कांग्रेस दफ्तर गांधी भवन में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के स्वागत के चलते जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव और शहराध्यक्ष का तय अवधि का निलंबन मामला अभी थमा भी नहीं था कि यादव एक बार फिर विवादों में आ गए हैं।
बीजेपी के लिए झुकाव दिखाते हुए उन्होंने चार साल पहले बीजेपी विधायक रमेश मेंदोला और मंत्री तुलसी सिलावट के खिलाफ गवाही में टालमटोली कर दी और शिकायत की मूल कॉपी ही नहीं देना मान लिया। इसके लिए कोर्ट ने समय दिया कि मूल कॉपी पेश कर दें तो वह भी नहीं की गई।
यह है मामला
मामला सिंधिया खेमे के कांग्रेस से बीजेपी में आने का है। इसके बाद दलबदल वाले कांग्रेस विधायकों की रिक्त सीटों पर अक्टूबर 2020 में उपचुनाव हुए। सांवेर में बीजेपी प्रत्याशी सिलावट के लिए मेंदोला चुनाव संयोजक थे।
इस दौरान एक होटल में ब्राह्मण समाज का कार्यक्रम हुआ, जिसमें कांग्रेस जिलाध्यक्ष यादव ने लैटरपेड पर शिकायत की और प्रदेश सचिव राकेश यादव ने भी ई मेल के जरिए चुनाव आयोग को शिकायत की। इसमें था कि यहां ब्राह्मण वोटर्स को प्रभावित किया जा रहा है और राशि भी बांटी जा रही है।
जांच में पाया गया कि मंजूरी पार्षद मिश्रा ने पिता की स्मृति में आयोजन की परमिशन ली थी और कम लोग आना बताया था, लेकिन इसके विपरीत ब्राह्मण बंधु मिलन कार्यक्रम किया और संख्या भी मंजूरी से अधिक थी। इसके बाद थाना क्षिप्रा में मनोज मिश्रा और मेंदोला के खिलाफ धारा 188 व लोक प्रतिनिधित्व एक्ट की धारा 123 (3ए) के तहत केस दर्ज किया।
कोर्ट में चालान पेश हुआ, बयान हुए तो पलटे यादव
इस मामले में यादव के जब कोर्ट में बयान हुए तो वह शिकायत से ही पलट गए। उन्होंने मेंदोला और मिश्रा का नाम तक नहीं लिया। उन्होंने यही कहा कि आदर्श आचार संहिता लागू थी, सांवेर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का कार्यक्रम कर रहे ऐसी खबर थी, इसकी शिकायत की थी और प्रकरण में इसकी फोटोकॉपी लगी है।
कोर्ट ने कहा मूल कॉपी कहां है, तो वह इसे पेश नहीं कर सके। इसके लिए समय भी दिया गया, लेकिन नहीं दी गई। ना ही गवाही में उन्होंने मेंदोला, मिश्रा का नाम लिया। इसी मामले में कांग्रेस महासचिव राकेश सिंह यादव के बयान अभी नहीं हुए है।
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