने पिता पर गैर जिम्मेदार होने का आरोप लगाया था। आत्महत्या करने वाले भाई- बहन में जो लड़का ताहिर है, उसे आंखों से संबंधित कोई बीमारी थी। इससे वह काफी परेशान था। बहन जेहरा का भाई के प्रति अति स्नेह होने के कारण वह यह सब देख नहीं पा रही थी। बच्चे जब पिता से घर आने और इलाज कराने की बात करते थे, तो पिता आने को तैयार तो हो जाते पर इलाज करवाने के नाम पर पैसे ना होने का हवाला देते थे। ऐसे में बच्चों को अपने पिता का साथ नहीं मिल पा रहा था। हालांकि, पिता विदेश में रहते हुए घर परिवार के लिए खर्चे के पैसे भेजते रहते थे और वह इसे अपनी जिम्मेदारी समझते रहे। वहीं, बच्चों को पैसो के साथ पिता का प्यार नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में आखरी बार जब पिता ने इलाज के पैसे ना होने की बात कह दी तो बच्चे टूट से गए।
बच्चों को मरने के लिए अकेला छोड़ दिया
बोहरा समाज के दो बच्चों की आत्महत्या की इस मिस्ट्री में मां की भूमिका को सुन हर किसी के रूह कांप उठी। बच्चे आत्महत्या जैसा कदम उठाने वाले हैं, ये उनकी मां को पता था। यही नहीं बच्चों को जहरीला पदार्थ भी मां ने ही लाकर दिया था। दरअसल, अपने पति के गैर जिम्मेदार रवैये के कारण वह भी दुखी थीं। जब बच्चे पिता के प्यार के लिए टूट गए तो उन्होंने जान देने का मन बनाया। मां उनके इस प्लान से दुखी नहीं थी। बच्चों की मां बाहर काम करती थी। बच्चे जिस दिन आत्महत्या करने वाले थे, उनकी मां घर पर ही मौजूद थी। बच्चों ने मां को काम पर जाने के लिए कहा और ये भी कहा की आप स्कूल जाएं, हम आत्महत्या करने वाले हैं। मां, बच्चों को आत्महत्या करने के लिए अकेला छोड़ अपने काम पर चली गईं। मां के जाने के बाद बच्चों ने सबसे पहले नींद की गोलियां खाईं। इससे बात नहीं बनी तो हाथ की नश काट ली। जब इतने से भी बात नहीं बनी तो फिर आखिर में सल्फास की गोलियां खा लीं।
मां ने बच्चों का खून कटोरी में भरकर रखा
आत्महत्या केस में जब पुलिस मोके पर पहुची तो मौके पर दोनों बच्चों की हाथ की नश कटी हुई थी, लेकिन पुलिस को खून के निशान नहीं मिले थे। इससे पुलिस की जांच की दिशा बदल गई। पुलिस एक ओर इसे हत्या की गुत्थी समझ कर काम कर रही थी, लेकिन पूरी पड़ताल में हत्या जैसे कोई बिंदु नहीं मिले। आखिरकार पुलिस की फाइल आत्महत्या पर आकर अटक गई। दरअसल, बच्चों की मौत होने के बाद जब उनकी मां घर आई तो उसने मौके से खून को समेट लिया था। ऐसा उसने बच्चों की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए किया था। उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनके नश से निकला खून इकठ्ठा कर रखा जाए। जब उनके पिता आएं तो उन्हें दे दिया जाए।
सिर्फ पैसा ही सबकुछ नहीं होता
उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा का कहना है कि परिवार को चलाने के लिए पैसा देना ही पर्याप्त नहीं होता। पत्नी, बच्चों को प्यार भी मिलना चाहिए। इस मामले में पिता का गैर जिम्मेदार होना और मां द्वारा बच्चों को आत्महत्या करने में मदद करने की बात सामने आई है। इसलिए दोनों को आरोपी बनाया गया है।
Ujjain brother sister suicide case | उज्जैन भाई बहन आत्महत्या केस