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भोपाल गैस कांड के दाग अब मिटाने का समय आ गया है। देश और दुनिया को हिला देने वाले यूनियन कार्बाइड गैस कांड का 40 साल पुराना जहर अब भोपाल से हटने वाला है। जहरीले कचरे को निपटान के लिए आधी रात को भोपाल से इंदौर के पीथमपुर भेजा जाएगा। यह जहर हर उस परिवार के जख्मों का गवाह है, जिसने इस हादसे में अपनों को खोया। अब, 337 मीट्रिक टन खतरनाक कचरे को हटाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस अभियान पर सरकार 126 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।
सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक इंतजाम
इस मिशन के लिए यूका फैक्ट्री को छावनी में तब्दील किया जा रहा है। चारों तरफ हाई सिक्योरिटी बैरिकेड्स लगाए जा रहे हैं। पूरे परिसर पर ड्रोन से निगरानी होगी, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। जहरीले कचरे को रात के अंधेरे में बाहर निकाला जाएगा, ताकि सार्वजनिक असुविधा या विरोध-प्रदर्शन जैसी किसी स्थिति से बचा जा सके। किसी भी प्रकार की रुकावट या बाधा डालने पर सख्त कार्रवाई होगी और दोषियों पर केस दर्ज किया जाएगा।
7 जनवरी की डेडलाइन: हर हाल में खत्म होगा काम
सरकार ने 7 जनवरी 2025 की डेडलाइन तय की है। इस तारीख से पहले हर हाल में खतरनाक कचरे को नष्ट करने के लिए पीथमपुर के रामकी प्लांट पहुंचा दिया जाएगा। विशेषज्ञों की टीम ने यूका फैक्ट्री का निरीक्षण कर गोदाम से लेकर गेट तक कचरे के परिवहन का रोडमैप तैयार कर लिया है। इसके लिए रास्ते में बाधा बन रहे कुछ पेड़ों की कटाई की जाएगी।
खास बातें
- किसी को फैक्ट्री परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
- कचरे को पैक करने और लोडिंग के लिए विशेष मशीनों और वाहनों का इस्तेमाल किया जाएगा।
- गैस राहत विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार निगरानी करेंगे।
- किसी भी प्रकार की बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
भोपाल कलेक्टर ने दी हरी झंडी
सूत्रों के अनुसार, भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने इस काम के लिए परिवहन की अनुमति जारी कर दी है। भोपाल गैस राहत विभाग ने भोपाल, सीहोर, आष्टा, इंदौर, और धार जिलों के कलेक्टरों को जानकारी भेज दी गई है। इन जिलों की सीमाओं से होकर यह कचरा पीथमपुर स्थित रामकी प्लांट तक पहुंचेगा। रामकी कंपनी के विशेषज्ञ इसे पैक करने से लेकर सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करेंगे।
क्या है रामकी प्लांट का रोल?
पीथमपुर के रामकी प्लांट में इस कचरे को वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाएगा। यह प्लांट खतरनाक रसायनों को डिस्पोज करने के लिए देश का सबसे अत्याधुनिक केंद्र है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस प्रक्रिया में पर्यावरण को कोई नुकसान न हो।
अभी क्यों जरूरी है यह कदम?
40 साल बाद भी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का कचरा भोपाल के लोगों के लिए जहरीली स्मृति बना हुआ है। यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। साथ ही इसे हटाने में देरी से स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ता जा रहा था।
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