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सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में निचली अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट देने के अपने पहले के आदेश को बरकरार रखा है। यह राहत 26 मार्च तक के लिए बढ़ा दी गई है, जब इस मामले की आगे की सुनवाई होगी।
यह मामला कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा द्वारा दायर मानहानि के आरोपों से जुड़ा है, जिसमें तन्खा ने आरोप लगाया था कि भाजपा नेताओं ने उनके खिलाफ राजनीतिक लाभ के लिए झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए थे।
क्या है मामला
विवेक तन्खा ने आरोप लगाया कि BJP के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने ओबीसी आरक्षण से संबंधित मध्य प्रदेश के 2021 पंचायत चुनावों के दौरान उनके खिलाफ ‘झूठा और दुर्भावनापूर्ण’ अभियान चलाया। तन्खा के अनुसार, इन आरोपों के कारण उन्हें गंभीर मानसिक और सामाजिक क्षति हुई, जिससे उनके सम्मान को ठेस पहुंची।
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सुप्रीम कोर्ट की पीठ का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल शामिल थे, ने चौहान और अन्य भाजपा नेताओं की याचिका पर 26 मार्च तक सुनवाई टाल दी। इससे पहले, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 25 अक्टूबर को चौहान की अपील को खारिज कर दिया था और मानहानि मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया था।
इस मामले में चौहान का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी कर रहे थे, जबकि तन्खा की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और सुमीर सोढ़ी ने पैरवी की।
क्या कहता है कानून?
जेठमलानी ने सुप्रीम कोर्ट में यह तर्क प्रस्तुत किया कि तन्खा द्वारा शिकायत में उल्लिखित कथित बयान संविधान के अनुच्छेद 194(2) के तहत आते हैं, क्योंकि ये बयान संसद में दिए गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि यह पहले कभी नहीं सुना गया कि किसी समन मामले में अदालत द्वारा जमानती वारंट जारी किया गया हो, जबकि पक्षकार अपने वकील के माध्यम से अदालत में उपस्थित हो सकते हैं।
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26 मार्च को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की आगे की सुनवाई 26 मार्च तक के लिए टाल दी है। इस दौरान यह तय किया जाएगा कि क्या इस मानहानि मामले को खारिज किया जा सकता है या नहीं। तन्खा द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोर्ट का अंतिम फैसला ही यह निर्धारित करेगा कि भविष्य में क्या कार्रवाई की जाएगी।
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