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जबलपुर के मझगवां बाजार में प्रतापपुर गांव निवासी एक शख्स के साथ मारपीट का मामला सामने आया है। दरअसल शख्त अपनी पत्नी और दो साल के बेटे के साथ खरीदारी करने आया था। उसने अपनी बाइक बाजार की सड़क किनारे खड़ी की थी, लेकिन कुछ ही देर में मझगवां थाना प्रभारी धन्नू सिंह अपने फोर्स के साथ बाजार भ्रमण पर निकले थे। सड़क पर खड़ी बाइकों पर चालानी कार्रवाई करने लगे। भोलू की बाइक पर भी कार्रवाई हुई। जब उसने पास आकर निवेदन किया कि बाइक किनारे खड़ी है, तो टीआई आगबबूला हो गए और देखते ही देखते भरे बाजार में थप्पड़ों की बौछार कर दी।
पत्नी की चीखें भी न पिघला सकीं टीआई का दिल
घटना के दौरान भोलू की पत्नी चीख-चीखकर पुलिस से गुहार लगाती रही कि "साहब, गलती हो गई... आप चालान कर दीजिए, पर मेरे पति को मत मारिए..."। वह बार-बार हाथ जोड़ती रही, लेकिन टीआई धन्नू सिंह किसी की सुनने को तैयार नहीं थे। न पुलिस स्टाफ ने बीच-बचाव किया, न संवेदना दिखाई। इस अमानवीय व्यवहार ने एक महिला की गरिमा और एक मासूम की सुरक्षा भावना को झकझोर कर रख दिया।
वायरल वीडियो में दिखी हिंसा की असली तस्वीर
मंगलवार को यह पूरी घटना तब और चर्चा का विषय बन गई जब या खबर मीडिया में सुर्खियां बनने के साथ ही घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसमें साफ देखा गया कि थाना प्रभारी धन्नू सिंह कैसे भोलू अनंतराम को तीन थप्पड़ जड़ते हैं और स्टाफ के अन्य पुलिसकर्मी खड़े होकर तमाशा देखते रहते हैं। कोई रोकने नहीं आता, कोई समझाइश नहीं देता। एक महिला बार-बार कह रही है – “मेरे पति को मत मारिए...”। लेकिन पुलिस का चेहरा उस वीडियो में कठोर और निष्ठुर नजर आता है।
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आधे घंटे तक चलता रहा तमाशा
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह घटनाक्रम केवल कुछ मिनटों तक सीमित नहीं था। यह सब लगभग आधे घंटे तक चलता रहा। राह चलते लोग रुककर तमाशा देखने लगे, कुछ ग्रामीणों ने साहस जुटाकर टीआई से कहा "साहब, आप चालान कर दो, लेकिन इस तरह से बीच बाजार में मारपीट मत करो।" इसके बाद भी टीआई नहीं माने और भोलू को घसीटते हुए थाने ले गए। वहां कुछ देर बैठाने के बाद चालान बनाकर उसे छोड़ दिया गया।
एसपी ने किया थाना प्रभारी को लाईन अटैच
घटना के वायरल वीडियो को गंभीरता से लेते हुए जबलपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसपी) संपत उपाध्याय ने त्वरित और सख्त कार्रवाई की। उन्होंने मझगवां थाना प्रभारी धन्नू सिंह को तत्काल प्रभाव से लाईन अटैच कर दिया है। साथ ही पूरे घटनाक्रम की जांच के लिए एसडीओपी सिहोरा पारूल शर्मा को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। एसपी ने स्पष्ट किया कि पुलिस बल में किसी भी प्रकार की अमानवीयता और अतिरेक की कोई जगह नहीं है, और दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
कांग्रेस का अल्टीमेटम
घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में भी बवाल मच गया है। कांग्रेस पार्टी ने इसे "पुलिसिया तानाशाही" की संज्ञा देते हुए प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आरोपी थाना प्रभारी को बर्खास्त करने की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि अगर जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो वे मझगवां थाने का घेराव करेंगे और सड़कों पर जन आंदोलन छेड़ेंगे। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जब पुलिस आम नागरिकों की गरिमा रौंदने लगे, तो उसे कानून के कटघरे में खड़ा करना अनिवार्य हो जाता है।
लाईन अटैच कर खानापूर्ति की परंपरा
भले ही थाना प्रभारी को लाईन अटैच कर दिया गया हो, लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सिर्फ यह प्रशासनिक कार्रवाई पर्याप्त है? आमतौर पर यह देखा जाता है कि ऐसे मामलों में कुछ दिनों के लिए आरोपी पुलिसकर्मी को लेने अटैच कर दिया जाता है और उसके बाद वह दोबारा पदस्थ भी हो जाता है। अब पीड़ित और उसकी पत्नी भी यह पूछ रही है कि जब वीडियो में मारपीट स्पष्ट है, तो अब तक एफआईआर दर्ज क्यों नहीं हुई? क्या एक महिला की गुहार और सार्वजनिक रूप से हुई बर्बरता केवल लाईन अटैच तक सीमित रह जाएगी? या इस घटना को मिसाल बनाकर वर्दीधारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा?
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