प्राइमरी (कक्षा एक से पांच तक) शिक्षक पद पर भर्ती के लिए बीएड डिग्रीधारकों को अयोग्य मानने के फैसले में संशोधन की मांग पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई करेगा। कोर्ट के समक्ष विचार का मुख्य मुद्दा यह है कि पिछले वर्ष 11 अगस्त को दिया गया फैसला पूर्व प्रभाव से लागू माना जाएगा या बाद से।
मध्य प्रदेश पर इस फैसले का क्या असर
मध्य प्रदेश सरकार और अन्य कई पक्षकारों ने अर्जी दाखिल कर यह भी मुद्दा उठाया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीएड डिग्री धारक प्राइमरी शिक्षकों का क्या होगा? क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद देशभर में बीएड डिग्री धारक प्राइमरी शिक्षकों की नौकरी पर संकट आ गया है। इन शिक्षकों की नौकरी जाने की नौबत है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई टालते हुए केंद्र सरकार से कहा कि वह सभी राज्यों के प्राथमिक शिक्षकों के कुल खाली पदों और ब्रिज कोर्स के आंकड़े कोर्ट में पेश करे। इस बीच उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र एसोसिएशन ने अर्जी दाखिल कर शिक्षा मित्रों को भी नियमित किए जाने की मांग की है।
मध्य प्रदेश सरकार ने भी लगाई है अपील
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को देवेश शर्मा मामले में दिए फैसले में कहा था कि प्राथमिक शिक्षक पद पर भर्ती के लिए बीएड डिग्री धारक योग्य नहीं हैं। कोर्ट ने माना था कि बीटीसी और डीएलईडी ही इसके योग्य हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी व्यवस्था देने वाले राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया था और हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाएं खारिज कर दी थीं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का देशव्यापी असर हुआ है और बीएड डिग्री धारक प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी पर संकट आ गया है। मध्य प्रदेश सरकार ने और बहुत से प्रभावित लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर आदेश में संशोधन करने की गुहार लगाई है।