टीकमगढ़ में मंच पर तकरार, सीएम के सामने केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक को भाषण से रोका फिर...
टीकमगढ़ के पृथ्वीपुर में आयोजित देवी अहिल्याबाई नारी शक्ति सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक उस वक्त नाराज हो गए जब उन्हें मंच पर भाषण से रोक दिया गया।
टीकमगढ़ के पृथ्वीपुर में शनिवार को आयोजित देवी अहिल्याबाई नारी शक्ति सम्मेलन में मंच पर असहज स्थिति बन गई। सीएम के सामने मंच पर केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र खटीक को भाषण देने से रोक दिया गया। अपने साथ हुए इस व्यवहार से केंद्रीय मंत्री असहज हो गए। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस कार्यक्रम में निर्धारित समय से 1 घंटे 34 मिनट की देरी से पहुंचे थे, जिससे पूरे आयोजन का शेड्यूल प्रभावित हो गया।
केंद्रीय मंत्री को भाषण देने से रोका
मुख्यमंत्री मोहन यादव के भाषण में देरी न हो इसके चलते मंच संचालन तेज किया गया और तय वक्त की कमी के कारण जनप्रतिनिधियों को बोलने का पूरा मौका नहीं मिल सका। इसी बीच जब केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक भाषण देने के लिए माइक पर पहुंचे, तभी मंच पर मौजूद पूर्व राज्यमंत्री व पाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैतान सिंह पाल ने उन्हें हाथ के इशारे से रोकने की कोशिश की। यह दृश्य देखकर मंच और पंडाल में बैठे लोग कुछ पल के लिए हैरान रह गए।
खफा होकर लौटने लगे खटीक
शैतान सिंह के इशारे से नाराज होकर डॉ. खटीक ने माइक छोड़ दिया और अपनी सीट की ओर वापस लौटने लगे। उनकी नाराजगी मंच पर साफ दिखाई दी। इसी दौरान स्थिति को बिगड़ते देख शैतान सिंह पाल ने तुरंत मंच पर पहुंचकर माफी मांगी और कहा कि वे डॉ. खटीक का सम्मान करना चाहते थे, इसीलिए उन्हें कुछ देर रोकने का इशारा किया था।
शैतान सिंह ने बाद में दी सफाई कहा- वे मेरे बड़े भाई हैं
शैतान सिंह ने मंच से कहा कि डॉ. वीरेंद्र खटीक उनके बड़े भाई जैसे हैं, और वे उनका सम्मान करना चाहते थे, न कि भाषण रोकना। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका इशारा गलत समझा गया।
दो मिनट बोले, फिर चुपचाप उतर गए
स्थिति शांत होने के बाद डॉ. खटीक ने सिर्फ दो मिनट का औपचारिक भाषण दिया और मंच से उतर गए। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता की कामना की और कोई राजनीतिक या सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की। पूरे घटनाक्रम के दौरान मंच पर मौजूद अन्य नेता भी असहज नजर आए।
सम्मेलन में सीएम ने किए भूमिपूजन और लोकार्पण
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विभिन्न विकास कार्यों का भूमिपूजन और लोकार्पण किया। वे जैसे ही मंच पर पहुंचे, कार्यक्रम को तेजी से समेटने की कोशिश की गई, ताकि उन्हें अगले कार्यक्रम में समय पर रवाना किया जा सके। इसी जल्दबाजी में भाषणों की समयसीमा सख्त कर दी गई थी।
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