शिक्षक दिवस पर युवाओं ने भोपाल में फूंका बिगुल, कहा- दिखावे का सम्मान नहीं, नौकरी दे सरकार

बेरोजगार युवाओं ने गुरुवार 5 सितंबर को भोपाल में इकट्ठा हुए और बेरोजगार दिवस के रूप में मनाकर विरोध किया। शिक्षक दिवस पर हुए प्रदर्शन में शामिल युवाओं ने बढ़ती बेरोजगारी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL : बेरोजगार युवाओं के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। पढ़े-लिखे होने के बावजूद नौकरी के लिए भटक रहे युवा आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं। बेरोजगार युवाओं ने गुरुवार 5 सितंबर को भोपाल में इकट्ठा हुए और बेरोजगार दिवस के रूप में मनाकर विरोध किया। शिक्षक दिवस पर हुए प्रदर्शन में शामिल युवाओं ने बढ़ती बेरोजगारी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। बेरोजगार सेना और वेटिंग शिक्षक संघ के आंदोलन के दौरान नाराज युवाओं ने सीएम हाउस तक रैली निकालने की कोशिश की। हांलाकि पहले से ही घेराबंदी कर खड़ी पुलिस  ने नीलम मार्क के गेट बंद कर उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। आगे बढ़ने से रोकने पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच काफी देर तक तीखी बहस भी होती रही। युवाओं के गुस्से को देख पुलिस के तेवर नरम पड़ गए। प्रशासन की पहल पर प्रदर्शनकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल सीएम हाउस भेजा गया। जहां उन्होंने प्रदेश के लाखों युवाओं के सामने खड़े बेरोजगारी के संकट से अधिकारियों को अवगत कराया। सीएमओ ने बेरोजगार युवाओं को विभागों से जानकारी जुटाकर भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने का भरोसा दिलाया है। 

प्रदेश में बेरोजगारी अब युवाओं का कलंक बन गई है। कड़ी मेहनत के बाद भी युवाओं को सरकारी नौकरी नहीं मिल रही हैं। यह स्थिति तब है जबकि विभागों में करीब दो लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। हर महीने प्रदेश भर में 100 से ज्यादा कर्मचारी रिटायर हो जाते हैं। इस तरह लगातार खाली पदों की संख्या भी बढ़ रही है। इसका सीधा असर विभागों के काम-काज पर नजर आ रहा है। लेकिन सरकार को लाखों खाली पदों को बड़े स्तर पर भर्ती लाकर भरने की कोई चिंता ही नहीं है। इसे देखकर अब सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।  

पूर्व सीएम शिवराज के वादे भी रहे हवा-हवाई

बेरोजगार सेना के बैनर तले मालवा-निमाड़ अंचल के जिलों से हजारों युवा बेरोजगार दिवस के आयोजन में शामिल हुए। प्रदेश में भर्ती प्रक्रियाओं की कछुआ चाल, तकनीकी उलझनों के लिए सरकार के भर्ती नियम ही नौकरियों को उलझाने वाले हैं। नियुक्तियों का जिम्मा संभालने वाले मप्र लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन मंडल यानी ईएसबी के अड़ंगे और बार-बार होने वाली चूक युवाओं को नौकरियों से दूर कर देते हैं। युवा इस बात से भी नाराज हैं कि एक_एक भर्ती प्रक्रिया को पूरा होने में ही सरकार का सिस्टम एक-एक साल लगा रहा है। शिक्षक वर्ग-1 की भर्ती के लिए चयन और पात्रता परीक्षा देने के बाद अब अभ्यर्थी साल भर से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। यानी इस भर्ती में तीन साल गुजर चुके हैं लेकिन पोस्टिंग किसी को नहीं मिली। प्रक्रिया के बीच में ही लोक शिक्षण संचालनालय ने बैकलाग के पद इसमें शामिल कर दिए हैं जिससे अब पदवृद्धि की मांग ने जोर पकड़ ली है। वहीं पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान कई बार अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण के लिए जल्द विभागीय स्तर पर प्रक्रिया शुरू करने का वादा करते रहे लेकिन हुआ कुछ नहीं।

शिक्षक दिवस पर सरकार को साफ संदेश

आखिर शिक्षक दिवस को बेरोजगार दिवस के रूप में मनाने का उद्देश्य क्या था। बेरोजगार युवा सरकार को ऐसा करके क्या संदेश देना चाहते हैं। चलिए बताते हैं। दरअसल युवा बीते एक दशक से रोजगार को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। विभागों में ढेरों पद खाली हैं। हर महीने रिटायरमेंट के चलते इन खाली पदों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। इसके बाद भी सरकार भर्तियां करने में रुचि नहीं ले रही है। हजारों पद खाली होने के बाद भी लंबे अंतराल के बाद 100 या 200 पद पर भर्ती का इश्तहार जारी कर दिया जाता है और इन पदों पर नियुक्ति होते-होते इनसे ज्यादा कर्मचारी रिटायरमेंट ले लेते हैं। युवाओं में सरकार की इस बेरुखी और अपनी सुध न लेने से गहरी निराशा और आक्रोश है। लगातार आंदोलन, धरना-प्रदर्शन के बाद भी सरकार की अनसुनी के चलते अब युवाओं ने नया मोर्चा खोला है। शिक्षक दिवस पर जब देश भर में शिक्षकों के सम्मान में समारोह हो रहे थे तब भर्ती प्रक्रियाओं से छले गए वेटिंग शिक्षक, अतिथि शिक्षक, अनुदेशक-पर्यवेक्षक के रूप में बच्चों को पढ़ा रहे युवाओं ने खुद को इससे दूर कर लिया।

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सीएम हाउस जाने की जिद पर हुई तीखी बहस

प्रदेश के हजारों युवा शिक्षक दिवस पर भोपाल पहुंचे और नीलम पार्क में धरना देकर सरकार की नीतियों को युवा विरोधी बताकर जमकर नारेबाजी की। उन्होंने विभागों में पद खाली होने से कामकाज प्रभावित होने, बेरोजगारों की संख्या बढ़ने और लोगों को विभाग की सेवाओं का लाभ न मिलने के लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक नीलम पार्क में प्रदर्शन जारी रहा। इस दौरान प्रदेश के कोने-कोने से आए युवाओं ने अपनी परेशानियां साझा कीं। प्रदर्शनकारी सीएम हाउस जाना चाहते थे लेकिन पुलिस ने पार्क के गेट बंद कर उन्हें रोक दिया। इस दौरान काफी देर तक पुलिस अधिकारी और प्रदर्शनकारियों में तीखी बहस होती रही। गुस्से को देख प्रशासन की पहल पर एक प्रतिनिधिमंडल सीएम हाउस भेजा गया। सीएमओ में तैनात अधिकारियों ने चर्चा के बाद विभागों में रिक्त पदों का ब्यौरा जुटाते हुए जल्द भर्तियों निकालने का आश्वासन दिया है। जिसके बाद फिलहाल प्रदर्शन को स्थगित कर दिया गया है।

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कर्मचारियों की कमी से लड़खड़ा रहे विभाग

अब आपको बताते हैं प्रदेश में विभागों में खाली पदों की स्थिति क्या है और इनमें भर्ती को लेकर टालमटोल क्यों हो रही है। सबसे पहले पुलिस महकमे के बारे में। जी हां प्रदेश में सब इंस्पेक्टर की भर्ती 2017 में हुई थी। उसके बाद करीब 700 पद खाली हो चुके हैं और पुलिस की नई इकाइयां, थाने और चौकियां अस्तित्व में आ चुकी हैं। इनके लिए भी एसआई के पदों को स्वीकृति दी गई हैं। यानी प्रदेश में अब एक हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। लेकिन 7 साल से इन खाली पदों को भरने की सुध गृह विभाग ने नहीं ली है। आरक्षकों के 20 हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं। सालभर पहले 7 हजार पदों पर भर्ती निकाली गई थी लेकिन अब तक फिजिकल टेस्ट ही नहीं हो पाया है नियुक्ति कब होगी भगवान ही जानता होगा। 

सबसे बेहाल शिक्षक अभ्यर्थी

शिक्षा विभाग में अलग-अलग श्रेणियों में करीब एक लाख पद खाली हैं। शिक्षकों की कमी को पूरा करने भर्ती निकालने से सरकार को जाने क्या परहेज हैं। बीते एक दशक से नियमित शिक्षकों की जगह अतिथि रखकर पढ़ाई कराई जा रही है। डीपीआई हर साल अतिथियों की नियुक्ति कराता है और इस प्रक्रिया में दो से चार महीने बीत जाते हैं। नतीजा स्कूलों में छह से सात महीने ही पढ़ाई हो पाती है और रिजल्ट खराब आता है तब भी जिम्मेदारी अतिथियों पर डाल दी जाती है। वर्ग एक में भर्ती के लिए साल भर से प्रक्रिया चल रही है। पहले तो 30 हजार से ज्यादा खाली पदों के विरुद्ध केवल 8 हजार पदों पर भर्ती निकाली गई। बाद में इनमें पदों में भी बैकलॉग को जोड़ दिया गया। यानी पदों की संख्या और घट गई। अब वेटिंग शिक्षक पदवृद्धि की मांग कर रहे हैं। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में भी शिक्षक नहीं हैं। इन शालाओं में 70 हजार से ज्यादा शिक्षकों की जरूरत है। सरकार शिक्षकविहीन शालाओं को बंद करने की तैयारी तो कर रही है लेकिन भर्ती पर ध्यान नहीं है।

स्वास्थ्य विभाग में भी पद खाली

प्रदेश की स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में भी खराब है। हजारों पद खाली हैं लेकिन डॉक्टर, नर्स, लैब टेक्नीशियन और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की भर्ती नहीं हो रही। अंचलों में उपस्वास्थ्य केंद्र, औषधालयों पर ताले लटक रहे हैं तो सिविल और जिला अस्पतालों में भी विशेषज्ञों की कमी है।

इंजीनियरों की कमी से जूझ रहे विभाग

नगरीय निकायों में इंजीनियर नहीं हैं और जो हैं उन पर कई गुना भार डाला जा रहा है जिससे लोगों की परेशानियां बढ़ रही हैं। यही हालत राजस्व विभाग की है। एम्बुलेंस चलाने ड्राइवर हैं न पोस्टमॉर्टम के लिए नियमित कर्मचारी। एएनएम_ एमपीडब्लू के पद भी खाली हैं। 

पटवारी-आरआई का भी टोटा

पटवारी भर्ती में धांधली का मामला अभी ठंडा नहीं पड़ा है। बीते साल ही सरकार फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद जांच और कार्रवाई का भरोसा दिलाती रही और फिर विवादित रिजल्ट के आधार पर नियुक्ति कर दी गई। लेकिन इसके बाद भी पटवारियों के दो हजार से ज्यादा पद खाली ही रह गए हैं।

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